नौ महिला किरदारों,उनकी जिंदगी व समस्याओं का फिल्म ‘‘हलकी फुलकी’’ में चित्रणस्कूल व कालेज मैनजमेंट द्वारा टीचरों के साथ किए जाने वाले दुव्र्यवहार पर आज से पांच वर्ष जयंत गिलाटर ने फिल्म ‘‘चाक एन डस्टर’’ का निर्माण कर हंगामा मचाया था. शबाना आजीम,जुही चावला,दिव्या दत्ता जैसे कलाकारों के अभिनय से सजी इस फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली थी.इसके बाद गुजराती सिनेमा की चिरपरिचित शैली यानी राजे रजवाड़ों की कहानी सुनाने की बजाय एक अति संजीदा विषय पर गुजराती फिल्म ‘‘गुजरात 11’’ लेकर आए थे,

जिसे कई अवार्ड मिले और इस फिल्म को ‘नेशनल अर्काइब’ में रखा गया है.अब वह एक कदम आगे बढ़कर नौ महिला किरदारों  के इर्द गिर्द घूमने वाली कहानी पर गुजराती में हास्य फिल्म ‘‘हलकी फुलकी’’ लेकर आए हैं,जो कि सत्रह दिसंबर को सिनेमाघरो में पहुॅचेगी.फिल्म के सभी नौ महिला किरदार आपस में दोस्त हैं.इस फिल्म में दोस्ती तथा महिलाओं के जीवन की समस्याओं,चुनौतियों का चित्रण है.फिल्मकार जयंत गिलाटर के अनुसार यह नौ महिलाएं नौ रस की प्रतीक हैं.

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गुजराती सिनेमा ही नही बल्कि गुजराती रंगमंच पर भी हास्य परोसने के लिए महिला किरदारों को सम्मानजनक तरीके से पेश नही किया जाता.मगर फिल्म ‘‘हलकी फुलकी’में ऐसा नही है.खुद लेखक व निर्देषक जयंत गिलाटर कहते हैं-‘‘गुजराती नाटकों में महिला किरदारों को इज्जत नही मिलती है,मगर हमारी फिल्म में महिला किरदारों को पूरा सम्मान दिया गया है.हम औरतों की इज्जत करते हैं.हमने दूसरे फिल्मकारों की तरह महज लोगों को हंसाने के लिए किसी भी महिला पात्र की डिग्निटी को कम नही किया है.इन नौ महिलाओं के बिना यह फिल्म बन ही नही सकती थी.

फिल्म की यूएसपी यह है कि हमारे आस पास जो महिला पात्र हैं,उन्ही में से यह कहानी गढ़ी गयी है.यह नव दुर्गा है.यह फिल्म महिला प्रधान है,जिसमें नौ हीरोईने हैं.संवाद लेखक भी महिला है.इसमें तीन गाने हैं.’’‘शिवम सिनेमा वीजन’ और ‘जेजे क्रिएशन’ निर्मित फिल्म ‘‘हलकी फुलकी’’मे नेहा मेहता,दिषा उपाध्याय,पूर्वी देसाई,आनंदी त्रिपाठी,जायका याज्ञनिक,रचना पटेल,भाविनी जोशी आदि महिला कलाकारों ने अभिनय किया है.जबकि इसकी संवाद लेखक गीता माणिक हैं.

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अतीत में कई गुजराती फिल्मों में अभिनय कर चुकी और ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ 2020 तक अंजली मेहता का किरदार निभा चुकी अभिनेत्री नेहा मेहता पूरे दस वर्ष बाद फिल्म‘‘हलकी फुलकी’ से गुजराती सिनेमा में वापसी की है.इस फिल्म के संदर्भ में वह कहती हैं-‘‘‘‘बहुत अच्छा अनुभव रहा.इसमें मुझे कई अनुभवी कलाकारों और रचनात्मक लोगों के साथ काम करने का अनुभव मिला.हमें इस फिल्म के माध्यम से समाज के लिए मनोरंजन के साथ कुछ अच्छा करने का अवसर मिला.इस फिल्म में अभिनय करते हुए मुझे धन कमाने के साथ ही काफी कुछ सीखने का अवसर मिला.

