समीक्षाः

फिल्म ‘ रिक्शावाल : दिल को छू लेने वाली फिल्म..’’

रेटिंग: तीनस्टार

निर्माता:अरित्रा दास,शर्बानी मुखजी,
निर्देशकः रामकमलमुखर्जी
कलाकारः अविनाश द्विवेदी, संगीता सिन्हा, कस्तूरी चक्रवर्ती
कैमरामैन: मधुरापालित
अवधिः 48 मिनट
ओटीटीप्लेटफार्म:बिगबैंग एम्यूजमेंट

कलकत्ता में सौ वर्ष से भी अधिक समय से हाथ से खींचे जाने वाले दोपहिए रिक्षा चल रहे हैं.इनमें से ज्यादातर रिक्षा वाला बिहारी,पूर्वी उत्तर प्रदेश या उड़ीसा का गरीब इंसान ही होता है.इस रिक्षावाला के हालात पर अतीत में 1953 में महान फिल्मकार बिमल रॉय ने उत्कृष्ट फिल्म‘‘दो बीघा जमीन’’ और 1992 मेें रिक्षा वाला की भूमिका में स्व.ओमपुरी को लेकर विदेशी फिल्मकार रोलैंड जो फनेफिल्म ‘‘द सिटी ऑफ ज्वॉय’’का निर्माण किया था.अब इन दोनों फिल्मकारों को श्रृद्धांजलि देते हुए फिल्मकार रामकमल मुखर्जी ऐसे ही रिक्षा वाला की व्यथा व पीड़ा का चित्रण करने वाली फिल्म‘‘रिक्षावाला’’लेकर आए हैं,जो कि कई अंतरराष्ट्रीय  फिल्म समारोहो में पुरस्कृत हो चुकी है.अब यह फिल्म 30 जून से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘बिग बैंग एम्यूजमेट’

हो रही है.रिक्षा कोलकत्ता का सौ साल पुराना पारंपरिक दो पहिया वाहन है,जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित किया हुआ है,मगर यह आज भी कोलकत्ता शहर की गलियों में अपनी आखिरी सांसें ले रहा है.फिल्म ‘रिक्षावाला’कोलकत्ता शहर को जीवित रखने वाले दो पहिया वाहन के माध्यम से पथ, प्रेम और मानवीय बंधन का चित्रण करती है.

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कहानीः
कहानी के केंद्रमें एक बुजुर्ग रिक्षा चालक धनी राम(ओमप्रकाष लाढ़ा )का परिवार है.उनके परिवार पत्नी के अलावा बेटा मनोज यादव(अविनाष द्विवेदी,)व बेटी चुटकी(तितली) है.धनीराम ने घर बनाने व रिक्षा खरीदने के लिए चंडीबाबू(विक्रमजीत )से कर्जले रखा है और हर दिन थोड़ी थोड़ी रकम वापस करते रहते हैं.बेटा मनोज यादव बी काम की पढ़ाई कर रहा है.उसने टैगोर वगैरह को पढ़ा है.मनोज यादव को एक बंगाली लड़की चुमकी(कस्तूरी चटर्जी)से प्यार है.चुमकी के पिता समझते हैं कि

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