‘‘मेरे कैरियर में काफी उतार चढ़ाव व संघर्ष रहे..’’‘‘सीरियल किलर का किरदार निभाना चाहता हूं..’
-आदित्य सील
बीस वर्ष पहले 2002 में 13 वर्ष की उम्र में आदित्य सील ने उस वक्त की सफलतम अदाकारा मनिषा कोईराला के प्रेमी के रूप में शशीलाल नायर निर्देषित फिल्म ‘एक छोटी सी लव स्टोरी’में अभिनय किया था.बोल्ड कंटेंट व प्रेम कहानी प्रधान इस फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली थी.उस वक्त आदित्य सील स्टार बन गए थे.पर वह उम्र के ऐसे पड़ाव पर थे,जब वह दूसरी फिल्मों में हीरो बनकर नही आ सकते थे.इसलिए उन्होने कुछ दिन अभिनय से दूरी बना ली थी.2006 में उन्होने किशोर वय के लड़के व लडकियों की फिल्म ‘वी आर फ्रेंड’ में अभिनय किया था,जिसे खास सफलता नही मिली थी.फिर 2014 में वह सैम्यूअल लाॅरेस की फिल्म‘‘पुरानी जींस’’में हीरो बनकर आए,मगर इससे उनका कैरियर आगे नहीं बढ़ा.फिर उन्होने ‘तुम बिन-दो’,‘नमस्ते इंग्लैंड’ जैसी फिल्में की,पर परिणाम ढाक के तीन पात ही रहा.
मगर फिल्म ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ में आदित्य सील ने टाइगर श्रॉफ को जबरदस्त टक्कर दी,तो अचानक वह एक बार फिर सूर्खियों में छा गए. अब वह किआरा अडवाणी के संग लेखक व निर्देशक अबीर सेन गुप्ता की फिल्म ‘इंदू की जवानी’ को लेकर काफी उत्साहित हैं,जो कि 11 दिसंबर को सिनेमाघरों में पहुंचेगी.
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प्रस्तुत है आदित्य सील संग हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश..अब तक के अपने कैरियर को आप किस तरह से देखते हैं?
-अब तक कैरियर काफी संघर्षमय रहा है.काफी उतार चढ़ाव रहे है.कई मायनों में अच्छा भी रहा.बहुत कुछ सीखा है.बहुत कुछ सीखना बाकी है.फिर भी एक अच्छी यात्रा रही है.मुझे गर्व है कि मैं एकदम जमीनी सतह से शुरूआत की थी और जहां भी पहुॅचा हूं,उसके लिए मुझे अपने आप पर गर्व है.क्योंकि यह सब मेरी अपनी मेहनत,लगन व परिश्रम की ही बदौलत मिला है.
क्या चैदह वर्ष की उम्र में मिनिषा कोईराला के साथ आपने एक फिल्म ‘एक छोटी सी लव स्टोरी’ की थी, उसका भी साइड इफेक्ट रहा?
नहीं…मैंने यह फिल्म चैदह वर्ष की उम्र में की थी.इसकी काफी चर्चा हुई थी.पर चैदह वर्ष की उम्र के बालक को कौन सी फिल्म मिलती है?इसलिए कोई साइड इफेक्ट नहीं था.बल्कि हकीकत यह है कि आज जब भी मैं किसी से इस फिल्म का जिक्र करता हूं,तो लोग मुझे पहचानते है और प्रशंसा करते हैं.लोगों को यह फिल्म याद है.मुझे याद है कि मैं कुछ वर्ष पहले एक बड़े कलाकार से मिला था.उन्हे भी मैं इसी फिल्म की वजह से याद था.इस हिसाब से इस फिल्म के अच्छे इफेेक्ट ही रहे.
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लंबे समय के बाद आपको ‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’से शोहरत मिली.इसका आपके कैरियर में कितना योगदान रहा?
