औनर किलिंग पर बनी इस फिल्म में जैकी श्रौफ के बेटे टाइगर श्रौफ ने हीरोपंती दिखाने की कोशिश की है. उस ने बारबार अपनी शर्ट उतार कर अपनी जिम बौडी और एब्स दिखाए हैं तो बू्रस ली की तरह ऐक्शन दृश्य किए हैं. वह उछल कर ऊंचीऊंची दीवारों पर चढ़ा है तो डांस भी किए हैं. मगर जो उस ने नहीं किया वह है ऐक्ंिटग. 2 साल तक ऐक्ंिटग सीखने के बाद भी ऐक्ंिटग में वह नौसिखिया दिखा है.

यह फिल्म 2008 में आई तेलुगु फिल्म ‘परुगू’ की रीमेक है. फिल्म बहुत लाउड है. टाइगर श्रौफ का चेहरा पूरी फिल्म में फ्लैट है. फिल्म की दोनों नायिकाएं कठपुतली जैसी लगती हैं जो अपने परिवार के दबंग पुरुषों के इशारों पर चलती हैं और उन की जबान से डर के मारे बोल तक नहीं फूटते. दोनों नायिकाओं की संवाद अदायगी भी खराब है.

कहानी एक ऐसे जाट गांव की है जहां लड़कियों का प्यार करना गुनाह माना जाता है. ऐसे ही एक दबंग परिवार का मुखिया है चौधरी (प्रकाश राज). उस की 2 बेटियां हैं. बड़ी बेटी रेनू (संदीपा धर) और छोटी डिंपी (कृति सेनन). रेनू शादी वाले दिन अपने प्रेमी के साथ घर से भाग जाती है. चौधरी अपनी बेटी के प्रेमी के दोस्तों को पकड़ लाता है. इन में बबलू (टाइगर श्रौफ) भी है. चौधरी की कैद में रह कर बबलू को चौधरी की दूसरी बेटी डिंपी से प्यार हो जाता है. चौधरी बबलू और उस के दोस्तों को साथ ले कर रेनू को ढूंढ़ने निकलता है. उसे दिल्ली में रेनू और उस का प्रेमी मिल जाते हैं. चौधरी के परिवार वाले उन दोनों को मार डालते हैं.

अब चौधरी डिंपी की शादी की तैयारी करता है. ऐन शादी वाले दिन बबलू और उस के दोस्त डिंपी को किडनैप करने के लिए मंडप में पहुंचते हैं. चौधरी बबलू और डिंपी के प्यार को देख कर पसीज जाता है और डिंपी का हाथ बबलू के हाथों में दे देता है. फिल्म की यह कहानी मध्यांतर से पहले तो एकदम फुस्स है लेकिन मध्यांतर के बाद फिल्म में जान आती है. फिल्म के इस भाग में टाइगर श्रौफ के बढि़या ऐक्शन सीन देखने को मिलते हैं. फिल्म का निर्देशन साधारण है. निर्देशक ने टाइगर श्रौफ को हाईलाइट करने के लिए कैमरा ज्यादातर उसी पर रखा है. चेहरेमोहरे से वह हीरो नहीं लगता. हीरोइन के मुकाबले उस की उम्र कम लगती है.

फिल्म के सारे कलाकार नए हैं. प्रकाश राज को छोड़ कर कोई कलाकार प्रभावित नहीं करता. फिल्म का संगीत साजिदवाजिद ने दिया है. सभी गीत अच्छे फिल्माए गए हैं.

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