मशहूर फिल्मकार महेश भट्ट की ही तरह उनकी बेटी व अभिनेत्री आलिया भट्ट भी मुंहफट और निडर हैं. इन दिनों वह मादक पदार्थ/ड्रग्स की समस्या से जूझ रहे लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाने के मकसद से बनायी गयी फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ को लेकर चर्चा में हैं. इस फिल्म का कई स्तर पर विरोध किया जा रहा है.

फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ के विरोध को गलत ठहराते हुए हाल ही में आलिया भट्ट ने ‘‘सरिता’’ पत्रिका के संग एक्सक्लूसिव बात करते हुए कहा-‘‘ड्रग्स का मुद्दा सिर्फ पंजाब के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए अति महत्वपूर्ण मुद्दा है. लोगों के लिए जानना जरुरी है कि हमारे देश या राज्य या विश्व में ड्रग्स का सेवन करने वाले लोग किस तरह की मानसिकता, किस तरह की शारीरिक बीमारी आदि से जूझते हैं. किस तरह वह असमय मौत के मुंह में समा रहे हैं.’’

आलिया भट्ट ने आगे कहा-‘‘मैं भी लोगों से सवाल पूछ रही हूं कि जब ड्रग्स से हर इंसान को सिर्फ नुकसान होता है, तो फिर क्यो लोगो को लग रहा है कि फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ से पंजाब की छवि धूमिल होगी? मेरी राय में ड्रग्स के अवैध कारोबार और ड्रग्स की वजह से इंसान को होने वाले नुकसान का चित्रण करने वाली फिल्म का विरोध होना ही नहीं चाहिए. हमारी फिल्म तो लोगों को सही शिक्षा व सही जानकारी देने का काम करने वाली है. लोगो को तो इस फिल्म का जरुर देखना चाहिए. पर फिल्म का ट्रेलर देखकर जो लोग हमारी फिल्म का विरोध कर रहे हैं, उससे उनकी नीयत पर ही सवाल उठता है.’’

पंजाब के कुछ राजनीतिक संगठनों के साथ साथ फिल्म अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने भी फिल्म ‘‘उड़ता पंजाब’’ के विरोध में आवाज उठायी है. नीतू चंद्रा ने तो बाकायदा अपना विरोध जताते हुए आलिया भट्ट के नाम सोशल मीडिया पर खुला पत्र भी लिखा है. जब हमने इस तरफ आलिया भट्ट का ध्यान खींचा, तो आलिया भट्ट ने ‘‘सरिता’’ पत्रिका से नीतू चंद्रा के विरोध को गलत करार देते हुए कहा-‘‘उनका विरोध गलत है. उन्होने फिल्म का ट्रेलर देखकर पता नहीं क्या समझा कि इस तरह विरोध पर उतर आयी हैं. उन्हे पूरी फिल्म देखनी चाहिए. मैं उन्हें इतना ही आश्वस्त कर सकती हूं कि फिल्म के अंदर बिहारियों को कमतर नहीं दिखाया गया है. बिहारियों का अपमान नहीं किया गया है. बिहारियों को किसी भी तरह की ठेस पहुंचाने की हमने कोशिश नहीं की है.

मेरी राय में ट्रेलर देखकर इस तरह की प्रतिक्रिया देना बहुत ही गलत है. उन्हे भी पता है कि ट्रेलर दो मिनट का होता है और फिल्म दो घंटे की होती है. नीतू चंद्रा ने आरोप लगाया है कि फिल्म ‘उड़ता पंजांब’ में बिहारियों को स्टीरीयो टाइप किया है. हमें नहीं लगता कि हमने बिहारियों को स्टीरियो टाइप किया है. फिल्म देखने के बाद यदि उन्हे लगे कि हमने गलत किया है, तो वह अपनी बात को कह सकती हैं.’’

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