इस फिल्म में अभिनय करके हमें गौरव का अहसास हो रहा है.इस फिल्म में कई गंभीर बातों को हलके फुलके तरीके से समझाया गया है.इस फिल्म में आप सभी की कहानियों को आप सभी के सामने रखा है.इस फिल्म को देखकर सारे दुःखों को हटाकर खुशियां कैसे ली जाए,यह सीख मिलेगी.हमने इसमें एकजुट होने की भी सलाह दी गयी है.’’अभिनेत्री रचना ‘हलकी फुलकी की चर्चा करते हुए कहा- ‘‘पुरूषों की दोस्ती वाली कई फिल्में बनी है.पर औरतों की दोस्ती पर यह पहली फिल्म है.यह फिल्म हंसाने के साथ रूलाएगी.यह फिल्म यह संदेश देती है कि परिवार के साथ ही दोस्ती का भी महत्व है.यदि आप अपने दोस्तों से दूर हो गए हैं,तो पुनः उनके साथ दोस्ती जोड़िए.’’

कई टीवी सीरियलों में अभिनय कर चुकी पूर्वी देसाई की यह पहली फिल्म है.वह कहती हैं-‘‘जब मेरे पास जयंत सर इस फिल्म का आफर लेकर आए,तो मैं समझ नहीं पा रही थी कि नौ हीरेाईनों को किस तरह से कहानी में ढाला जाएगा.पर जयंत सर ने मुझे कविंस किया और मैने फिल्म की.अब खुश हॅूं.मुझे सेट पर सभी कलाकारों का भरपूर सहयोग मिला.सभी ने बेहतरीन अभिनय किया है.’’अभिनेत्री भाविनी जोशी कहती हैं-‘‘समाज में यह गलत फहमी है कि जहां औरतंे इकट्ठा होती हैं,वहां झगड़े होते हैं.जबकि हकीकत में पुरूषों के झगड़े मारा मारी तक पहुॅच जाते हैं.एक दूसरे को मार डालने या बर्बाद कर देने की बात करते हैं.मानव स्वभाव के अनुसार हर किसी के विचार भिन्न होना स्वाभाविक है.यह फिल्म सिर्फ महिलाओं के लिए नही है.पुरूष वर्ग इस फिल्म को देखकर अपनी बेटी,बहन,पत्नी को ज्यादा बेहतर ढंग से समझ सकेंगे.’’

टीवी सीरियलों की चर्चित अदाकारा दिशा उपाध्याय के कैरियर की यह पहली फिल्म है.फिल्म में वाणी का किरदार निभाने वाली दिशा उपाध्याय ने कहा-‘‘यह फिल्म स्लाइस आफ लाइफ है.यॅूं तो हर औरत ताकतवर होती है.पर यह फिल्म इस बात का संदेष देेती है कि जब सभी नौ रस एक साथ आ जाएं,तो कितनी ताकत बढ़ सकती है.मैने जयंत सर की फिल्में देखी हुई हैं.जयंत सर ने हमें खुले आसमान मे पंख फैलाकर उड़ने का आत्म विष्वास दिया.’’आनंदी त्रिपाठी ने कहा -‘‘यह फिल्म गुजराती फिल्म इंडस्ट्ी मंे एक नया बदलाव लेकर आएगी.सभी की केमिस्ट्री बहुत अच्छी रही.

