मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही बिजली खपत कम करने के लिए एलईडी बल्बों के इस्तेमाल पर जोर दिया था और उस के कुछ समय बाद ही वह सौरऊर्जा जैसी गैरपरंपरागत ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के काम में जुट गई. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौरऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा करार देते हुए इस के लिए शोध तथा तकनीकी विकास के वास्ते जरमनी जैसे देशों के साथ समझौता किया. अब उसी अंदाज में मोदी सरकार ईंधन की परंपरागत व्यवस्था पैट्रोल व डीजल के स्थान पर इलैक्ट्रौनिक वाहनों के संचालन को महत्त्व दे रही है.
प्रधानमंत्री ने इस के लिए तकनीकी विशेषज्ञों से नईनई तकनीक सृजित करने का आग्रह किया और कहा कि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ जो भी खोज करेंगे उस को संज्ञान में ला कर उपयोग में लाने का प्रयास किया जाएगा. उन का यह भी कहना है कि सरकार इलैक्ट्रौनिक वाहनों को बढ़ावा देने की नीति बना रही है.
सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडगरी का कहना है कि सरकार स्वच्छ ईंधन से चलने वाले वाहनों को विशेष छूट दे रही है. इस के लिए उन्होंने इथेनौल, मिथेलौन व बायो सीएनजी से चलने वाले वाहनों को परमिटमुक्त करने की घोषणा की है. उन का कहना है कि इस से उन वाहनों का उपयोग बढ़ेगा.
स्वच्छ ईंधन से चलने वाले ईरिकशा पहले ही बाजार में क्रांति ला चुके हैं और इलैक्ट्रौनिक बस व कारों के निर्माण का परीक्षण चल रहा है. इस में सब से बड़ी दिक्कत महंगी बैटरी और उस को रिचार्ज करने की बताई जा रही है. लेकिन सरकार का दावा है कि इस दिशा में सुधार के लिए काम चल रहा है.
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