सस्ती दरों की दुकानें गरीबों के लिए जीवनदायिनी हैं. इन दुकानों से गरीब पेट भरने के लिए सस्ती दर पर अनाज खरीदता है. यह व्यवस्था देश में लंबे समय से चल रही है लेकिन इस का फायदा ऐसे लोग भी उठा रहे थे जो इस के पात्र नहीं थे. गरीबों के हिस्से का राशन खाने के लिए इन लोगों ने फर्जी राशनकार्ड बनवाए थे, लेकिन अब राशनकार्ड आधार से जुड़ गए हैं.
सरकारी आंकड़े के अनुसार, 82 फीसदी राशनकार्ड आधार से जुड़ चुके हैं और इस से पौने 3 करोड़ फर्जी राशनकार्डधारियों की छुट्टी हुई है जिस से 17,500 करोड़ रुपए की बचत हुई है. बचत का यह राशन गरीबों को मिलेगा या नहीं, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन गरीब के लिए अपने राशनकार्ड से कहीं भी राशन खरीदने की सरकार व्यवस्था कर रही है. यह व्यवस्था अब तक दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शुरू की जा चुकी है. सरकार इसे पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहती है.
पूरे देश में इस व्यवस्था के लागू होने से रोजगार की तलाश में घर से बाहर रहने वाले मजदूरों को बड़ा फायदा होगा. अपने हिस्से का राशन वे कहीं भी खरीद सकेंगे. इस से उन्हें नगरों और महानगरों में सस्ती दर पर राशन मिल सकेगा. यह क्रांतिकारी कदम है. यह सब आधार के कारण संभव हो पा रहा है.
सरकार की गरीबों के लिए बनी योजना का लाभ उन्हें पारदर्शी तरीके से मिलता रहना चाहिए. गरीब को उस का हक मिलना ही चाहिए और उन के हिस्से पर डाका नहीं डाला जाना चाहिए. उम्मीद है कि इस योजना से गरीब को राहत मिलेगी.