लगातार बढ़ते अनियमित करों के बोझ से आमजन तो परेशान हैं ही, फिल्म उद्योग भी कम हलकान नहीं है. बीते दिनों ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ और ‘दिल धड़कने दो’ सरीखी कामयाब फिल्में बना चुकी निर्देशिका जोया अख्तर ने भारतीय फिल्मों पर करों के भारी बोझ पर चिंता जताई है. उन का कहना है कि फिल्म वालों पर इस तरह से करों का बोझ लादा गया है कि निर्माताओं की कमर टूट रही है. कई निर्माता फिल्म बनाने से पहले करों से घबरा जाते हैं. उन के मुताबिक, हम मनोरंजन के लिए कर का भुगतान कर रहे हैं जो तर्कसंगत कर है और हम सेवा के लिए भी कर अदा कर रहे हैं, ऐसे में हम लग्जरी हैं या सेवा हैं? वे सरकार से इस उद्योग को सहयोग देने का आग्रह भी कर रही हैं. बहरहाल, आमजन की भी करों से जुड़ी पीड़ा अब तक कौन सी सरकार ने सुनी है भला, जो फिल्म वालों की सुन लेगी.

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