Child Theft Gang : दिल्ली समेत देशभर में ऐसे मामले दर्ज हो रहे हैं जिन में बच्चा चोर गिरोह नवजात बच्चों की चोरी कर उन्हें बेच डालता है. जानें कि कैसे सुनियोजित तरीके से यह घिनौना धंधा चल रहा है.

जुलाई की उमसभरी दोपहर. एनसीआर में कांवड़ यात्रा की गहमागहमी. इस बीच, फरीदाबाद टोल प्लाजा के पास अचानक एक लावारिस बच्चा दिखाई देता है. पुलिस पहुंचती है, बच्चा सकुशल होता है और कुछ ही दिनों बाद उस के मांबाप तक उसे पहुंचा दिया जाता है. सबकुछ सामान्य लगता है. लेकिन नहीं, यह कोई गुमशुदगी नहीं थी. 2 साल बाद दिल्ली पुलिस ने जो रहस्य खोला वह बेहद खौफनाक था.

दरअसल, यह एक सुनियोजित बाल तस्करी का मामला था, जिस में मासूम बच्चों को किडनैप कर उन्हें अवैध रूप से बेचने का नैटवर्क अपना घिनौना कृत्य कर रहा था. हैरानी और आश्चर्य यह कि इस नैटवर्क की कमान किसी डौन या गैंगस्टर के पास नहीं थी बल्कि 3 आम महिलाएं इसे चला रही थीं.

कौन थीं गिरोह की सरगनाएं

आरती उर्फ रजीना कोती : पश्चिम बंगाल से भाग कर फरीदाबाद में बसने वाली महिला, जिस ने अपनी पहचान और जिंदगी दोनों बदली.

कांता भुजेल : फरीदाबाद की नर्स, जो खुद को ‘डाक्टर प्रिया’ बताती थी और बच्चा न पाल सकने वाले जोड़ों की तलाश करती थी.

निर्मला नेम्मी : दिल्ली में वकीलों के लिए काम करने वाली अकाउंटैंट, जिस की जिम्मेदारी थी फर्जी दस्तावेज तैयार करना.

ये तीनों महिलाएं सुनियोजित तरीके से स्टेशन से बच्चों का अपहरण करतीं, उन्हें खरीदारों तक पहुंचातीं और नकली कानूनी दस्तावेजों के जरिए सबकुछ वैध दिखाने का प्रयास करतीं.

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