वैजयंती माला से वहीदा रहमान, हेमामालिनी से श्रीदेवी तक बौलीवुड में दक्षिण भारतीय मूल की अभिनेत्रियों ने अपने अभिनय के जौहर दिखाए हैं. कई दशकों तक भारतीय फिल्मों में, खासकर हिंदी सिनेमा में, साउथ इंडियन फिल्मों से आयातित अभिनेत्रियों का कब्जा रहा है. लेकिन बीते कुछ सालों में बौलीवुड की टौप अभिनेत्रियों में साउथ इंडियन फिल्मों से आई अभिनेत्रियों का नाम नदारद है. बात चाहे श्रेया सरन की हो या चार्मी कौर की या फिर तमन्ना भाटिया की, लगभग सब की बौलीवुड पारी बुरी तरह फ्लौप रही है, खासकर तमन्ना भाटिया की. तमन्ना तमिल, तेलुगू फिल्मों का बड़ा नाम हैं. इस लिहाज से उन्हें हिंदी फिल्मों में बड़ा ब्रेक मिला. साजिद खान की फिल्म ‘हिम्मतवाला’ से अजय देवगन के साथ मिले बड़े ब्रेक का फायदा उन्हें नहीं हुआ, ‘हिम्मतवाला’ मजाक बन कर रह गई. उस के बाद साजिद की ही फिल्म ‘हमशकल्स’ से उन की बचीखुची इमेज भी धुल गई. अक्षय कुमार के साथ उन की फिल्म ‘इंटरटेनमैंट’ जरूर सेमीहिट कही जा सकती है लेकिन उस में तमन्ना का कोई खास योगदान नहीं रहा. कुल मिला कर तमन्ना का हिंदी फिल्म कैरियर लगभग डांवांडोल ही है. शायद इसीलिए उन के खाते में फिलहाल एक भी हिंदी फिल्म नहीं है. हां, तेलुगू फिल्म ‘बाहुबली’ जरूर डब हो कर हिंदी में रिलीज हुई. लेकिन इस मल्टीस्टार फिल्म में तमन्ना को बहुत ज्यादा फुटेज नहीं मिला.

दरअसल, तमन्ना ग्लैमरस तो खूब हैं लेकिन फिल्म ऐक्सपर्ट आज भी उन के अभिनय को ले कर सवाल उठाते हैं. सिर्फ चालू फिल्मों में मिली सफलता उन्हें सशक्त अभिनेत्री के तौर पर स्थापित नहीं कर सकती. 13 वर्ष की उम्र से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली तमन्ना भाटिया को बचपन से अभिनय का शौक था. मुंबई की तमन्ना जब स्कूल के वार्षिक उत्सव में परफौर्म कर रही थीं तभी उन्हें अभिनय का औफर मिला. वह 1 साल तक पृथ्वी थिएटर से भी जुड़ी रहीं. फिल्मों के अलावा उन्होंने कई एलबम और विज्ञापनों में भी काम किया है. 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने हिंदी फिल्म ‘चांद सा रोशन चेहरा’ में काम किया. हालांकि फिल्म नहीं चली पर उन्हें तेलुगू फिल्म में काम करने का अवसर मिला. तमन्ना के पिता डायमंड मर्चेंट हैं. जब उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया था तो उन की मां हमेशा उन के साथ रहती थीं. पहली बार जब उन्होंने अभिनय की बात अपने मातापिता से कही तो सभी चौंक गए. लेकिन तमन्ना जानती थीं कि वे उन्हें सहयोग देंगे. फिल्म ‘बाहुबली’ को ले कर इस प्रतिनिधि ने उन से बात की तो तमन्ना का कहना था, ‘‘‘बाहुबली’ काफी अरसे से बन रही है. इस का सफल होना बेहद जरूरी है. वैसे तो हर फिल्म का मेरे लिए सफल होना आवश्यक होता है. कई बार फिल्म सफल नहीं होती क्योंकि उस में कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन से दर्शक अपनेआप को जोड़ नहीं पाते. लेकिन  हर फिल्म में मेरी कोशिश रहती है कि वह सफल हो. जो काम मुझे दिया जाता है उसे मन से करती हूं. इस फिल्म में मैं ने ऐक्शन सीन किए हैं जो तलवार की लड़ाई है. इस से पहले कभी ‘फाइट सीन’ मैं ने नहीं किए. इस फिल्म में 1 साल तक प्री प्रोडक्शन पर काम किया गया है. छोटेछोटे अस्त्रशस्त्र, हैलमेट आदि सब कैसे इस्तेमाल करने हैं, इस बाबत सब को प्रशिक्षित किया गया. भारतीय सिनेमा में इतने बड़े पैमाने पर ऐसा पहली बार हुआ है. मैं ने तलवार चलाने की ट्रेनिंग ली है. मार्शल आर्ट सीखी है.’’

