जिस तरह रात भर फ्रिज में रख कर सुबह उसी बासी खाने को तड़का लगा कर पेश किया जाए, उसी प्रकार इस फिल्म की कहानी को मसालों का छौंक लगा कर पाकिस्तानी अदाकारा, जो आईस कैंडी ज्यादा लगती है, के साथ पेश किया गया है. बात करें इमरान हाशमी की, तो अब उस के ‘किस’ करने से झुरझुरी पैदा नहीं होती बल्कि बू आने लगती है. इस फिल्म में भी उसे पाकिस्तान की इस अदाकारा को चूमने के कई मौके मिले हैं. कभी वह उसे लिफ्ट में चूमता है तो कभी रूम में. अगर उस की ऐक्ंिटग की बात करें तो पूरी फिल्म में उस ने बेमन से काम किया है.

इस फिल्म में कई फिल्मों की नकल है. फिल्म की कहानी क्रिकेट के आसपास घूमती है, साथ ही इस में ठगी की करतूतों को भी अंजाम दिया गया है. ठगी की जो ट्रिक्स अपनाई गई हैं वे इतनी बेकार हैं कि यकीन ही नहीं होता कि एक अरबपति आदमी भी इन ठगों की चाल में फंस सकता है फिल्म की कहानी 2 ठगों, राजा (इमरान हाशमी) और राघव (दीपक तिजोरी) की ठगी की करतूतों से शुरू होती है. राजा की एक प्रेमिका है जिया (हुमैमा मलिक) जो एक बार में डांसर है. एक दिन राजा और राघव करोड़पति वर्धा यादव (के के मेनन) के आदमियों से ठगी कर के 80 लाख रुपए लूट लेते हैं. वर्धा यादव के आदमी राघव को मार डालते हैं.

राजा वर्धा से बदला लेने के लिए योगी (परेश रावल) के पास धर्मशाला चला जाता है. दोनों मिल कर एक योजना बनाते हैं. वे केपटाउन पहुंच जाते हैं, जहां वर्धा रहता है और उसे 100 करोड़ रुपए में नकली टी-20 क्रिकेट टीम बेच देते हैं. वर्धा को उन की चाल पता चल जाती है लेकिन तब तक दोनों वर्धा के 15 हजार करोड़ रुपए अलगअलग 15 अकाउंटों में ट्रांसफर कर वर्धा को कंगाल बना देते हैं.

फिल्म की यह कहानी कमजोर है. पटकथा भी ढीली है. गाने ठूंसे हुए लगते हैं. नटवरलाल के कारनामे सिहरन पैदा करने के बजाय हंसी ज्यादा पैदा करते हैं. योगी की भूमिका में परेश रावल को जाया किया गया है. वह थकाथका सा लगा है. वर्धा यादव की भूमिका में के के मेनन नाटकीय लगा है. पाकिस्तानी अदाकारा हुमैमा मलिक खूबसूरत लगी है. ऐसा नहीं है कि उसे अभिनय नहीं आता. उस ने अंतरंग दृश्य देने के साथसाथ अपने अभिनय से भी दर्शकों को चौंकाया है.

फिल्म मध्यांतर से पहले बहुत धीमी है. मध्यांतर के बाद फिल्म में गति आ पाती है. क्लाइमैक्स में क्या होगा, इस का अंदाजा पहले ही लग जाता है. फिल्म का गीतसंगीत साधारण है. फिल्म के अंत में डाला गया एक गाना अच्छा बन पड़ा है. छायांकन अच्छा है. केपटाउन की लोकेशनें अच्छी बन पड़ी हैं.

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