एक तरफ बौलीवुड के कुछ कलाकार हौलीवुड और विदशों में सिनेमा का हिस्सा बनकर अपनी ग्लोबल ईमेज बनाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं, तो दूसरी हौलीवुड और पश्चिमी देशों के कलाकार व फिल्मकारों को भारत की संस्कृति और बौलीवुड अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. अब तो विश्व के कई देशों के कलाकार बौलीवुड में अपना करियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे ही कलाकारों में से एक हैं- मूलतः अफगानिस्तानी, मगर कनाडा में पले बढ़े अभिनेता अहमद मसी वली. अहमद मसी वली चार वर्ष से मुंबई में है. अब तक टीवी के रियालिटी शो के अलावा फिल्म ‘‘कलंक’ में एक छोटे किरदार में नजर आ चुके हैं. तो वहीं अब ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’ की गोल्डी बहल निर्देशित वेब सीरीज ‘‘रिजेक्ट’’ का वह हिस्सा हैं.
आप खुद को अफगानिस्तानी मानते हैं या …?
मेरे माता पिता अफगानिस्तान के रहने वाले हैं. पर वह लंबे समय से कनाडा में बसे हुए हैं. मेरा जन्म कनाडा में ही हुआ. वहां हिंदी फिल्में देखते देखते मेरे अंदर भारत आकर काम करने का पैशन जागा. सच कहूं तो मैं खुद को भारतीय समझता हूं. मुझे मंबईं आकर कभी नहीं लगा कि मैं बाहरी हूं. पिछले चार साल से मुंबई में रहने का मेरा जो अनुभव है, उससे मुझे यही समझ में आया कि मेरे लिए भारत और मुंबई शहर से बेहतर कोई दूसरी जगह हो नहीं सकती.
भारत आने का मकसद भारतीय लोगों से परिचित होना और भारत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने था.फिर आपके दिमाग में अभिनेता बनने की बात कब आयी?
शायद मैं बताना भूल गया कनाडा में रहते हुए नाटकों में अभिनय करता रहा हूं. मैं मुंबई आने से पहले कनाडा में थिएटर किया करता था. मैं थिएटर करने के लिए गुयाना जाता था, जहां पर ज्यादातर भारतीय रहते हैं. यूं तो यह वेस्टइंडीज का हिस्सा है. जहां तक मेरी जानकारी है, वेस्टइंडीज में ज्यादातर भारतीय हैं, जो कई दशक पहले मजदूरी करने के लिए वेस्ट इंडीज चले गए थे. वहां पर भारतीय होते हुए भी अब वह हिंदी की बजाय अंग्रेजी बोलते हैं. उनकी हिंदी नाटकों में रुचि है. वहां पर हिंदी नाटकों में काम करते हुए मुझे अहसास हुआ कि यदि मुझे अभिनय करना है, तो मुझे भारत जाकर वहां के लोग, वहां की भाषा और वहां के परिवेश में खुद ढालना पड़ेगा. क्रिमिनल लौ में उच्चशिक्षा हासिल करने के बाद मैंने मुंबई आने का निर्णय लिया.
मुंबई आने के बाद संघर्ष करना पड़ा?
यदि मैं अपने पिता के कहने पर चलता तो ज्यादा संघर्ष न करना पड़ता. मेरे पापा ने पैसे व क्रेडिट कार्ड देकर भेजा था. पर मैंने सोच लिया था कि मैं अपना मुकाम संघर्ष करते हुए बनाऊंगा. क्योंकि जब मैं समस्याओं से गुजर लूंगा, तभी मेरे अंदर एक भूख पैदा होगी. आप यकीन नहीं करेंगे पर मुंबई पहुंचते ही होटल में एसी कमरा लेकर रहने की बजाय दो दिन विद्या विहार के इस्कौन मंदिर में रहा. क्योंकि मैं किराए का मकान तलाश रहा था. यहां आकर पता चला कि सिंगल इंसान को किराए का मकान भी नहीं मिलता. बड़ी मुश्किल से मेरी समस्या हल हुई. पर मैं अपनी संघर्ष की यात्रा से खुश हूं. मजे ले रहा हूं.
