हर कलाकार अपनी अभिनय यात्रा के दौरान विभिन्न शैलियों, संस्कृतियों और भाषाओं का भी पता लगाते रहते हैं. इसके पीछे उनका मकसद यह सुनिश्चित करने के लिए होता है कि वह जिस किरदार को भी निभाए, वह किरदार लोगों को वास्तविक  नजर आए और दर्शक उस किरदार के साथ रिलेट कर सकें.
 ऐसा केवल समर्पण, अनुसंधान, अभ्यास और तैयारी के माध्यम से संभव है.यह एक आसान काम नहीं है और अभिनेता इस प्रक्रिया में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करते हैं. इसी तरह के परिदृश्य का सामना अभिनेत्री शीतल मौलिक ने किया, जो एक महाराष्ट्रियन हैं और जिन्होंने बंगाली से शादी की है. जबकि दंगल टीवी पर प्रसारित हो रहे सीरियल ” प्यार की लुका छुपी ” मैं वह कल्याणी दीदी का किरदार निभाते हुए कानपुरिया भाषा मैं बात करती हैं. इस बोली को हासिल करने के लिए उन्हें थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

 

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Unhi mein se koi sapna ladkhada gya hoga aur tum gir gaye… hilarious ??? @aparnadixit2061 @iamkrripkapursuri

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जब उनसे पूछा गया कि कानपुरिया भाषा उन्होंने कैसे सीखा, तो शीतल मौलिक ने कहा-“मेरे लिए भाषा एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन जब निर्माता के साथ मेरी पहली मुलाकात हुई, तो उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे किसी भी चीज़ के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. यदि कोई समस्या होती है, तो वह इसका ध्यान रखेगी. केवल उसने मुझसे कहा था कि मुझे अपना 100 प्रतिशत देना चाहिए और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए.मैंने सोचा कि अगर कोई निर्माता मुझ पर इतना भरोसा कर रहा है, तो मुझे अपनी तरफ से सभी प्रयासों को सुनिश्चित करना चाहिए.
मैंने अपनी तरफ से कल्याणी दीदी के किरदार  की तैयारी करने और उच्चारण को सीखने के लिए मैंने बहुत से लखनऊ के धारावाहिकों को देखा और जाना कि लोग कैसे बोलते हैं. टीम ने संदर्भ के रूप में कई लिंक और विडियो भी भेजे. 3-4 दिनों के लिए मैंने क्लिप सुनी और भाषा को सीखने की कोशिश की और आखिरकार ईश्वर की कृपा से और सभी के सहयोग से, मैं उच्चारण को चुनने में कामयाब रही. “

 

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Rangeen joota pehna diya hawa bhi nhi ja rhi isme ??? @maleekarghai_official

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खैर यह सच है कि अभ्यास एक आदमी को परिपूर्ण बनाता है और शीतल मौलिक ने अपनी भूमिका से यह साबित कर दिया है. कल्याणी दीदी का  चरित्र लोगों को काफी पसंद आ रहा है.
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