मशहूर भारतीय लैटिन और बौल रूम डांसर तथा बौलीवुड के मशहूर नृत्य निर्देशक संदीप सोपारकर ने अपने 18 वर्ष के नृत्य निर्देशन के करियर में काफी उपलब्धियां हासिल की हैं. वह एक मात्र भारतीय नृत्य निर्देशक व डांसर हैं, जिनकी तस्वीर और उनकी मुहीम ‘फार एक कौज’’ के ‘लोगों’ के साथ भूटान सरकार ने डाक टिकट जारी किया. हर क्षेत्र में कलाकारों का हौसला आफजाई करने वाली संस्था ‘‘इंडिया फाइन आर्ट कौंसिल’’ के अध्यक्ष हैं. वह पहले भारतीय हैं, जिन्हें जर्मनी के ‘बाल रूम डांस ट्रेनिंग स्कूल’ से बालरूम डांसर के रूप में प्रमाणित किया गया. उन्हें भारत सरकार की तरफ से भी तीन पुरस्कार दिए जा चुके हैं.  वह टीवी के रियालिटी शो में जज बनकर आ चुके हैं. उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि अब वह चंदा पटेल निर्मित और जैनेंद्र बख्शी निर्देशित अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘‘आई  एम  नाट ए पौर्न स्टार’’ में हीरो बनकर आ रहे हैं.

प्रस्तुत है संदीप सोपारकर के साथ हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश..

डांस में आ रहे बदलाव को आप किस तरह से देख रहे हैं?

मेरे हिसाब से डांस फैशन की तरह हैं. वह हमेशा एक सर्कल में घूमता रहता है. अगर हम बौलीवुड की बात करें, तो 70 के दशक में हेलन जी ने या शम्मी जी ने काफी ‘रौक एन रोल’ जैसे डांस किए थे. फिर ट्रेंड बदला और डिस्को डांस हो गया. फिर ब्रेक डांस आया. अब हिप हौप डांस काफी पौपुलर हो गया है. मेरा मानना है कि डांस के नए नए ट्रेंड आते रहते हैं. लेकिन जो क्लासिकल डांस हैं, वह स्थाई हैं. मेरा डांस बाल रूम डासिंग है, जो कि पश्चिम का क्लासिक डांस फार्म है. जबकि भारत में कत्थक व भरत नाट्यम क्लासिकल डांस है. यह हमेशा रहेंगे, नए डांस आएंगे व जाएंगे, पर क्लासिक डांस हमेशा रहेंगे. देखिए, वेस्टर्न क्लासिकल हो या इंडियन क्लासिकल डांस हो यह सदैव जिंदा रहेंगे. फिर चाहे वह फिल्म ‘देवदास’ का गाना हो या ‘कलंक’ का गाना हो, देखिए, क्लासिकल गाने और क्लासिकल डांस हमेशा सफल होंगे. क्योंकि इस तरह के डांस में हमारी अपनी सभ्यता संस्कृति का अंश होता है. जिस तरह से मैं वेस्टर्न डांस करता हूं, वह भी हमेशा रहेंगे.

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