तकनीक में हो रहे बदलाव और जीवन यापन की लागत में हो रही वृद्धि के मद्देनजर हमें खुद से सवाल पूछना चाहिए कि क्या आज के बच्चों को हम वित्तीय उत्पादों व सेवाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी दे रहे हैं. बच्चों को अब पैसे के लेनदेन व निवेश प्रबंधन की शिक्षा देना काफी अहम हो गया है.

हर बच्चे को पाकेट मनी मिलती है. पाकेट मनी में मिले पैसे को वे मौल में खरीददारी करने में या फोन रिचार्ज करने जैसे चीजों पर खर्च करते हैं. बच्चों में पैसे का हिसाब-किताब रखने की मानसिकता को विकसित करना बहुत जरूरी है.

नकद खरीदारी की आदत डालें

वैसे तो अब क्रेडिट व डेबिट कार्ड सामान्य सी बात है. इसके जरिये खरीदारी करना कई मामले में आसान भी होता है, लेकिन शुरुआत में बेहतर होगा कि आप बच्चों को नकदी में खरीदारी करने की आदत डालें. मसलन चाय-काफी का भुगतान और किराना दुकानों पर छोटी खरीदारी करना वगैरह. इससे उन्हें पैसे का हिसाब-किताब रखने की व्यावहारिक जानकारी मिलेगी.

छोटी उम्र से बचत की आदत

अगर आप बच्चों को छोटी उम्र से ही इच्छा, चाह और जरूरत के बीच अंतर समझाने की कोशिश करें तो यह अच्छी शुरुआत होगी. अगर संबंधियों की तरफ से कोई मौद्रिक उपहार मिलता है तो उसका प्रबंध कैसे करें, कैसे उसे बचत में शामिल करें, कैसे उसे सोच समझ कर खर्च करें. इन छोटी-छोटी बातों की जानकारी देकर आप उनमें बचत की आदत डाल सकते हैं.

वित्तीय तौर पर आजादी दें

बच्चों को जितनी जल्दी वित्तीय आजादी की समझ आ जाए, उतना ही बेहतर होगा. इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा. वे यह समझेंगे कि हर चीज के लिए माता-पिता पर आश्रित नहीं रहा जा सकता. अगर आपका बच्चा दस वर्ष का हो गया है तो उसका अपना बैंक खाता खोल दीजिए. बैंक खाते के साथ उसका अपना डेबिट कार्ड आ जाएगा. उसे यह देखने दीजिए कि किस तरह से राशि ब्याज के साथ बढ़ती है?

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