बहुत बड़ा व अच्छा योगदान रहा.वैसे तो मैने इस फिल्म से भी ज्यादा अच्छा व बेहतर अभिनय अपनी दूसरी फिल्मों में भी किया था.मगर उन फिल्मों के साथ समस्या यही हुई थी कि उन फिल्मों को ज्यादा दर्षक नहीं मिले थे.फिल्में भी अच्छी थी,पर वह फिल्में दर्षकों के साथ नहीं जुड़ पायी थीं.इसके अलावा ‘तुम बिन 2’के समय डिमाॅनीटाइजेशन भी हो गया था.लेकिन ‘स्टूडेंट आफ द ईअर 2’’को दर्शक मिले.लोगों का ध्यान मेरी परफार्मेंस की तरफ गया.इसी वजह से मुझे फिल्म ‘इंदू की जवानी’मिली.
‘‘इंदू की जवानी’किस तरह की फिल्म है?
-यह एक फनी फिल्म है.काॅमेडी आफ एअरर कह सकते हैं.इसमें एक सोशल नाॅड पर भी बात की गयी है.सटीक उदाहरण न देते हुए कहूं कि अगर हमारे दिमाग में किसी इंसान या कम्यूनिटी या किसी रंग के इंसान को लेकर एक जजमेंट घर कर गया होता है,उसको तोड़ने का यह फिल्म एक प्रयास है.यह फिल्म साफ साफ कहती है कि किसी किताब के संबंध में उसका ‘कवर’ देखकर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए,बल्कि उसके अंदर के पन्नों को पढ़ने के बाद ही निर्णय लेना चाहिए.
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फिल्म‘‘इंदू की जवानी’के अपने समर के किरदार को किस तरह से परिभाषित करेंगे?
-मैं जिस मोड की बात कर रहा हूं,उस चीज से समर काफी उपर है.वह जब तक किसी को अच्छी तरह से जानता नही है,तब तक उसके बारे में कोई राय नही बनाता है.वह किसी तरह की राय बनाने से पहले उस इंसान को भलीभांति जानना चाहेगा.वह किसी भी क्षेत्र से आता हो,पर वह पूरी दुनिया घूम चुका है.बहुत तरीके के लोगों से मिल चुका है.पूरे संसार को लेकर उसके विचार बहुत अलग हैं.
समर के किरदार को निभाना कितना आसान रहा?
-सर जी,समर के किरदार को निभाना मेरे लिए आसान नही,बल्कि काफी कठिन और चुनौती रही.इसके लिए मुझे बहुत ज्यादा होमवर्क की जरुरत पड़ी.मुझे इस किरदार को निभाने के लिए ‘मेंटल ब्लाॅक’से निकलना आवश्यक था,जो कि मुझसे हो ही नहीं पा रहा था.मैं जिस तरह के मेंटल ब्लाॅकिंग की बात कर रहा हूं. वह समाज के जो कायदे कानून है,उसकी वजह से जाने अनजाने आपके अंदर भी है,मेरे अंदर भी है.उसको तोड़कर समर के किरदार में घुसना मेरे लिए आसान नहीं था.क्योंकि इस किरदार को निभाने के लिए मुझे अपने दिमागी यकीन को तोड़ना था.मुझे अच्छी तरह से याद है कि जब मैं अपने निर्देशक के साथ पटकथा की रीडिंग कर रहा था,तब मैं अंदर से कंफीडेंट नहीं था.मैं उनसे बार बार कहता था कि मैं नहीं कर पा रहा हॅूं.इसमें मेरा ‘इनपुट’कुछ भी नही है.क्योंकि यह किरदार मेरे अंदर से ही नहीं आ रहा है.फिर मैं कुछ दिन के लिए छुट्टियां मनाने पेरिस चला गया,जब वहां से वापस लौटा,तब तक मेरा दिमाग खुल चुका था.उसके बाद भी काफी मेहनत व लगन के साथ इस किरदार को निभाया.
