टीवी और फिल्मों में समान रूप से सक्रिय अदाकारा इंदिरा कृष्णा अपने हर किरदार में विशेष छाप छोड़ जाती हैं. कई भाषाओं में निपुण और डांस की शौकीन इंदिरा से अपने धारावाहिक ‘फिरंगी बहू’ और आगामी फिल्मों से जुड़े कई अहम पहलुओं पर राम जोशी ने बातचीत की. पेश हैं मुख्य अंश.

‘तेरे नाम’, ‘तथास्तु’ व ‘चतुर सिंह टू स्टार’ सरीखी फिल्में और ‘कृष्णा बेन खाखरवाला’, ‘अफसर बिटिया’ व ‘सीआईडी’ जैसे सीरियल्स में नजर आ चुकीं टैलीविजन की चर्चित मां और सास इंदिरा कृष्णा अपनी सासूमां टाइप छवि से बाहर आना चाहती हैं. प्रतिभा उन के अंदर कूटकूट कर भरी है, इसलिए वे कुछ रोमांचकारी, चैलेंजिंग और बोल्ड रोल करना चाहती हैं.

तमिल, गुजराती, उडि़या, हिंदी और अंगरेजी समेत कई भाषाओं में निपुण इंदिरा कृष्णा वैसे तो कत्थक डांसर थीं लेकिन अचानक अभिनय के क्षेत्र में आ कर उन्होंने कला के कई और पहलुओं पर महारत हासिल की. फिलहाल वे एक चैनल पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘फिरंगी बहू’ में दिख रही हैं.

‘फिरंगी बहू’ सीरियल में सब से खास क्या लगा आप को?

बड़े परदे पर तो आप ने दर्जनों विदेशी कलाकारों को ऐंट्री मारते देखा है लेकिन भारतीय टैलीविजन की दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई यूरोपियन लड़की मुख्य किरदार के तौर पर ऐंट्री कर रही है.

अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में कुछ बताएं?

मैं दक्षिण भारतीय परिवार की लड़की हूं. मेरी मां डांसर थीं. मैं ने उन्हीं से डांस की टे्रनिंग हासिल की है. विभिन्न भाषाओं से मेरा परिचय मेरी मां ने ही करवाया और उन्होंने ही मुझे अभिनय की दुनिया में आने के लिए प्रेरित किया. आज जो कुछ भी हूं, अपनी मां की वजह से हूं.

नृत्य की तरह, अभिनय की भी तालीम ली है?

नहीं, मैं ने ऐक्टिंग नहीं सीखी. हकीकत तो यह है कि ऐक्टिंग कोई सिखा नहीं सकता. बचपन से ही शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह, तब्बू जैसे कलाकारों को अभिनय करते गौर से देखा करती थी. नाटकों के दौरान मैं ने इन कलाकारों के अभिनय की बारीकियों को समझा और इन्हें अपने अभिनय में ढालने की कोशिश की. इस के अलावा मैं ने बहुत सारे स्टेज शो किए हैं और उन्हीं के जरिए अपने अभिनय में सुधार लाने का प्रयास करती रहती हूं.

आप ने काफी वजन कम किया है?

हां, डेली सोप में लगातार व्यस्त रहने के कारण अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाई और मोटी होती चली गई. आखिर में टीवी की दुनिया से बे्रक ले कर अपने शरीर पर ध्यान दिया और 8 किलो वजन कम कर लिया.

कोई खास ट्रीटमैंट इस के लिए?

नहीं, केवल व्यायाम, ध्यान और खानपान में संतुलन बैठा कर मैं ने अपना वजन कम किया है.

अभिनय को वास्तविकता में बदलने के लिए फिल्मों में वर्कशौप कल्चर है. क्या टीवी पर भी ऐसा कुछ हो रहा है?

हां, इस की शुरुआत हो चुकी है. विपुल शाह इस पर बहुत ध्यान देते हैं. दरअसल, वर्कशौप से ही आप का कैरेक्टर निखरता है. ‘कृष्णा बेन खाखरावाला’ में जब मैं ने एक वर्कशौप के तहत खाखरे बनाए और उस काम में लगे लोगों से मिली, तभी उस रोल को अच्छी तरह से कर सकी. वर्कशौप की वजह से न सिर्फ अपने किरदार को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है बल्कि अपने साथी कलाकारों के साथ भी बेहतर तालमेल बनता है. अच्छा है कि यह कौंसेप्ट अब टीवी की दुनिया में भी आजमाया जा रहा है.

डेली सोप करते हुए डांस के लिए वक्त निकालना मुश्किल होता है तो क्या करती हैं?

यह सही बात है कि अब डांस के लिए समय नहीं मिल पाता है लेकिन किसी तरह से शूटिंग के दौरान ब्रेक ले कर प्रैक्टिस हो जाती है. वैसे, मुझे डांस के अलावा संगीत सुनना, पुरानी फिल्में देखना, चरित्र विशेष पर आधारित अंगरेजी फिल्में देखना पसंद है.

सासू मां के अलावा किस तरह के किरदार करना चाहेंगी?

सास या मां का रोल करना मेरी मजबूरी है क्योंकि मुझे औफर ही उसी तरह के मिल रहे हैं. वैसे मैं डिटैक्टिव एडवोकेट, आईएएस औफिसर जैसे कुछ चैलेंजिंग और बोल्ड रोल करना चाहती हूं. अगर फिल्म या सीरियल की कहानी की डिमांड कुछ बोल्ड करने की है तो मैं पीछे नहीं हटूंगी. एक कलाकार के लिए चैलेंजिंग किरदार करना बेहद जरूरी है.

सुना है कि एक फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा की मां की भूमिका भी कर रही हैं?

हां, अगले साल आने वाली फिल्म ‘हौलीडे’ में अक्षय और सोनाक्षी के साथ काम करने का मौका मिला है. रोल बहुत बड़ा नहीं है लेकिन महत्त्वपूर्ण है. दरअसल, निर्देशक ए आर मुरुगदास को लगा कि मेरा और सोनाक्षी का चेहरा काफी मिलता है, इसलिए उन्होंने मुझे यह रोल औफर किया.     

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