100 करोड़ वाले फिल्म के दौर में किसी भी फिल्म का प्रैशर आप पर कितना होता है, इस सवाल पर तमन्ना ने कहा, ‘‘दबाव तो रहता है पर मैं अधिक ध्यान नहीं देती. अब तक मैं ने कई भाषाओं में फिल्में की हैं. भाषा मेरे लिए कोई माने नहीं रखती. काम मैं ने मेहनत से किया है. दर्शकों को फिल्म अच्छी लगेगी. इस तरह की पीरियोडिकल फिल्में बौलीवुड में अधिकतर बनती हैं. अभी तक की हमारी भूमिकाओं में अलग भूमिका है.’’ आप के काम में परिवार वालों का सहयोग और फिल्मों में संघर्ष को ले कर आप क्या कहती हैं, ‘‘परिवार के सहयोग के बिना अभिनय करना संभव नहीं. मैं ने बहुत कम उम्र से अभिनय शुरू किया था. परिवार वालों का सहयोग हमेशा रहा, आज भी है.’’ यहां तक पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़ा? इस सवाल के जवाब में वे कहती हैं, ‘‘हिंदी फिल्मों में लोगों के मन को समझने में संघर्ष करना पड़ा. फिर साउथ में अच्छी स्क्रिप्ट मिली तो मैं वहां चली गई. मुंबई से दक्षिण में गई. मेरे लिए भाषा से अधिक महत्त्व काम रखता है. यहां कोई मेरा गौडफादर नहीं है जो मेरे अनुरूप फिल्में लिखे. अच्छी फिल्में करने की इच्छा हमेशा रहती है. मुझे अभिनेत्री अनुष्का शेट्टी का काफी सहयोग मिला. मैं नई आई थी. मेरे पास कौस्ट्यूम डिजाइनर नहीं थी. उन्होंने अपनी डिजाइनर का नंबर दिया. इस के अलावा हिंदी फिल्मों में आने के बाद मुझे फैशन की जानकारी मिली, जो बहुत जरूरी थी.’’

अब तक तमन्ना साउथ की फिल्मों का बड़ा नाम बन चुकी हैं और हिंदी फिल्मों में भी संघर्ष कर रही हैं. ऐसे में वे साउथ और हिंदी फिल्मों में बड़ा अंतर देखती हैं. उन के मुताबिक, दोनों जगहों की ‘स्टोरी टैलिंग’ अलग है लेकिन आजकल वहां की फिल्में यहां और यहां की फिल्में वहां बनती हैं. इस के अलावा वहां फिल्मों की पब्लिसिटी केवल 1 दिन में कर ली जाती है जबकि बौलीवुड में फिल्म प्रमोशन पर अधिक जोर दिया जाता है. हालांकि दक्षिण भारतीय फिल्मों में अपेक्षाकृत कम टैलेंटेड अभिनेत्रियों को सफल होते देखा गया है, यहां तक कि कई बार बौलीवुड से नकारी गई कई अभिनेत्रियां साउथ फिल्म इंडस्ट्री में जम कर सराही गई हैं. उदाहरण के तौर पर तमन्ना हैं ही, साथ में हंसिका मोटवानी, नकुल प्रीत, नम्रता शिरोडकर, राधिका आप्टे, सयाली भगत और कई दूसरे नाम हैं जिन्होंने कैरियर तो बौलीवुड से स्टार्ट किया लेकिन असफलता हाथ लगने पर दक्षिण भारतीय फिल्मों का रुख किया और जबरदस्त कामयाबी हासिल की. तमन्ना को बतौर अभिनेत्री दक्षिण भारत में भले ही धुरंधर अभिनेत्री माना जाता हो लेकिन बौलीवुड में कामयाबी उन के लिए अभी दूर है.

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