रेटिंगः डेढ़ स्टार
निर्माताः सी अश्विनी दत्त, प्रियंका दत्त, स्वप्ना दत्त
लेखकः नाग आश्विन व साई माधव बुर्रा
निर्देशकः नाग आश्विन
कलाकारः अमिताभ बच्चन,प्रभास, कमल हासन,दीपिका पादुकोण, सास्वता चटर्जी, शोभना, अनिल जॉर्ज, राजेंद्र प्रसाद, पसुपति, अन्ना बेन, मालविका नायर, अयाज पाशा, कीर्ति सुरेश,विजय देवराकोंडा, एस एस राजामौली,रामगोपाल वर्मा व अन्य.
अवधिः तीन घंटे तीन मिनट
दक्षिण के मशहूर फिल्मकार नाग अश्विन की नई फिल्म ‘‘कल्कि 2898 एडी’ 27 जून को सिनेमाघरों में पहुंची है, मगर साढ़े छह सौ करोड़ की लागत में बनी यह फिल्म बुरी तरह से सिर्फ निराश ही नहीं करती है बल्कि इंटरवल तक तो ‘टार्चर’ ही है. तीन घंटे की अवधि वाली यह फिल्म डायस्टोपियन साइंस फिक्षन व मैथोलौजिकल फिल्म है, मगर फिल्मकार ने कुछ देशी और कुछ विदेश फिल्मों (मैड मैक्स, गेम औफ थ्रोन्स, स्टार वार्स, लौर्ड औफ द रिंग्स ) के दृश्यों को भरने के अलावा सनातन धर्म,हिंदू धर्म आदि का महिमा मंडन करने के चक्कर में चूंचूं का मुरब्बा बना डाला.
पहले यह फिल्म 2022 में प्रदर्शित होने वाली थी.यह फिल्म 2019 से 2024 तक केंद्र में जो सरकार थी, शायद उसे खुश करने के लिए इस फिल्म का निर्माण किया था.पहले इस फिल्म का नाम ‘प्रोजेक्ट के’ था.आधे से ज्यादा फिल्माए जाने के बाद इसका नाम ‘कलकी 2898 एडी’ कर दिया गया. फिल्म के अंदर संवादो में भी ‘प्रोजेक्ट के’ को ही लेकर सवाल किए गए हैं.पता नही अश्विन नाग ने इस फिल्म को भगवान विष्णु के अवतार कलकी का नाम देकर प्रचारित किया गया. पर यह फिल्म 2022 में रिलीज नही हुई.तब इसे 26 जनवरी 2024 को रिलीज करने की घोषणा की गयी. फिर नौ मई 2024 की तारीख घोषित की गयी. अफसोस अब जब यह फिल्म 27 जून को प्रदर्षित हुई तो केंद्र में सरकार कुछ बदली हुई है.वैसे फिल्मकार ने ‘आदिपुरूष’ की तर्ज पर इसका भी बंटाधार करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी.
तेलुगू में फिल्मायी गयी यह फिल्म हिंदी,तमिल,मलयलम,कन्नड़ व अंग्रेजी भाषा में डब करके प्रदर्शित की गयी है.
कहानीः
फिल्म की कहानी महाभारत युद्ध के कुछ दृश्यों के साथ शुरू होती हैं.अभिमन्यू की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे की बात होती है,युद्ध के मैदान पर कृष्ण और अश्वत्थामा के बीच युद्ध होता है. युद्ध में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को परास्त करने के बाद भगवान कृष् ण,अष्वत्थामा को मृत्यु दंड देकर मुक्ति देने की बनिस्बत अमरत्व यानी कि जीवित रहने का श्राप देकर तिल तिल गलने के लिए अनंत काल तक धरती पर छोड़ देते हैं.वह कहते है कि छह हजार वर्ष बाद जब संसार का विनाश हो जाएगा,तब वह विष्णु के दसवें अवतार कल्की के रूप में जन्म लेंगे,उस वक्त अश्वत्थामा को उनकी रक्षा करनी होगी. उसके बादही मुक्ति मिलेगी.
