डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्देशक के तौर पर ख्याति बटोरने के बाद अश्विनी अय्यर तिवारी ने 2016 में फिल्म ‘‘निल बटे सन्नाटा’’ से जब लेखक व निर्देशक की हैसियत से बौलीवुड में कदम रखा था, उसी वक्त उन्होंने साबित कर दिखाया था कि वह सामाजिक व पारिवारिक मूल्यों व इमोशंस को लेकर काफी संजीदा है. उसके बाद अपनी दूसरी कमर्शियल फिल्म ‘‘बरेली की बर्फी’’ से उन्होंने इस बात पर दोहरी मोहर लगा दी थी. अब 24 जनवरी को वह फिल्म ‘‘पंगा’’ लेकर आ रही है, जिसका निर्माण ‘‘फौक्स स्टर स्टूडियो, इंडिया’’ ने किया है, जबकि फिल्म में कंगना रानौट, जस्सी गिल, नीना गुप्ता,मास्टर यज्ञ भसीन और रिचा चड्डा की भी अहम भूमिकाएं हैं.
‘पंगा’ सहित आप तीन फिल्में निर्देशित कर चुकी हैं.इन तीनों में आप क्या समानता व क्या असमानता देखती हैं ?
समानता यही है कि मैं वह कहानियां सुनाना चाहती हूं जिससे हर इंसान जुड़ सकें. ऐसी कहानियां जो कि हर घर तक पहुंच सके. हर घर के लोग मेरी फिल्म देखकर यह कहें कि हां ऐसा मेरे घर पर भी होता है या होना चाहिए. और मेरी तीनों फिल्मों में यही समानता है. जहां तक असमानता की बात है,तो मेरे ख्याल से कुछ नही है. क्योंकि जब हम अपने देश और देश के हर घर की कहानी कह रहे हैं, तो उनमें असमानता कैसे हो सकती है ?
आपके अनुसार आपकी यह तीनों फिल्में अलग कैसे हैं ?
देखिए,मेरी तीनों फिल्मों की आंतरिक संरचना बहुत अलग है. हर फिल्म की ग्रामर अलग होती है, पर उनकी सोल@आत्मा नही बदलती. मसलन -मेरी पहली फिल्म ‘‘निल बटे सन्नाटा’ का ग्रामर अलग था. इसमें ‘लो मिडल क्लास’की कहानी थी. शिक्षा का मुद्दा था. उसकी सेटिंग अलग थी. किरदार अलग थे. फिर ‘बरेली की बर्फी’ अलग ग्रामर की फिल्म थी. यह दो दोस्तों और प्यार की कहानी है, मगर छोटे शहरों में प्यार की कहानी अलग हो जाती है. इसमें नोकझोक व कौमेडी थी. मगर फिल्म ‘‘पंगा’’ का मुद्दा बहुत ही अलग है. हम औरतों से जुड़े अहम मुद्दे को लेकर आ रहे हैं. इस फिल्म का मुद्दा हर घर में मौजूद जया जैसी महिला की कथा है, यह महिला हर घर में मां, बहन या पत्नी के रूप में मौजूद है. इनके अपने सपने हैं, पर इनके सपनों को लेकर पुरूष वर्ग सोचता ही नही है. भारतीय सभ्यता व संस्कृति में एक पत्नी हमेशा अपने आपको पीछे रखती है, क्योंकि उसकी सोच यह है कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसकी प्राथमिकता है. इस बीच उसके अपने सपने पूरे करने का वक्त निकल जाता है. वह बच्चे की मां बन चुकी होती है.