बौलीवुड एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने बौलीवुड करियर की शुरुआत सपोर्टिंग रोल निभाते हुए की थी लेकिन जल्द ही वह बड़े पर्दे पर खलनायक के तौर नजर आने लगे. उन्होंने कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई लेकिन उनकी एक्टिंग को देखते हुए और दर्शकों के बीच उनके लिए बढ़ते हुए प्यार को देखते हुए निर्देशक निर्माताओं को उन्हें हीरो की भूमिका में दिखाना पड़ा और इस तरह वह खलनायक से नायक बन गए. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई फिल्मों में काम किया लेकिन दीवार और शोले फिल्म में काम न कर पाने का अफसोस उन्हें आज भी है.

शत्रुघ्न ने कहा, 'ये फिल्में ना करने का अफसोस मुझे आज भी है लेकिन इस बात की खुशी है कि इन्हीं फिल्मों ने मेरे दोस्त को स्टार बना दिया. यह फिल्में ना करना मेरी गलती थी और इस गलती को ध्यान में रखते हुए मैंने कभी भी इन दोनों फिल्मों को नहीं देखा.'

अपने मशहूर डायलाग 'खामोश' को लेकर सिन्हा ने कहा, 'अब लगता है कि हम सब खामोश हो गए हैं. देश में जो माहौल चल रहा है, उसमें सब कोई खामोश है.'

वहीं, फिल्मों में विलन के रोल से अपनी पहचान बनाने पर शत्रुघ्न ने कहा, 'मैंने खलनायक के रोल निभाकर कुछ अलग किया. मैं पहला विलन था जिसके पर्दे पर आते ही तालियां बजती थीं. ऐसा कभी नहीं हुआ था. विदेशों के अखबारों में भी यह आया कि पहली बार हिंदुस्तान में एक ऐसा खलनायक आया है जिस पर तालियां बजती हैं. अच्छे-अच्छे विलन आए लेकिन कभी किसी का तालियों से स्वागत नहीं हुआ. यही तालियां मुझे निर्माताओं और निर्देशकों तक ले गईं.'

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