Shyam Benegal : एक बार हार्वर्ड बिजनैस स्कूल के एक इंटरव्यू में श्याम बेनेगल ने कहा था, ‘‘मैं ने हमेशा महसूस किया है कि भारतीय ग्रामीण इलाकों को भारतीय सिनेमा में कभी भी ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया. अगर आप वास्तव में भारतीय मानस को समझना चाहते हैं तो आप को ग्रामीण भारत को देखना होगा.’’

अब आप सोचिए कि श्याम बेनेगल जैसे उच्च शिक्षित फिल्मकार किस तरह के विचार रखते थे. श्याम बेनेगल के यह महज विचार नहीं थे, बल्कि वे इन्हीं विचारों के साथ भारतीय सिनेमा में इन सारी बातों को सदैव रखते थे. उन की डाक्यूमैंट्री हो या एड फिल्म या हो फीचर फिल्म, उन्होंने ग्रामीण व गरीब की बात को सर्वाधिक सशक्त अंदाज में पेश किया.

इन दिनों संविधान का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. जबकि, श्याम बेनेगल ने 2014 में ही ‘संविधान’ नामक 10 एपिसोड का एक सीरियल बनाया था. हर एपिसोड की अवधि 52 मिनट थी. यह सीरियल डाक्यूमैंट्री फौर्म में राज्यसभा टीवी पर 2 मार्च, 2014 से 4 मई, 2014 तक प्रसारित हुआ था. वहीं, श्याम बेनेगल ने 53 एपिसोड का सीरियल ‘भारत एक खोज’ 1988 में बनाया था.

श्याम बेनेगल ने ‘भारत एक खोज’ के माध्यम से भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी. ‘भारत एक खोज’ में भी महाभारत की कहानी है, कृष्ण भी है. इस के बावजूद इस में धर्म नहीं बल्कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति, पहनावा आदि नजर आता है. उसी दौर में बलदेव राज चोपड़ा उर्फ बी आर चोपड़ा ने ‘महाभारत’ सीरियल को पूरी तरह से धार्मिक अंदाज में पेश किया था. बी आर चोपड़ा की ‘महाभारत’ के किरदार राजा रवि वर्मा के कलेंडर की भांति नजर आते हैं, जबकि श्याम बेनेगल के ‘महाभारत’ के किरदार वैसे नजर नहीं आते. यह है सोच का अंतर. यह है देश की बेहतरीन समझ रखने का नतीजा.

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