पिछले चार साल से मुंबई में हूं. मैंने सबसे पहले अनुपम खेर के एक्टिंग इंस्टीट्यूट एक्टर्स प्रिपेअर्स से एक्टिंग का कोर्स किया. मेरे अभिनय करियर की शुरुआत विज्ञापन फिल्मों से हुई. मैंने अब तक 20-25 विज्ञापन फिल्में की हैं. मैंने एक रियालिटी शो ‘इंडियन सुपरस्टार’ भी किया. इसके अलावा मैंने फिल्म ‘कलंक’ में इमरान अली का छोटा सा किरदार निभाया. अब मैंने गोल्डी बहल के निर्देशन में वेब सीरीज ‘‘रिजेक्ट’’ में मेन लीड की है, जो कि ‘जी 5’ पर है.
आपने फिल्म‘ ‘कलंक’’ में एक छोटा सा किरदार क्या सोचकर निभाया?
सच कहूं तो मेरे लिए किरदार से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों से रिश्ता बनाना है. इंडियन सुपरस्टार के सेट पर करण जौहर से मेरी मुलाकात हुई. वह मुझे बहुत बेहतरीन इंसान लगे. मुझे लगा कि मुझे उनके साथ काम करना चाहिए. उनसे बहुत कुछ सीखने के लिए उनके साथ काम करना जरुरी है. एक दिन करण जौहर ने मुझे बुलाकर कहा कि क्या मैं फिल्म ‘कलंक’ में इमरान अली का छोटा सा किरदार निभाना पसंद करूंगा. मैंने हामी भर दी. मुझे पता था कि पूरी फिल्में सिर्फ दो-तीन दृश्य व दो-तीन संवाद है.
वेब सीरीज ‘‘रिजेक्ट’’ को लेकर क्या कहेंगे?
इस वेब सीरीज में वर्तमान समय की युवा पीढ़ी की मानसिकता व उनकी समस्याओं का चित्रण है. इस वेब सीरीज में हर किरदार किसी न किसी बात को लेकर खुद को रिजेक्ट पाता है. फिर वह उससे उबर कर किस तरह विजेता बनता है, उसकी कहानी है.
‘‘रिजेक्ट’’के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?
मैंने इसमें एक मुख्यमंत्री के बेटे आरव का किरदार निभाया है, जो कि सिंगापुर के इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ता है. वह संगीत का शौकीन है. पर हालात कुछ ऐसे होते हैं कि उसमें एपीसोड दर एपीसोड कई बदलाव आते हैं. अंततः एक डार्क किरदार बन जाता है. आरव एक ऐसा किरदार है, जिसे मुझे एक ही साथ कई किरदार कई लेयर निभाने का मौका मिला. ऐसा बहुत कम कलाकारों के साथ होता है.
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जब आप वेब सीरीज ‘रिजेक्ट’ कर रहे थे, तो कभी आपको अपनी जिंदगी की कोई घटना याद आई?
आरव संगीत से जुड़ा हुआ है और मैं भी बचपन से संगीत से जुड़ा हुआ रहा हूं. संगीत मेरी जिंदगी में अति महत्वपूर्ण स्थान रखता है. संगीत तो युनिवर्सल भाषा है, जहां धर्म, जाति, क्षेत्रीयता व भाषा मायने नहीं रखती. केवल धुन पसंद आनी चाहिए. इसलिए मैं खुद को आरव से जुड़ा हुआ पाता हूं.
जब कोई रिजेक्ट होता है, तो उसके जो परिणाम होते हैं, उन पर यह वेब सीरीज कुछ कहती है?
जी हां! आप पूरे विश्व किसी भी कलाकार को देख लें, सभी ने अपनी जिंदगी में कभी ना कभी रिजेक्शन झेला है. कई कलाकारों ने तो बहुत तगड़ा रिजेक्शन झेला है. इसी के चलते वह इतनी ऊंचाई पर पहुंच पाए हैं. इस रिजेक्शन के ही चलते उनके अंदर की आग, उनके अंदर का गुस्सा, उनके अभिनय में अलग तरह से उभर कर आता है.उनके किरदारों में वह नजर आता है.यही वजह की उन्होंने अपनी जिंदगी से भी कहीं बड़ा काम किया है. आपको पता होगा कि जब शाहरुख खान मुंबई आए थे, तब तक उनके माता पिता का देहांत हो चुका था. तो उनकी अपनी यात्रा रही है. वह भी अपनी जिंदगी में कई बार असफल हुए हैं. असफलता के बाद सुपरस्टार बने हैं. इन सभी लोगों ने अपने अंदर रिजेक्शन को सकारात्मक रूप से उभारा है. रिजेक्शन के बाद लोग किस तरह मजबूत व ताकतवर बन जाते हैं, इसकी भी इस वेब सीरीज में कथा है.