इसमें संदश है कि हर महिला हर तरह की समस्या के बावजूद अपनी सोच के साथ एक दूसरे की मदद करने को तत्पर रहती है.’’जायका याज्ञनिक ने कहा-‘‘इसमें मेरा किरदार मेरे जीवन के एकदम विपरीत है.मंैने इसमें काठियावाड़ी महिला का किरदार निभाया है.मेरे किरदार का नाम पाॅलिसी भाभी है.मैं बडोदा की रहने वाली हॅूं.ऐसे में मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती काठियावाड़ी जुबान को पकड़ना था.मेरे किरदार की यात्रा काफी खूबसूरत है.गुजराती फिल्मों में इस तरह के विषय पर अब तक कोई फिल्म नही बनी.जबकि हर लड़की के जीवन मंे उसकी सहेलियंा सदैव अहमियत रखती हैं.यह फिल्म दोस्ती,हैप्पीनेस,एक दूसरे को किस तरह से संभालते हैं,आदि का चित्रण है.इसमें हर किरदार का अपना संघर्ष है.’’

फिल्म में किन समस्याओं का चित्रण है?इस सवाल पर जयंत गिलाटर कहते हैं-‘‘कई समस्याओं का चित्रण है.मसलन -मुझे एक चीज लेनी है,वह नहीं मिली,तो मैं समस्याओं में फंस जाउंगा.मगर मैं अपने दोस्तो से नही मांग सकता.मैं मांग कर अपना स्टेटस कम नही कर सकता.फिल्म में जब किसी दोस्त को पता चलता है,तो वह किस तरह सामने आए बगैर मदद कर देता है.उसकी कहानी है.मसलन- एलआईसी पाॅलिसी की बात है.हम सभी एलआईसी की पाॅलिसी लेते हैं.हमारे घर मे नौकर व ड्ायवर होते हैं,जो कि एलआई सी पाॅलिसी नही लेते.फिल्म में एक किरदार ‘पाॅलिसी भाभी’ की मदद करने के लिए रोटरी क्लब के सदस्यों से कहकर उन्हे अपने वर्करों व ड्यवरां की एलआईसी पाॅलिसी करवाने के लिए कहती है.कुछ का पैसा वह भी भर देती है.वह अपनी सहेली की मदद करना चाहती है,पर ‘पाॅलिसी भाभी’ के स्वाभिमान को भी आहत नहीं करना चाहती.’’

फिल्म के अन्य किरदारों के संदर्भ में जयंत गिलाटर कहते हैं-‘‘नेहा मेहता और आनंदी त्रिपाठी ने इंटीरियर डिजायनर का किरदार निभाया है.दोनो सहेली भी हैं.दिषा ने यूट्यूब के लिए वीडियो बनाने वाली महिला का किरदार निभाया है.इन्हे अभिनय का षौक था.षादी के बाद पति के घर आ गयी.जिसके बाद उनका सपना अधूरा रह गया.उनकी एक सहेली मानसी वाॅइस ओवर आर्टिस्ट है.वह उसे सपोर्ट करती है,उसे वीडियो बनाने के लिए प्रेरित करती है.उसके वीडियो लोकप्रिय हो जाते हैं और लोग उसके साथ फोटो खिंचाने के लिए आने लगते हैं.इससे वह खुष होती है.एक टाॅम ब्वाॅय जैसा किरदार है.जो कि घर का सारा काम करती रहती है.लोग उस पर ताने मारते है कि उनकी बहू तो सीए हैं.इतना कमाती है.तब उस किरदार का ससुर कहता है.हमारी बहू भी काम करती हैं.मेरा व सास का काम करना.बेटी को स्कूल ले जाना वगैरह वगैरह…अब तो बताओ कि इससे यह कितना बचत करती है.यह बचत ही प्राॅफिट है.यह मेरी बहू नहीं बल्कि बेटी है.’’

फिल्म ‘‘हलकी फुलकी’’में रचनात्मक निर्माता आषु पटेल कहते हैं-‘‘ हमारी फिल्म में इमोशन भी हैं.इसमें सभी नौ सहेलियां एक दूसरे की समस्याओं को हल करने के लिए मदद करती रहती हैं.’’

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