ब्रह्मांड शुरू से ही दार्शनिकों, वैज्ञानिकों के लिए कुतूहल और रहस्य का विषय रहा है. आज कई तरह के वैज्ञानिक उपकरणों, दूरबीनों और कृत्रिम उपग्रहों के जरिए इस के बारे में बहुत सी जानकारी हम ने प्राप्त कर ली है. लेकिन इस की उत्पत्ति और खगोलियों, पिंडों की रचना के बारे में बहुत सी बातें अभी हम नहीं जानते हैं.
कुछ समय पहले ब्रह्मांड के एक कण ‘हिंग्स बोसोन’ की खोज हुई है. इसे कुछ लोग गौड पार्टिकल भी कहते हैं. हालांकि, ये कहने की बातें हैं. यह वह कण है जो पदार्थ को भार प्रदान करता है. अगर कणों में भार नहीं होता तो ब्रह्मांड और जीवन नहीं होता.
इस खोज से भौतिक विज्ञान के बारे में बहुत सी नई जानकारियों के आने की संभावना है. इस की खोज से वैज्ञानिक जगत में एक नई क्रांति के द्वार खुल गए हैं. इस से संचार की दुनिया में कई बदलाव होंगे. इंटरनैट की स्पीड कई गुना बढ़ जाएगी. अंतरिक्ष तकनीक में सुधार होगा और इस की मदद से दूसरे ग्रहों के रहस्यों से भी परदा उठेगा. नैनो तकनीक में क्रांति आने से हमारी पूरी जीवनशैली बदल सकती है. एमआरआई और पीईटी स्कैन में भी यह खोज मददगार होगी. इस तरह से बीमारियों के इलाज का नया रास्ता खुलेगा.
इस कण की सब से पहले परिकल्पना भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस ने की थी. 1924 में उन्होंने एक शोधपत्र एलबर्ट आइंसटीन को भेजा था. इस की महत्ता को समझते हुए खुद आइंसटीन ने इस का जरमन भाषा में अनुवाद कर के जरमन जर्नल में प्रकाशित कराया था. बोस की खोज को बोस आइंसटीन स्टिक्स के नाम से जाना जाता है और यह क्वांटम मैकेनिक्स आधार बना.