अब आप फिल्म व वेब सीरीज में से किसे प्राथमिकता देंगे?
देखिए, वेब सीरीज व फिल्म दोनों मीडियम काफी अलग नही है. फिल्म दो से तीन घंटे की अवधि की होती हैं. जबकि बीस से चालिस मिनट के छह से दस एपीसोड की वेब सीरीज होती हैं. वेब सीरीज मोबाइल पर आसानी से देख सकते हैं. फिल्म को सिनेमाघर में जाकर देखने में ही मजा आता है. ज्यादातर लोगों के पास थिएटर जाने का समय नही होता, वह अपनी सुविधा से मोबाइल पर डिजिटल प्लेटफार्म के वेब सीरीज देखते हैं. ओटीटी प्लेटफार्म पर करोड़ों करोड़ों रुपए खर्च कर वेब सीरीज बन रही हैं. मेरे लिए वेब सीरीज करना या फिल्म करना एक जैसा है. पर टीवी नहीं करना है. क्योंकि टीवी का कौंसेप्ट एकदम अलग है.
लेकिन फिल्म की जो लोकप्रियता होती है, वह वेब सीरीज से कभी नहीं मिल सकती?
फिल्म से पौपुलारिटी इसलिए मिलती है, क्योंकि वह बड़ी स्क्रीन पर आता है. लोग अपने दिमाग में एक राय बनाकर रखते हैं कि अगर थिएटर में आया, तो अच्छा ही होगा.
आपने फिल्म ‘‘कलंक’’ की है. क्या इसे आप मोबाइल पर देखते हुए इंज्वाय कर सकते हैं?
जी नहीं.. पर आप कहां ज्यादा इंज्वाय करते हैं, उससे ज्यादा जरूरी यह है कि आपके लिए सुविधाजनक क्या है.
मैं आपसे कलाकार के तौर पर पूछ रहा हूं?
एक कलाकार के तौर पर में बड़े पर्दे पर काम करना चाहूंगा. अगर मिल जाए तो बहुत बड़ी बात है.
फिल्मों में अभिनय के अलावा भी कुछ करना चाहेंगे?
जी हां!. करना तो बहुत कुछ है. मुझे निर्देशन का भी शौक है. मेरे सभी करीबी दोस्त, जानते हैं कि मेरे पास कैमरे से संबंधित सारे अत्याधुनिक उपकरण हैं. मसलन-सिनेमैटिक कैमरा, लेंसेस, पोस्ट प्रोडक्शन टूल्स वगैरह.. सब कुछ है. फिल्म बनाने के लिए जो होना चाहिए, वह सब कुछ मेरे पास है.
तो क्या घर में बैठकर कोई लघु फिल्म बनाई है?
जी हां! अभी मैंने एक शार्ट फिल्म ‘बिन कुछ कहे’ बनाई है, जो कि मैंने यूट्यूब पर रिलीज किया है. तो मुझे डायरेक्शन में भी शौक है. पर अभिनय को महत्व देता हूं. मुझे कैमरे के पीछे का ज्ञान हासिल करते रहने की आदत है. जब भी मेरा शौट नहीं होता है, मैं मोनीटर पर बैठ जाता था.
कोई नई फिल्म मिली?
अभी दो वेब सीरीज के औफर आए हैं. एक गोल्डी सर का ही है. एक वेब सीरीज मैंने रिजेक्ट की है, क्योंकि मुझे लगा कि अभी इसे करना मेरे करियर के लिए सही नहीं है. औफर आते रहते हैं, पर हमें सोचना कि हमें क्या करना है.
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