बौलीवुड में डांस विधा को खासा मुकाम हासिल कराने वाले प्रभुदेवा आज अभिनय और निर्देशन की कमान भी बखूबी संभाल रहे हैं. भाषा से परे सिनेमा की नई परिभाषा गढ़ते प्रभुदेवा का कोई सानी नहीं है. पेश है सोमा घोष के साथ हुई उन की बातचीत के खास अंश.

भारत के माइकल जैक्सन कहे जाने वाले प्रभुदेवा डांसर, कोरियोग्राफर, निर्देशक और अभिनेता हैं. भले ही वे माइकल जैक्सन की तरह डांस के लिए जाने जाते हैं पर वे क्लासिकल डांसर भी हैं. उन्होंने धर्मराज और उडिपि लक्ष्मीनारायण से भरतनाट्यम की शिक्षा ग्रहण की.प्रभुदेवा के पिता मुगुर सुंदर, सुंदरम् मास्टर के नाम से जाने जाते हैं. वे भी कोरियोग्राफर थे. डांस के शौकीन प्रभुदेवा ने 14 वर्ष की उम्र से ही डांस करना शुरू कर दिया था. उन का शुरुआती दौर काफी उतारचढ़ाव भरा रहा. पर उन्होंने धीरज और मेहनत के बल पर कामयाबी हासिल की. पढ़ाई की ओर अधिक ध्यान न होने की वजह से प्रभुदेवा ने डांस की ओर रुख किया, जिस में साथ दिया उन के पिता ने.

क्लासिकल डांसर होते हुए जब प्रभुदेवा ने माइकल जैक्सन की थ्रिलर एलबम देखी तो दंग रह गए. तब से ले कर आज तक वे उन के प्रशंसक हैं. दक्षिण भारतीय होने के बावजूद प्रभुदेवा के लिए हिंदी में कोई बाधा नहीं रही. वे हिंदी भाषा अच्छी तरह बोल और सम?ा लेते हैं. जितना स्मार्टली वे डांस करते हैं, उतना ही स्मार्टली वे बातचीत भी करते हैं.

आप निर्देशक, कोरियोग्राफर और अभिनेता भी हैं. किस फौर्म में काम करना पसंद करते हैं?

मु?ो निर्देशक हर हाल में बनना था पर कुछ समय तक कोरियोग्राफी करनी पड़ी. उस दौरान एक प्रोड्यूसर ने कहा था कि अगर आप मेरी फिल्म की कोरियोग्राफी करेंगे तो अगली फिल्म में आप निर्देशक बन सकेंगे. यह मौका मु?ो मिला और मैं निर्देशक बन गया. हालांकि निर्देशन में जिम्मेदारी अधिक होती है. टैंशन भी अधिक होती है पर वे मु?ो पसंद हैं.

क्या कोरियोग्राफर से निर्देशक बनना आसान रहा?

कोरियोग्राफर ही नहीं फाइटमास्टर, कैमरामैन आदि भी निर्देशक बन सकते हैं क्योंकि उन में मानस शक्ति अधिक होती है.

निर्देशन करते वक्त किस बात का खास ध्यान रखते हैं?

कोई भी फिल्म बनाते समय कई बातों पर खास ध्यान रखना पड़ता है. फिल्म निर्देशन एक टीमवर्क है. टीम का अच्छा होना जरूरी है. फिल्म में प्रोड्यूसर का काफी पैसा लगा होता है इसलिए एक एनर्जी फिल्म में होनी चाहिए. टीम में एक खुशी होनी चाहिए जिसे मु?ो हमेशा ध्यान रखना पड़ता है.

आजकल फिल्में तो बनती हैं पर कुछ ही चलती हैं. इस की वजह क्या है? आप किस तरह की फिल्में बनाने में विश्वास रखते हैं?

हर फिल्म में एक इमोशन होना चाहिए. उस के बाद मनोरंजन की बारी आती है. अच्छे दृश्य, कौमेडी आदि होने चाहिए पर सब से जरूरी यह देखना है कि स्टोरी ठीक से कही गई है या नहीं. फिल्में चलें या न चलें, हर फिल्म में मेहनत तो की ही जाती है.

आगे कोरियोग्राफी करना चाहेंगे?

समय होगा तो जरूर करना चाहूंगा. अभी ‘रमैया वस्तावैया’ के बाद शाहिद कपूर की ‘रेंबो राजकुमार’ का निर्देशन कर रहा हूं.

एक बेहतरीन डांसर बनने के लिए क्या जरूरी है?

आजकल कई बच्चे अच्छा डांस करते हैं. इन्हें मंच तक लाने का काम रिऐलिटी शो कर रहे हैं. अवसर बहुत हैं पर हर दिन आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है. पहले 100 लोगों में एक लड़का डांस करता था अब इन की संख्या हजारों में है. 100 में से 95 लोग अच्छा डांस कर लेते हैं. अच्छा डांसर बनने के लिए शास्त्रीय नृत्य का ज्ञान होना आवश्यक है.

ग्लैमर वर्ल्ड में जो नई पीढ़ी आना चाहती है उन के लिए क्या कहना चाहते हैं?

ग्लैमर वर्ल्ड, दूर से जितना ग्लैमरस दिखता है उतना होता नहीं है. यहां हार्डवर्क चाहिए. कुछ लोग मजबूत होते हैं और किसी भी हालात में टूटते नहीं. लेकिन कुछ मुश्किल वक्त में हार मान जाते हैं. अगर शुरुआत में काम न भी मिले आगे बढ़ते रहना चाहिए. हर क्षेत्र में उतारचढ़ाव तो होते ही हैं.

खाली समय में आप क्या करना पसंद करते हैं?

अपने बच्चों के साथ समय बिताता हूं. फिल्में, खासकर तमिल फिल्में, देखता हूं. फिलहाल हिंदी फिल्में बना रहा हूं. तमिल भी अवश्य बनाऊंगा बशर्तेे अच्छी स्क्रिप्ट और कहानी मिले. आज चीजें बदल चुकी हैं. दक्षिण भारतीय फिल्में यहां और यहां की फिल्में दक्षिण में एकसाथ रिलीज होती हैं. इसलिए भाषा का फर्क नहीं पड़ता.   

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