बैंकिंग सेक्टर के लिए बुरा दौर कब खत्म होगा? क्या बैंक की सबसे बड़ी समस्या एनपीए ही है? पिछले डेढ़ महीने में बैंकों की स्थिति को देखते हुए नहीं लगता कि बैंक आरबीआई नियमों को लेकर गंभीर हैं. पीएनबी घोटाला उजागर होने के बाद बैंकों की स्थिति की असलियत सामने आने लगी है. दरअसल, पीएनबी के बाद एक-एक बैंकों के घोटाले उजागर हुए. सरकारी बैंकों से शुरू हुई इस फेहरिस्त में अब प्राइवेट सेक्टर भी जुड़ गया है.
आईसीआईसीआई बैंक इन दिनों 3250 करोड़ रुपए की 'स्वीट डील' के पेंच में फंसा है. अब यह बैंक की एमडी चंदा कोचर का नाम बदनाम करने की कोशिश है या फिर सच में बैंक के लिए कोई खतरे की घंटी. इसका जवाब तो जांच के बाद ही पता चलेगा. लेकिन, बैंक की एक गलती से आज निवेशकों के करीब 16 हजार करोड़ डूब चुके हैं. यह रकम तो पीएनबी घोटाले से भी ज्यादा है.
लोन या 'स्वीट डील'?
आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकौन ग्रुप के बीच हुई 3250 करोड़ की डील कोई आम डील नहीं थी. इस डील में बैंक की एमडी चंदा कोचर पर गलत तरीके से वीडियोकौन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का लोन देने का आरोप लगा है. इस डील में उनके पति दीपक कोचर का भी नाम शामिल है. इसलिए चंदा कोचर को और ज्यादा शक के घेरे में खड़ा किया गया है. आलम यह है कि बैंक के बोर्ड को दो बार आकर सफाई देनी पड़ी. हालांकि, जांच अभी जारी है, लेकिन बैंक का बोर्ड चंदा कोचर को क्लीन चिट दे चुका है.
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