‘टी सीरीज’ की म्यूजिकल फिल्म ‘तुम बिन' और डा. चंद्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्म ‘‘पिंजर’’ से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता प्रियांशु चटर्जी अब 27 सितंबर को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘‘लिटिल बेबी’’ में एक अनोखे किरदार में नजर आने वाले हैं. फिल्म ‘‘लिटिल बेबी’’ में एक पिता और उसकी बेटी के रिश्ते की कहानी को काफी संवेदनशील तरीके से फिल्माया गया है. तो वहीं प्रियांशु चटर्जी ‘‘जी 5’’ की वेब सीरीज में मनोवैज्ञानिक डौक्टर करण के किरदार में नजर आ रहे हैं.

प्रस्तुत है प्रियांशु चटर्जी से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश

आपके करियर के अब तक के टर्निंग प्वाइंट क्या रहे?

मेरे करियर का सबसे बड़ा और पहला टर्निंग प्वाइंट दिल्ली से मुंबई आना रहा. यहां आकर सीरियल व विज्ञापन फिल्में करना रहा. उसके बाद ‘तुम बिन’ की सफलता के बाद जिस तरह का काम मैं करना चाहता था, उस तरह का काम करने का अवसर मिला. मेरे करियर में दूसरा टर्निंग प्वाइंट ‘‘पिंजर’’रही. फिल्म ‘पिंजर’ की रिलीज के बाद लोगों को लगा कि मैं संजीदा और संवेदनशील किरदारों को भी बड़ी सहायता से निभा सकता हूं. डांस में तो माहिर हूं ही. उसके बाद मेरा टर्निंग प्वाइंट तब आया, जब 2005 में महेश भट्ट निर्मित और तनूजा चंद्रा निर्देशित फिल्म ‘‘फिल्मस्टार’’ की. उसके बाद मैंने ‘कोई मेरे दिल मे है’, ‘उत्थान’ कई फिल्में की. फिर एक टर्निंग प्वौइंट तब आया,  जब अपर्णा सेन, गौतम घोष और रितुपर्णो घोष ने मुझे बंगाल बुलाया. मैंने ‘मोनर मानुष’, ‘भोरेर अलो’, ‘इति मृणालिनी’,‘ पांच अध्याय’ जैसी कुछ बेहतरीन बंगला फिल्में की. बंगाल में कम बजट की,  मगर बेहतरीन सब्जेक्ट वाली फिल्में करके मजा आ गया. बंगला फिल्मों में मैंने उन विषयों पर काम किया, जिन विषयों पर काम करने की कलाकार के तौर पर मेरी जरूरत थी. हकीकत यह है कि बांगला फिल्मों में काम करते हुए कलाकार के तौर पर मेरी ग्रोथ हुई. अपर्णा सेन और रितुपर्णो घोष के साथ काम करके मैंने बहुत कुछ सीखा. मैंने बंगला फिल्मों में काम करके धन नहीं कमाया, मगर बतौर कलाकार रचनात्मक संतुष्टि बहुत मिली. आर्टिस्टिक संतुष्टि मिली. सीखने को मिला. वहां मुझे समझ में आया कि फिल्म की शूटिंग से पहले वर्कशौप कितने जरुरी हैं. फिर मेरे करियर में टर्निंग प्वाइंट तब 2015 में तब आया, जब मैंने ‘‘हेट स्टोरी 3’’ व ‘‘बादशाहो’’ जैसी कमर्शियल फिल्में की. इन कमर्शियल फिल्मों में भी मैंने कुछ रोचक किरदार निभाए, जो कि पहले नहीं किए थे. मैंने अब तक अपने आपको कहीं दोहराया नहीं है. वैसे तो बौलीवुड में हर शुक्रवार और हर फिल्म रिलीज के साथ ही आपके करियर व आपकी जिंदगी को एक नया बदलाव दे ही देती है. हर शुक्रवार एक नया मोड़ दे देता है. बीच में मुझे एक पंजाबी फिल्म ‘‘सिरफिरे’’ करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. मैं दिल्ली से हूं, तो यह भाषा मेरे दिल के काफी करीब है. मैं पंजाबी अच्छी बोल लेता हूं. इसी तरह मुझे हिंदी व उर्दू मिश्रित फिल्म ‘‘मजाज’’ करने का अवसर मिला.

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