फिर कहानी शुरू होती है छह हजार वर्ष बाद यानी कि वर्तमान से 874 वर्ष बाद के काशी शहर से.जो अब वीरान व उजाड़ है. यह उन दिनों की काशी है जब गंगा में पानी नहीं है. हवा में औक्सीजन नहीं है. बरसों से किसी ने पानी बरसते नहीं देखा है.पानी सहित हर तरह की समस्या है.फिल्म में एक संवाद है-‘‘लोगों के पाप धोते धोते गंगा का पानी सूख गया.’’इसी काशी शहर के उपर यूटोपियन शहर ‘काम्प्लेक्स’ है,जिस पर दुष्ट झुर्रीदार, सिकुड़े हुए तानाशाह सुप्रीम यास्किन (कमल हासन) का आधिपत्य है,पूरे विष्व में ‘काम्प्लेक्स’ ही एकमात्र रहने योग्य शहर है.सुप्रीम यास्किन के दल में कमांडर मानस (सास्वत चटर्जी) और सुप्रीम यास्कीन का दाहिना हाथ एक घुंघराले बालों वाला भविष्यवक्ता(अनिल जॉर्ज) शामिल हैं, जो दैवीय हस्तक्षेप और प्राचीन हथियारों गांडीव या धनुष के बारे में अंधेरे से बात करता है. सुप्रीम यास्कीन के ‘काम्प्लेक्स’ में एक प्रयोगशाला है.यास्किन दुनिया का सबसे शक्तिशाली आदमी बनने के लिए गर्भवती महिलाओं से सीरम निकलवा कर खुद उपयोग कर अपनी उम्र घटाने के प्रयास में लगे हुए हैं.यास्कीन तक सिर्फ उनका कमांडर ही पहुंच सकता है,वही हर बार सीरम लेकर जाता है,जिस गर्भवती लड़की/महिला के गर्भ से सीरम निकाला जाता है,उसकी उसी वक्त मौत हो जाती है.उधर अच्छी जिंदगी जीने के लिए जब भैरव (प्रभास) नामक एक इनामी शिकारी कैम्प्स में प्रवेश करने की कोशिश में लगा हुआ है.इसी बीच पता चलता है कि सुमति (दीपिका पादुकोण) गर्भवती है.अब उसका सीरम निकाले जाने की बारी है.मगर एक विद्रोही कायरा (अन्ना बेन ) ,सुमति को कॉम्प्लेक्स से भगाती है,तथा उसके हमवतन (पसुपति और पाशा) बिल्कुल सही समय पर पहुंचकर सुमति को संभाला पहुॅचा देते है.कौम्पलेक्स में घुसने के लिए अपनी जगह बनाने के मकसद से भैरव,सुमति को पकड़ने निकलता है.उसी वक्त अश्वत्थामा (अमिताभ बच्चन) को अहसास होता है कि कल्की का जन्म होने वाला है और वह सुमति की रक्षा के लिए कमर कस लेता है.आठ फुट लंबे कद और हाथ में लोहे का उंउा रखने वाले अष्वत्थामा,भैरव से लड़ते हैं.कुल मिलाकर यह कहानी यह कहानी 3102 ईसा पूर्व में महाभारत की घटनाओं, कलियुग की शुरुआत से लेकर 2898 ईस्वी तक की सहस्राब्दियों तक की यात्रा का वर्णन करती है.कथा का मूल हिंदू देवता विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार कल्कि की रहस्यमय छवि के आगमन की भनक तक की है.
समीक्षाः
एक बेहतरीन आइडिया पर घटिया पटकथा वाली फिल्म है.जी हां!काफी लचर व कमजोर पटकथा के चलते यह फिल्म दर्शकों को बांधकर रखने में असफल रहती है. सेट,कास्टयूम ,वीएफएक्स पर काफी पैसा खर्च किया गया.मगर कहानी,पटकथा व संवाद पर कोई मेहनत नही की गयी. फिल्म में सनामन धर्म का महिमा मंडन करते हुए महाभारत की पौराणिक कहानियों को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है.ग्रे किरदारो को अच्छा बताने का प्रयास किया गया है.फिर चाहे वह अश्वत्थामा हो या कर्ण हो.सर्वविदित है कि अश्वतथामा ने ही अर्जुन के पांच पुत्रों की हत्या कर दी थी. कर्ण को प्रभास के किरदार भैरव से जोड़ना भी गलत है. फिल्म में अपरोक्ष रूप से भ्रूण हत्या को प्रोत्साहित ही किया गया है.. क्या फिल्मकार ने यह उचित काम किया है? फिल्म के सभीे एक्शन दृश्य किसी न किसी हौलीवुड फिल्म की नकल मात्र नजर आते हैं.
