भारतीय बैंक संगठन (आईबीए) के 70वें वार्षिक आम सभा की बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा, हमारे पास दो बड़ी चुनौतियां हैं- निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना और वृद्धि समर्थन के लिए बैंको की क्षमता में सुधार करना. हमने इस संबंध में प्रयाप्त विश्लेषण किया है.

इसी के साथ जेटली ने बैंकिंग प्रणाली के पुनरुद्धार का वचन देते हुए कहा कि सरकारी प्रयासों को संसाधनों के मामले में बैंकों को मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं. सरकार बैंकिंग प्रणाली के साथ है और जो भी कदम उठाए जाएंगे, हम बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने के लिए तेजी से काम करते रहेंगे. सभी सरकारी प्रयास, खासकर काले धन को समाप्त करने, वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) समेत अन्य सुधार को लागू करने की पहल होगी. उन्होंने कहा, 'स्ट्रेस्ड संपत्ति का लगातार बढ़ना भी मुख्य समस्या है. एक गतिशील समाज होने के नाते हमें सर्वश्रेष्ठ उपायों की ओर देखना चाहिए और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तत्काल सामाधान सुनिश्चित करना चाहिए.

उनका मानना है कि भारत के पास उपाय तलाशने के लिए लचीलापन है. नोटबंदी और पुनर्मुद्रीकरण के समय बैंकिंग सिस्टम प्रणाली ने अच्छा काम किया था और कुछ ही हफ्तों में बैंकों ने पुराने नोटों को वापस लेने, पुनर्मुद्रीकरण और नए नोटों के वितरण का कार्य बिना किसी बड़ी दुर्घटना के किया. यह एक ऐसा कार्यक्रम था, जहां करोड़ों लोग काला धन को हटाने के लिए एकसाथ जुटे और बैंकिंग सिस्टम ने मजबूती से इस कार्य को किया.

जेटली ने कहा, 'नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में कमी आई और कर दायरे में विस्तार हुआ. अप्रत्यक्ष कर के लिए नया तंत्र जीएसटी उम्मीद से अच्छी गति से प्रगति कर रहा है और टैक्स दायरे में अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है.'

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