बॉलीवुड और हॉलीवुड में नाम कमा चुके अभिनेता इरफ़ान खान की मत्यु ने बॉलीवुड में शोक की लहर दौर गयी. 54 साल के इरफ़ान खान न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित थे,जिसका इलाज़ उन्होंने विदेश में जाकर करवाया थाऔर इस बीमारी को दर्शकों के साथ शेयर भी किया था. वे ठीक होकर वापस मुंबई आये और ‘अंग्रेजी मीडियम’ फिल्म की शूटिंग राजस्थान में की,जो लॉक डाउन के चलते केवल दो दिन सिनेमाघरों में दिखी थी.मंगलवार की सुबह वे बाथरूम में गिर गए थे औरकोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती हुए थे.
डाक्टरों के अनुसार उनकी कोलोन इन्फेक्शन की समस्या बढ़ गयी थी.जिससेआज सुबह उनका देहांत हो गया. वे एक संजीदा दिल इंसान थे और हमेशा हंसकर बात करते थे. वे जिन्दंगी को अपने तरीके से जीना पसंद करते थे और जब भी इंटरव्यू किया. उनकी जिन्दादिली देखने को मिलती थी. यही वजह है कि उनकी फिल्में भी अलग और प्रभावी रही. उन्होंने हमेशा लीक से हटकर फिल्में की और हर किरदार में अभिनय से जान डालाहै. उन्होंने टीवी से लेकर फिल्में,जहाँ भी काम किया सफल रहे.
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हालाँकि उनका शुरूआती जीवन संघर्ष से भरा था,लेकिन उन्हें अपने पर विश्वास था कि वे एक दिन कामयाब होंगे. उनकी पत्नी सुतपा सिकदार का उनकी कामयाबी में बहुत बड़ा हाथ कहते रहे, जिन्होंने हर समय हर काम में उनका साथ दिया. इरफ़ान का ‘हिंदी मीडियम’ फिल्म में काम करना भी उनके लिए चुनौती थी,क्योंकि इसमें दिखाए गए कुछ तथ्य उनके जीवन से काफी मेल खाते थे.उसकी सफलता से प्रेरित होकर उन्होंने ‘अंग्रेजी मीडियम’ फिल्म बनायीं थी. हिंदी भाषा और उससे जुड़े लोगों को उन्होंने हमेशा महत्व दिया है, जिसे लोग कम समझते है. को वेएक बेहतर मैगज़ीन मानते थे, जिसमें हिंदी भाषा को अच्छी तरह से लिखा जाता है.
एक इंटरव्यू में उन्होंनेहिंदी भाषा को लेकर चर्चा भी की थी और कहा था कि बचपन से ही वेहिंदी के करीब थे. हालांकि पढाई उन्होंनेअंग्रेजी माध्यम से की है, लेकिनहिंदी साहित्य को उन्होंने पढ़ा था और उससे बहुत प्रभावित थे.हिंदी जानने वाले को कमतर और अंग्रेजी जानने वाले को बेहतर समझनेवालेउन्हेंपसंद नहीं था. इसलिए उन्होंने हॉलीवुड में काम कर इस बात को बखूबी सिद्ध कर दिया था, क्योंकि इन परिस्थितियों से वे कई बार गुजर चुके थे. उनका कहना था कि अंग्रेज देश छोड़कर चले गए है, पर अभी भी वे किसी न किसी रूप में राज कर रहे है.केवल भाषा ही नहीं,व्यवसाय से लेकर मीडिया, विकास के मोड्यूल,रहन-सहन आदि सबकुछ हम विदेश से ही लेते है.
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इरफ़ान का शुरूआती जीवन काफी संघर्षपूर्ण था,लेकिन उन्हें अभिनय पसंद था और उन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा. उन्हें कई बार रिजेक्शन का सामना भी करना पड़ा, पर वे शांत रहे,धीरे-धीरे जो चाहा मिलता गया. उनके हिसाब से एक कलाकार कितना भी काम कर ले,कभी भी अपने काम से संतुष्ट नहीं रहता ,उसे हमेशा कुछ न कुछ अलग करते रहने की इच्छा रहती है.आज वे नहीं है पर इंडस्ट्री उन्हें हमेशा उनकी कमी महसूस करेगी, क्योंकि वे केवल एक अच्छे कलाकार ही नहीं, एक अच्छे इंसान भी रहे है.