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लोगों में भी सरकार के प्रति आक्रोश उभरने लगा. उसी दिन शाम को दीनदयाल वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की घटना के विरोध में स्टैच्यू सर्किल पर कैंडल मार्च निकाला.

11 जनवरी को देश भर की मीडिया में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की घटना सुर्खियों में छाई रही. इस से पुलिस की किरकिरी हुई. सरकार की भी बदनामी हुई. स्थिति को देखते हुए पुलिस महानिदेशक मनोज भट्ट ने जयपुर के पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल को आरोपियों का जल्द से जल्द पता लगाने को कहा. रात भर की जांच के बाद दूसरे दिन सुबह से ही पुलिस की अलगअलग टीमें मामले की तह में जाने के लिए पूरे उत्साह से जुट गईं. आरोपी औटोचालक का पता लगाने के लिए पूरे शहर में अभियान चलाया गया. औटोचालक यूनियनों के पदाधिकारियों से बात की गई. उर्वशी ने रेलवे स्टेशन से औटो में बैठने के बाद सिंधी कैंप, नारायण सिंह सर्किल आदि जिन रास्तों से औटो के जाने की बात बताई थी, उन तमाम रास्तों की सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई.

पुलिस की एक टीम पीडि़त छात्रा उर्वशी को ले कर शहर में उस जगह का पता लगाने का प्रयास करती रही, जहां पीडि़ता ने सामूहिक दुष्कर्म की बात बताई थी. पीडि़ता को उस के बताए रास्ते में आने वाले पार्क व जगहजगह खाली पड़े प्लौट, पार्क दिखाए गए, लेकिन उर्वशी ने किसी भी प्लौट या पार्क की पहचान नहीं की.

इस तरह दिन भर खाक छानने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला. इस बीच राज्य महिला आयोग ने स्वत: संज्ञान ले कर पुलिस महानिदेशक को छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करने को कहा, साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरे चालू हैं या नहीं, इस की भी रिपोर्ट मांगी.

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