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प्रवीण ने बताया कि बर्रा विश्व बैंक निवासी नेहा सिंह के कहने पर उस ने अपने दोस्त देवेंद्र नागर के साथ मिल कर नेहा सिंह के घर पर ही संदीप की हत्या की थी और शव को कार में रख कर पांडु नदी में फेंक दिया था.

प्रवीण कुमार की निशानदेही पर पुलिस ने नेहा सिंह और देवेंद्र नागर को उन के बर्रा स्थित घर से हिरासत में ले लिया. नेहा सिंह की निशानदेही पर पुलिस ने आला कत्ल हंसिया, लूटी गई नकदी, मोबाइल फोन, सोने की चेन, 2 अंगूठियां तथा बैग भी बरामद कर लिया.

संदीप से लूटे गए पैसों में से प्रवीण कुमार ने 3 पैंटशर्ट खरीदी थी. पुलिस ने वह भी बरामद कर लीं. हत्या में प्रयुक्त कार को भी पुलिस ने बरामद कर लिया. पुलिस द्वारा अभियुक्तों से की गई पूछताछ में नाजायज रिश्तों की सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई.

हंसतेखेलते परिवार के दरवाजे पर मौत की दस्तक

उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर से करीब 30 किलोमीटर दूर एक बड़ी आबादी वाला कस्बा घाटमपुर है. तहसील होने के कारण हर रोज यहां खूब चहलपहल रहती है. इसी कस्बे के जवाहरनगर मोहल्ले में महेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी मालती के अलावा 2 बेटे संदीप, कुलदीप और 2 बेटियां थीं.

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महेंद्र सिंह प्रतिष्ठित और धनाढ्य व्यक्ति थे. राजनैतिक लोगों में भी उन की अच्छी पहुंच थी. दोनों बेटियों की वह अच्छे परिवारों में शादी कर चुके थे.

भाईबहनों में संदीप सब से छोटा था. वह पढ़ाईलिखाई में तेज था. इंटरमीडिएट पास करने के बाद उस ने इलैक्ट्रिकल से पौलिटेक्निक का डिप्लोमा किया था. इस के बाद उस ने सरकारी नौकरी की कोशिश की लेकिन असफल रहा.

जब नौकरी नहीं मिली तो संदीप ने अपने पिता से कानपुर में कोई दुकान खोलने की इच्छा जाहिर की. थोड़े प्रयास के बाद उन्हें नौबस्ता के चित्रा डिग्री कालेज के पास एक दुकान किराए पर मिल गई. चूंकि संदीप ने इलैक्ट्रिकल से डिप्लोमा किया था, अत: उस ने बिजली के सामान की दुकान खोल ली. कुछ ही समय में उस की दुकान ठीकठाक चलने लगी.

दुकान पर ही एक रोज उस की मुलाकात रेनू से हुई. उस रोज वह दुकान पर अपनी प्रैस ठीक कराने आई थी. 20 वर्षीय रेनू बेहद खूबसूरत थी. पहली ही नजर में वह संदीप के दिल में रचबस गई. वह संदीप की दुकान से कुछ ही दूर स्थित कच्ची बस्ती में रहती थी. उस के मातापिता की मौत हो चुकी थी. उस का एक भाई अजय था, वह उसी के साथ रहती थी. अजय टैंपो चलाता था.

संदीप ने रेनू का फोन नंबर ले लिया, जिस के बाद वह किसी न किसी बहाने उस से बात करता रहता था. लगातार बात होने से संदीप और रेनू के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. संदीप भी सजीला व हृष्टपुष्ट युवक था. रेनू भी उसे चाहने लगी थी. चाहत दोनों ओर से बढ़ी तो दोनों घूमनेफिरने भी जाने लगे. एक दिन बाजार बंदी के दिन संदीप रेनू को मोतीझील पार्क ले गया. वहीं पर बातचीत के दौरान संदीप ने रेनू से अपने प्यार का इजहार कर दिया.

रेनू संदीप के चेहरे पर एक गहरी नजर डाल कर बोली, ‘‘संदीप, प्यार तो मैं तुम से करती हूं, लेकिन मुझे डर लग रहा है.’’

‘‘कैसा डर?’’ संदीप ने पूछा.

‘‘यही कि तुम मुझे मंझधार में तो नहीं छोड़ दोगे?’’

‘‘कैसी बात करती हो रेनू, तुम तो मेरे दिल में बसी हो. मैं वादा करता हूं कि मैं तुम्हारे हर सुखदुख में साथ दूंगा और जीवन भर साथ निभाऊंगा.’’

