सिनेमा जगत में बदलाव की बातें बहुत की जा रही हैं.लोगों का मानना है कि सिनेमा में कंटेंट पर ध्यान दिया जाना चाहिए. मगर बौलीवुड के फिल्मकार इस तरफ कम ध्यान दे रहे हैं. पर मराठी सिनेमा से जुड़े लोग सामाजिक कुरीतियों व सामाजिक समस्याओं पर लगातार फिल्में बनाते जा रहे हैं. मराठी टीवी सीरियल ‘‘फैमिली डाॅट काॅम’’ से अभिनय कैरियर की शुरूआत करने वाली अभिनेत्री रीना जाधव हमेशा सामाजिक कुप्रथाओं व सामाजिक समस्याओं को रेखांकित करने वाली फिल्मों में अभिनय करती रही हैं. उनकी मराठी फिल्म ‘‘हे मिलन सौभाग्याचे’’ को तो ‘दादा साहेब फालके’ सहित कई पुरस्कार मिले थे. मराठी फिल्मों में अभिनय करते करते उनके दिमाग में आया कि सामाजिक मुद्दों के साथ ही शिक्षा जगत को लेकर बहुत कुछ कहे जाने की जरुरत है. तब उन्होंने स्वयं हिंदी भाषा में फिल्म ‘‘मेरिट एनीमल’’ का सहनिर्माण करने के साथ ही उसमें अभिनय भी किया है, जो कि जल्द ही ‘हंगामा प्ले’ पर स्ट्रीम होगी. इस फिल्म में बच्चे को षिक्षा दिलाने और हर जगह सर्वाधिक नंबर की होड़ के चलते माता पिता अपने बच्चों के साथ जानवर की तरह ही पेष आते है,इस बात को खास तौर पर रेखांकित किया गया है.फिल्म ‘मेरिट एनीमल’ कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में कई अर्वाड जीत चुकी है.

प्रस्तुत है रीना जाधव से हुई बातचीत के अंश..

आपने अभिनय कहां से सीखा?

-मैने अभिनय अपनी जिंदगी के अनुभवों से ही सीखा.अभिनय में नौ रस होते हैं.यह सभी नौ रस हर इंसान की जिंदगी में होते हैं.मैं सिंगल पैरेंट चाइल्ड हॅूं.जब मैं पांच छह वर्ष की थी,तभी मेरे मम्मी पापा का तलाक हो गया था.मेरी मां एकाउंटेंट है.उन्होने अकेेले जिस तरह से मेरी परवरिश की,उसे देखते हुए मैने काफी कुछ सीखा.उस दौरान मैने अपनी मम्मी की जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव आते जाते देखे.जिन्हे देखते हुए मेरे अंदर भी जिम्मेदारी का भाव आता गया.तो अभिनय करते हुए मैं कई दृश्यों में अपनी जिंदगी के अतीत के घटनाक्रमों को यादकर लेती हॅूं.मुझे नृत्य का भी शौक है. मैंने अपने दोस्तों की भी जिंदगी को नजदीक से देखा है.यह सब मुझे अभिनय करने में मदद कर रहा था.

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