यह ऐतराज जायज था या नाजायज, यह तय कर पाना तो मुश्किल है. लेकिन यह एक भयानक हादसे यानी कत्ल की वारदात के रूप में बीती 18 मई को सामने आया तो पूरा उज्जैन दहल सा गया.
दीपा के पड़ोस में रहने वाले जितेंद्र पवार जब 18 मई, 2018 की सुबह करीब 8 बजे छत पर पहुंचे तो यह देख घबरा गए कि बगल में रहने वाली दीपा के घर से धुआं निकल रहा है. किसी अनहोनी की आशंका से घबराए जितेंद्र ने तुरंत पुलिस और दमकल विभाग को फोन कर इस की सूचना दी.
चंद मिनटों बाद ही पुलिस और दमकलकर्मी वल्लभनगर पहुंच गए. दमकलकर्मियों ने जैसेतैसे आग पर काबू पाया. इस के बाद पुलिस अंदर दाखिल हुई.
पुलिस वाले यह देख दहल गए कि रसोई में एक जवान महिला की अर्धनग्न लाश औंधी पड़ी थी. लाश के ऊपर मोटे गद्दों के साथ अधजली दरी भी पड़ी थी. लाश दीपा की ही थी. उस के दोनों हाथों की नसें कटी हुई थीं और गरदन पर धारदार हथियार के निशान भी थे. दीवारों और दरवाजों पर भी खून के निशान थे. साफ दिख रहा था कि मामला बेरहमी से की गई हत्या का है.
बेरहमी से की गई हत्या
माधवनगर थाने के इंचार्ज गगन बादल ने तुरंत इस जघन्य हत्या की खबर एसपी सचिन अतुलकर और एफएसएल अधिकारी डा. प्रीति गायकवाड़ को दी. मामला गंभीर था, इसलिए ये दोनों भी घटनास्थल पर पहुंच गए.
घटनास्थल के मुआयने में दिखा कि पूरा घर अस्तव्यस्त था और बैडरूम का दरवाजा टूटा पड़ा था. सब से अजीब और चौंका देने वाली बात यह थी कि दीपा की लाश के पैरों के बीच एलपीजी सिलेंडर की नली घुसी हुई थी. हत्या की ऐसी वारदात पुलिस वालों ने पहली बार देखी थी. लाश 90 फीसदी जली हुई थी.
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