फिल्म मूलतः तेलुगु भाषा में फिल्मायी गयी है,बाद में हिंदी में उब किया गया है.हिंदी की डबिंग कमजोर है..उच्चारण दोष है.कई किरदार के संवादों के उच्चारण सही न होने पर इमोशन भी मार खा जाता है. फिल्म थ्री डी में बनायी गयी है,मगर एक भी दृश्य ऐसा नही है, जिसमें थ्री डी की जरुरत रही हो.
इसके अलावा बेवजह के सिर पैर वाले कई किरदार गढ़कर कहानी को विस्तार दिया गया है.फिल्म में इतने सारे किरदार है कि इंटरवल से पहले नब्बे मिनट की कहानी में समझ में ही नही आता कि आखिर कौन क्या कर रहा है और वह फिल्म में क्यो हैं? इंटरवल से पहले के नब्बे मिनट तो दर्शक को दिमागी टौर्चर देते हैं.बेचारा दर्शक सो जाता है.कुछ दर्शक सिनेमाघर छोड़कर भाग जाते हैं. यास्किन व सुमति की पृष्ठभूमि पर फिल्म मौन रहती हैं. यास्किन ने यह संसार कैसे रचा? कौम्प्लेक्स में लड़कियां गर्भवती कैसे होती हैं,यह भी एक रहस्य है.
फिल्म का अंतिम बीस मिनट का क्लायमेक्स बेहतरीन है. कम्प्यूटर ग्राफी और वीएफएक्स अच्छा है. फिल्म का इंटरनेशनल लुक नजर आता है,मगर बाकी सब बेकार है.पूरी फिल्म मनोरंजन व इमोषन के नाम पर शून्य है. फिल्म में जोर्डजे स्टोजिलजकोविक की सिनेमैटोग्राफी उत्कृष्ट है. संगीतकार संतोष नारायण का संगीत औसत दर्जे से भी निचले स्तर का है.
अभिनयः
अश्वत्थामा के किरदार में अपने 80 साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन अपने अभिनय की बदौलत लोगों के दिलों दिमाग पर छा जाते हैं.उनका लुक, डायलाग डिलीवरी और स्टंट कमाल के हैं. फिल्म में भैरव का किरदार निभाने वाले अभिनेता प्रभास ने काफी निराश किया है.इस फिल्म से उनका करियर बर्बाद ही होना तय है.वैसे भी पिछले सात वर्षों में हिंदी में ‘बाहुबली एक’ और ‘बाहुबली 2’ के बाद प्रभास की ‘साहो’,‘आदिपुरूष’,‘राधेश्याम’, ‘सालार’ सहित एक भी फिल्म बाक्स आफिस पर सफल नही हुई है.फिल्म में पहले भैरव निगेटिव किरदार में हैं,उसके बाद वह उन्हें कर्ण बताया गया.उन्होने निराश ही किया है.पता नही नाग अश्विन ने प्रभास के किरदार भैरव को हास्य किरदार क्यों बनाया? कमल हासन का किरदार काफी छोटा है,शायद इसे दूसरे भाग में ठीक से चित्रित किया जाएगा.
दीपिका पादुकोण गर्भवती होने का स्वाभाविक अभिनय करने में विफल रही हैं.अभिनय के मामले में वह शून्य हैं.कमल हासन के हिस्से करने को कुछ रहा ही नही.राम गोपाल वर्मा ,सलमान दुलकर,दिशा पाटनी ने भी निराश किया है.सुप्रीम यास्कीन के दाहिने हाथ के किरदार में अभिनेता अनिल जार्ज प्रभावित करते हैं.अपनी मुट्ठी से घातक लेजर किरणें निकालने वाले कमांडर के किरदार में सास्वत चटर्जी भी ठीक ठाक हैं.