एक अच्छे स्क्रिप्ट पर भी हर निर्देशक बेहतरीन फिल्म नही बना सकता. निर्देशक मुनीष भारद्वाज की अपनी कमजोरियों और गलतियों की वजह से फिल्म ‘मोह माया मनी’ एक अति साधारण फिल्म बनकर रह गई. फिल्म के क्लायमेक्स ने फिल्म को बर्बाद कर दिया.
रोमांचक फिल्म ‘मोह माया मनी’ की कहानी है मध्यमवर्गीय परिवार के दिव्या मेहरा(नेहा धूपिया) और अमन मेहरा(रणवीर शौरी) की. दोनों पति पत्नी हैं. दिव्या मेहरा एक मीडिया कंपनी में कार्यरत हैं. जब कि अमन एक रियल एस्टेट से जुड़ी कंपनी में कार्यरत हैं. दिव्या के कंपनी में ही कार्यरत कबीर के साथ संबंध हैं. अमन रातों रात अमीर बनना चाहता है. उसे लगता है कि उसकी कंपनी उसका शोषण कर रही है. इसलिए वह एक बड़ी कंपनी को 25 फ्लैट बेचने का सौदा करता है. तो वहीं बीच का रास्ता निकालकर अपने लिए साढ़े तीन करोड़ रूपए जुटाता है. वह एक ब्रोकर रघु से 25 फ्लैट बिकवाने के लिए 50 लाख रूपए लेकर अपने लिए एक जमीन का प्लॉट बुक कराकर 45 लाख एडवांस में दे देता है.
मगर मामला बिगड़ जाता है. अमन का यह गोरखधंधा अमन की कंपनी के मालिक को पता चल जाता है. अब सौदा रद्द हो जाता है. अमन की नौकरी चली जाती है. नियम के अनुसार अमन को उसके 35 लाख वापस नहीं मिलते, पर उसे रघु को पचास लाख रूपए वापस देने हैं. रघु उसे प्रताड़ित करता है. तब अमन एक योजना बनाता है. योजना के तहत वह खुद को मरा हुआ घोषित कर देगा, जीवन बीमा से दिव्या को पैसे मिलेंगे, दिव्या उन पैसों से रघु का कर्ज चुकायेगी और इस के बाद बचे पैसों से वह लोग दूसरे शहर में जाकर जिंदगी जिएंगे.
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