झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर बायोपिक फिल्म बनाने के लिए केतन मेहता पिछले तीन वर्ष से प्रयासरत थे. वह इस फिल्म को कंगना रानौट के साथ बनाना चाहते थे. पर अचानक कंगना रानौट ने उन्हे धोखा देकर दक्षिण भारतीय फिल्मकार कृष के निर्देशन में फिल्म ‘मणिकर्णिका’ करने लगीं. कंगना रानौट का दावा है कि उनकी फिल्म ‘‘मणिकर्णिका’’ 27 अप्रैल को प्रदर्शित होगी, मगर अभी तक इसकी शूटिंग पूरी नहीं हुई है.

जबकि मूलतः भारतीय मूल की अमेरिका में रह रही मशहूर नृत्यांगना, शिक्षाविद तथा फिल्मकार स्वाती भिसे ने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के जीवन व कृतित्व पर आधारित फिल्म ‘‘स्वौड्रस एंड स्केप्ट्रस’’ (Swords and Sceptres) का निर्माण व निर्देशन किया है. इस फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है. इस फिल्म से जुड़े सूत्र दावा कर रहे हैं कि स्वाती भिसे अपनी फिल्म को मार्च माह में ही भारत सहित पूरे विश्व में प्रदर्शित करने वाली हैं.

इस फिल्म को तथ्यपरक बनाने के लिए स्वाती भिसे ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर गहराई से बहुभाषी शोध किया. ताकि परदे पर दिखाई जाने वाली रानी का चरित्र की पूर्णता और विषय का सांस्कृतिक परिवेश यथार्थ के धरातल पर हो सके. स्वाती भिसे के शोध में मदद करते हुए ऊषा गुप्ता ने कई संस्कृत और मराठी ग्रंथों का अनुवाद किया. ऊषा गुप्ता अनुवादित किताब में 1890 में विष्णु गोड़से लिखित मराठी भाषा की किताब ‘‘माझा प्रवास’’ है.

स्वाती भिसे ने महज रानी लक्ष्मीबाई (देविका भिसे) ही नहीं, बल्कि सभी किरदार की वेशभूषा की प्रमाणिकता बनाए रखने के लिए उस काल की वेशभूषा, रहन सहन आदि का भी अध्ययन किया. यहां तक कि उस कालखंड में राजा रानी से लेकर आम इंसानों व औरतों द्वारा पहने जाने वाले गहनों से लेकर उनके मेकअप आदि का भी अध्ययन किया.

महज रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र के लिए 50 से अधिक कास्ट्यूम सिलवाए गए. इनमें विशेष डिजाइन की परंपरागत महाराष्ट्रियन साड़ी का भी समावेश है. हर किरदार की वेशभूषा को गढ़ने के लिए चंदेरी, पैठानी, कोटा आदि तरह के कपड़ों की भी खोज की गई. फिल्मकार स्वाति भिसे ने नाना साहब(दीपल जोशी) की वेशभूषा को अपनी मित्र विधि सिंघानिया के साथ मिलकर तैयार किया. इसके लिए उन्होंने उस काल खंड में प्रचलित पैटर्नों की जानकारी हासिल करने के लिए पूरे एक वर्ष तक शोधकार्य किया. विधि सिंघानिया ने इन पोशाक के साथ मैच करने वाले जूते भी बनाए.

जबकि रियाज अली मर्चेंट ने झरकारीबाई (अरोपिका डे), मंदार (सिया पाटिल), सुंदर (मंगल सानप), काशी कुनबीन (पल्लवी पाटिल) और मोतीबाई (नैना सरीन) के किरदारों के साथ ही अन्य किरदारों के लिए भी वेशभूषा और घुड़सवारी योग्य जूते तैयार किए. मशहूर भारतीय मेकअप कलाकार विक्रम गायकवाड़ ने भी अपनी राय दी. तो वहीं मराठी और संस्कृत के विशेषज्ञ माधव आप्टे और क्रिकेटर गिरीश मुरूडकर ने किरदारों की पगड़ी डिजाइन करने में योगदान दिया.

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के लिए पारंपरिक शाही आभूषण के लिए फिल्मकार स्वाती भिसे ने अपने परिवार की विरासत के आभूषण यानी कि शिंदे शाही तोदा, महाराष्ट्रियन नथ व परंपरागत हीरे के कान के बाले का इस्तेमाल किया. इसके अलावा दूसरे उस काल खंड के आभूषण पुणे के जौहरी पी एन गाड़गील ने डिजाइनकर बनाए. श्री हरी डायजेम्स के विनय गुप्ता ने हीरों की कटाई की.

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसरों व बोर्ड रूम को ज्यों का त्यों परदे पर चित्रित करने के लिए स्वाती भिसे ने लंदन से मदद ली.

खुद स्वाती भिसे कहती हैं-‘‘ इस फिल्म का निर्माण करने के पीछे मेरा मूल मकसद महिलाओं को प्रेरित करने वाली इस वीरांगना की कथा को परदे पर सही ढंग से चित्रित करना रहा है. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध के मैदान में किसी की मदद की आस नही लगाई, बल्कि अपने बेटे को पीठ पर बांधकर खुद एक योद्धा बन रणभूमि में उतरी थीं. लक्ष्मीबाई ऐसी विरांगना हैं, जिसने अपनी सेना के साथ ब्रिटिश व ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना का रणभूमि में सामना किया था. वह एक असाधारण नारी थी. वह आधुनिक नारियों के लिए सही मायनों में ‘नारी उत्थान’ की प्रतीक हैं. इस फिल्म में लोगों को वास्तविक झांसी की रानी लक्ष्मीबाई नजर आएगी.’’

स्वाती भिसे आगे कहती हैं-‘‘यदि आप हर पीढ़ी के लोगों को प्रोत्साहित करने वाले किसी असाधारण व्यक्तित्व को परदे पर पेश करना चाहते हैं, तो जरुरी हो जाता है कि उसके साहस, उसकी निडरता व उसकी स्प्रिट को सही अर्थो में परदे पर उकेरा जाए. हमने अपनी फिल्म में महज किसी पात्र या कालखंड का महिमा मंडन नहीं किया है, बल्कि यह कथा एक असाधारण नारी के धैर्य की है.’’

‘स्वौड्रस एंड स्केप्ट्रेस’ का निर्देशन करने के साथ ही चार्लस सलमान के साथ स्वाती भिसे ने निर्माण किया है. जबकि फिल्म की पटकथा स्वाती भिसे ने देविका भिसे के साथ मिलकर लिखी है. फिल्म में रानी लक्ष्मी बाई का किरदार भी देविका भिसे ने ही निभाया है. फिल्म के अन्य कलाकार हैं-डेरेक जोकोबी, रूपर्ट ईवर्ट, बेन लंब, जेाधी में जैसे विदेशी कलाकारों के अलावा  नागेश भोसले, यतिन कार्येकर, मिलिंद गुणाजी, आरिफ जाकरिया, अजिंक्य जैसे भारतीय कलाकार शामिल हैं.

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाने वाली और फिल्म की सहलेखिका देविका भिसे इससे पहले ‘द मैन हू न्यू इंफीनिटी’, ‘इम्पेस्सबल मौन्स्टर्स’, ‘द ऐक्सिडेंटल पब्सन’ शामिल हैं.

फिल्म का फिल्मांकन पूरा हो चुका है. फिल्म पूरे विश्व में एक साथ प्रदर्शित की जाएगी, पर अभी तक प्रदर्शन की तारीख घोषित नहीं की गयी है.

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