रेनू और संदीप का प्यार परवान चढ़ ही रहा था कि उसी दौरान किसी तरह उन के घर वालों को इस की भनक लग गई. यह रिश्ता न तो रेनू के भाई अजय को मंजूर था और न ही संदीप के पिता महेंद्र सिंह को.

पर संदीप और रेनू एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे, इसलिए घर वालों के विरोध के चलते दोनों भाग गए. इस पर रेनू के भाई अजय ने इस की रिपोर्ट थाना नौबस्ता में दर्ज करा दी.

नौबस्ता पुलिस संदीप के पिता और भाई को पकड़ लाई. इस की भनक जब संदीप और रेनू को लगी तो दोनों थाने में हाजिर हो गए. उन के आने पर पुलिस ने दोनों पक्षों का समझौता करा दिया. इस के बावजूद दोनों ने आर्यसमाज पद्धति से विवाह कर लिया. विवाह के बाद दोनों हंसीखुशी जीवन व्यतीत करने लगे.

प्यार की मिठास बदलने लगी कड़वाहट में

रेनू की शादी को अभी एक साल ही बीता था कि संदीप के जीवन में एक और लड़की नेहा सिंह आ गई. नेहा सिंह मूलरूप से हमीरपुर के बंडा गांव की रहने वाली थी. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी. नेहा के पिता हाकिम सिंह खेतीकिसानी करते थे. वह साधारण परिवार से थे. उन की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी.

इसी बंडा गांव में संदीप का ननिहाल था. संदीप कभीकभी ननिहाल जाता था. उस के मामा और नेहा का घर अगलबगल था. दोनों परिवारों में घनिष्ठता भी थी. इसलिए नेहा का आनाजाना बना रहता था. एक बार जब संदीप ननिहाल गया तो सजीधजी नेहा से उस की आंखें चार हुईं. नेहा भी संदीप को देख कर प्रभावित हुई. फिर दोनों में बातचीत होने लगी. जल्द ही बातचीत प्यार में बदल गई. बाद में उन्होंने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं.

इधर संदीप और नेहा के प्यार की भनक हाकिम सिंह को लगी तो उन्होंने आननफानन में नेहा का विवाह कानपुर के तिलसड़ा गांव निवासी रणवीर सिंह के साथ कर दिया. लेकिन शादी के बाद भी संदीप ने नेहा का पीछा नहीं छोड़ा और वह उस की ससुराल भी जाने लगा. नेहा के पति रणवीर सिंह ने विरोध जताया तो नेहा ने उसे रिश्तेदार बता कर पति का विरोध दबा दिया.

उन्हीं दिनों संदीप सिंह की दिल्ली में रिलायंस कंपनी में इलैक्ट्रिशियन के पद पर नौकरी लग गई. वह पत्नी रेनू के साथ पुरानी दिल्ली (दाईवाड़ा) में किराए के मकान में रहने लगा. दूर व व्यस्त रहने के कारण संदीप का नेहा से मिलना बंद हो गया. दिल्ली में संदीप व रेनू हंसीखुशी से रहने लगे. अब तक रेनू 2 बच्चों की मां बन चुकी थी.

इधर नेहा ने भी शादी के एक साल बाद एक बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म के बाद नेहा ने पति रणवीर सिंह पर दबाव डाला कि वह शहर जा कर कोई नौकरी करे ताकि पैसा आए. रणवीर सिंह ने पत्नी की बात मान कर कोशिश की तो एक दोस्त की मार्फत उसे गाजियाबाद की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई. कुछ महीने बाद नेहा भी पति के साथ गाजियाबाद में रहने लगी.

बाद में संदीप को जब पता चला कि नेहा अपने पति के साथ गाजियाबाद में रह रही है, तो उस की बांछें खिल उठीं. एक रोज वह नेहा के कमरे पर जा पहुंचा. दोनों एकदूसरे को देख चहक उठे. पुरानी यादें ताजा हो गईं. मिलन की प्यास जागी तो दोनों खुद को रोक नहीं सके.

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इस के बाद तो यह आए दिन का सिलसिला बन गया. रणवीर ड्यूटी पर जाता तो संदीप आ जाता. फिर दोनों मौजमस्ती करते. इसी दरम्यान एक रोज संदीप ने धोखे से नेहा का अश्लील वीडियो बना लिया और आपत्तिजनक स्थिति के फोटो भी मोबाइल में कैद कर लिया.

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