निर्देशक सुपर्ण वर्मा ने अपनी इस फिल्म के टाइटल में लिखा है : ‘आत्मा : फील इट अराउंड यू’. इन तथाकथित आत्माओं पर पहले भी बहुत सी फिल्में बन चुकी हैं. विक्रम भट्ट ने इस तरह की कुछ पारलौकिक सब्जैक्ट पर फिल्में बनाई हैं लेकिन इस ‘आत्मा’ का ट्रीटमैंट कुछ अलग सा है. यह बाकायदा एक कहानी है और निर्देशक का उस कहानी पर नियंत्रण बना रहता है.

फिल्म की कहानी अभय नाम की एक ऐसी आत्मा (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की है, जो अपनी बेटी निया (डोयेल धवन) से बेहद प्रेम करती है पर उसे अपनी पत्नी माया (बिपाशा बसु) से नफरत है. उस आत्मा ने माया की जिंदगी को तबाह कर रखा है. निया के संपर्क में आने वाले कई लोगों को यह आत्मा मार चुकी है. यह आत्मा माया को खुली चुनौती देती है कि वह अपनी बेटी को ले जाएगी. उस आत्मा से अपनी बेटी को बचाने के लिए माया को खुद को मार कर आत्माओं की दुनिया में प्रवेश करना पड़ता है जहां वह अभय की आत्मा से मुकाबला कर उसे भस्म कर डालती है. वाह, क्या बेसिरपैर वाली कहानी है.

फिल्म का अभिनय पक्ष और स्पैशल इफैक्ट्स ठीक हैं. बिपाशा बसु का काम जरूर शानदार है. पार्श्व संगीत अच्छा है. छायांकन भी अच्छा है. 

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