रेटिंग : 5 में से 1 स्टार

महात्मा गांधी की जीवनी पर अब तक कई फिल्में, डौक्यूमैंट्री बन चुकी हैं जबकि पिछले 3-4 सालों के दौरान महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम विनायक गोडसे पर कुछ फिल्में भी बनी हैं. अब फिल्मकार हैदर काजमी फिल्म ‘आई किल्ड बापू’ ले कर आए हैं, जिस में नाथूराम विनायक गोडसे अदालत के अंदर महात्मा गांधी की हत्या करने की बात कुबूल करते हुए इस की वजह बताते हैं.

गोडसे के अनुसार, महात्मा गांधी ने उन के ‘अखंड भारत’ यानि ‘अविभाजित भारत’ और हिंदू राष्ट्र के सपने को तोड़ दिया. यह फिल्म महात्मा गांधी की हत्या के बाद गिरफ्तार नाथूराम गोडसे के परिप्रेक्ष्य की पड़ताल करती है. फिल्म गोडसे की मानसिकता पर रोशनी डालते हुए राष्ट्रपिता की हत्या के पीछे गोडसे के उद्देश्यों की जांच करती है.

फिल्म शुरू होने से पहले ही डिस्क्लैमर में कहा गया है कि फिल्म उन घटनाओं से प्रेरित है, जो सार्वजनिक डोमेन में है और इस का उद्देश्य उन घटनाओं को सटीक रूप से प्रतिबिंबित करना नहीं है जो घटित हो सकती हैं.

कहानी : नाथूराम गोडसे की किताब ‘मैं ने गांधी का वध क्यों किया’ पर आधारित इस फिल्म की शुरुआत में वायस ओवर से भारत में मुसलिम कट्टरपंथियों के आगमन, फिर अंगरेजों के शासन, आजादी की लड़ाई व देश के विभाजन की बात को 10 मिनट में कहती है. उस के बाद नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या करने और घातक गोलियां चलाने से पहले अपना पक्ष समझाने के लिए उन के साथ एक संक्षिप्त बातचीत से होती है.

हत्या के बाद कहानी सीधे अदालत के अंदर चली जाती है, जहां गोडसे को अपना बचाव पेश करने का मौका दिया जाता है. इस के बाद नाथूराम विनायक गोडसे एक लंबे मोनोलौग में समझाने का प्रयास करता है कि गांधी से उन की निजी दुश्मनी नहीं थी. वह तो खुद गांधीजी के प्रशंसक हैं मगर देश के विभाजन के बाद सामने आई घटनाओं के चलते गांधी की हत्या जरूरी थी.

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