मैने सुना है कि फिल्म‘‘इंदू की जवानी’’ में ‘डेटिंग एप्स’का भी मसला हैं?डेटिंग एप्स से आप कितना इत्तफाक रखते हैं? –
बहुत साल पहले ऐसा कुछ करते थे.अभी तो मैं किसी भी डेटिंग एप्स पर नही हॅूं.लगभग दो वर्ष पहले मैं एक डेटिंग एप्स पर गया था,महज यह देखने के लिए इसमें क्या होता है,तो मेरी समझ में आया कि यह संसार मेरी समझ के बाहर का है.मुझे यह भी पता है कि मेरे कई दोस्त इन ‘डेटिंग एप्स’पर हैं.मेरे कुछ दोस्त इन डेटिंग एप्स के माध्यम से षादी के बंधन में भी बंधे हैं.पर मेरी समझ से परे है. मैं थोड़ा सा सोषियली आक्वर्ड भी हूं. मैं जल्दी से लोगांे के साथ घुलमिल नही पाता.इसलिए भी डेटिंग एप्स मेरे लिए नहीं बना है.
कौन सी चीजे हैं,जिनकी वजह से आप सोषियली आक्वर्ड महसूस करते हैं?
-अब मैं इसे परिभाषित कैसे करुं.मैं लोगों से बात करने की कोशिश करता हॅूं,तो कई बार नर्वस हो जाता हूं.वजह पता नही. मैं कभी इसके मनोविज्ञान के अंदर घुसा नहीं हॅूं.यदि सामने वाला ज्यादा बात नहीं करता है,तो मेरी समझ में नहीं आता है कि क्या बात की जाए?मैं खुद किसी से बात करने की शुरूआत करना नहीं जानता.
किसी भी किरदार को निभाने से पहले होमवर्क के तहत आत्म चिंतन करना या कोई फिल्म देखना या उससे संबंधित किताबें पढ़ना फायदेमंद होता है?
-आत्मचिंतन भी फायदेमंद होता है.मगर यह जरुरी नहीं है कि किरदार की जरुरत के अनुरूप आपकी जिंदगी में भी वह अनुभव हुआ हो.मसलन- फिल्म की कहानी के अनुरूप किसी का दिल टूटा है,पर यदि आपकीे कोई गर्लफें्रड ही नही रही होगी,तो फिर दिल टूटने का आत्म चिंतन कैसे करेेगें?कहने का अर्थ है कि जब तक आपको अनुभव नहीं होगा,तब तक आप आत्म चिंतन नहीं कर सकते.इसलिए मेरी राय में कुछ फिल्म वगैरह देखना और अधिक से अधिक पढ़ना मददगार साबित होता है.
बौलीवुड में आप खुद को कितना सुरक्षित महसूस करते हैं?
-मेरे अंदर असुरक्षा की भावना ही नही है.मैं किसी भी तरह की हीनग्रथि का षिकार नही हूं.मुझे प्रतिस्पर्धा का डर नही सताता.मुझे दूसरों की सफलता की कहानियां सुनकर खुशी मिलती है.मैं सकारात्मक सोच रखता हूं.मुझे यकीन है कि मेरी राह में भी सफलता के फूल विखरेंगे,मेरे हिस्से भी बेहतरीन व चुनौती किरदार आते रहेंगें.
अब आप किस तरह के किरदार निभाना चाहते है?
-मैं एक सीरियल किलर का किरदार निभाना चाहता हॅूं.मुझे लगता है कि इस तरह के किरदार को मैं बेहतर तरीके से निभा सकता हूं.वैसे इसकी वजह मुझे भी नहीं पता.लेकिन हकीकत यह है कि मैं अंदर से भी हिंसात्मक इंसान नही हूं.मैने आज तक किसी पर भी हाथ नहीं उठाया है.
आपके शौक?
-गिटार बजाना पसंद है.फिलहाल गिटार बजाना सीख रहा हूं.इसके अलावा मार्षल आर्ट भी कर रहा हूं.मैं तायकोंडे में विश्व चैपियन रह चुका हूं.भारत के लिए मैने गोल्डमैडल जीते हैं.
सोशल मीडिया पर आप कितना व्यस्त रहते हैं और क्या लिखना पसंद करते हैं?
-मैं सिर्फ इंस्टाग्राम पर तस्वीरें डालता रहता हूं और दूसरों की तस्वीरें भी देखता रहता हूं.यह महज टाइम पास है.ट्वीटर पर राजनीति की बातें ज्यादा होती हैं,जिसमें मेरी कोई रूचि नहीं है.