दिल धड़कने दो
बहुत से जानेमाने कलाकारों को ले कर यूरोप के एक कू्रज पर फिल्माई गई यह फिल्म विजुअली अच्छी बन पड़ी है. निर्देशिका जोया अख्तर ने एक धनाढ्य वर्ग के परिवार की समस्या को फिल्म में उठाया है. उस का मानना है कि कोई भी परिवार परफैक्ट नहीं होता, चाहे वह मध्यवर्ग का हो या उच्चवर्ग का. हर परिवार में कुछ दिक्कतें, उलझनें होती हैं. धनाढ्य वर्ग की समस्याएं भी मध्यवर्ग जैसी ही होती हैं. वे भी अपने बेटाबेटी में फर्क करते हैं. खुद चाहे बड़ी उम्र में भी फ्लर्ट करते हों पर चाहते हैं कि उन के बेटेबेटियां उन की मरजी से शादी करें. इसी जद्दोजहद में पारिवारिक रिश्तों में तनाव आ जाता है और वे उलझते चले जाते हैं. जोया अख्तर की यह फिल्म खोखले रिश्तों की बात करती है. लोग अपने स्टेटस के प्रति बहुत कौंशस रहते हैं. पार्टियों में वे खुद को ऐसा दिखाते हैं मानो वे सब से ज्यादा सुखी हों परंतु उन के परिवार के सदस्यों में हर वक्त तनाव बना रहता है.
यह फिल्म उन दर्शकों के लिए है जो मारामारी या ऊटपटांग फिल्में देखने से परहेज करते हैं. लंबाई ज्यादा है. पहला 1 घंटा तो निर्देशिका ने किरदारों का परिचय कराने में ही जाया कर दिया है. इसलिए मध्यांतर से पहले फिल्म कुछ बोझिल सी है. रोमांटिक सीन देखने वालों को भी फिल्म निराश करती है. फिल्म की कहानी एक पंजाबी मेहरा परिवार की है. कमल मेहरा (अनिल कपूर) अरबपति हैं. वे हर वक्त अपनी पत्नी नीलम मेहरा (शेफाली शाह) पर अपने पैसों का रौब झाड़ते रहते हैं. कबीर मेहरा (रणवीर सिंह) उन का बिगड़ैल बेटा है. बिजनैस करने में वह जीरो है. कमल मेहरा की बेटी आयशा मेहरा (प्रियंका चोपड़ा) उन के मैनेजर के बेटे सनी (फरहान अख्तर) से प्यार करती थी तो कमल मेहरा ने सनी को पढ़ने के लिए अमेरिका भेज दिया और बेटी की शादी अपनी पसंद के लड़के मानव (राहुल बोस) से कर दी थी. आयशा अपने पति को पसंद नहीं करती.
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