क्या आपने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का एक नया विज्ञापन वीडियो ‘डा डा डिंग’ देखा, जिसमें वे महिला खिलाड़ियों को प्रेरित करती नजर आ रही हैं. यह वीडियो  खेल में  महिलाओं  को प्रतिभागिता  बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहा है.

तीन मिनट के इस विज्ञापन में राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल हैं, जो 2010 में केवल 15 वर्ष की थीं, सबसे कम उम्र की भारतीय हॉकी टीम की खिलाड़ी बनीं और  खेल  ने  जहां  एक ओर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया और वहीं उनके सपनों को भी विस्तार रूप प्रदान किया.

एक छोटे गांव से आने वाली रानी रामपाल  ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और हर जीत  के साथ उनका आत्मविश्वास और बढ़ता चला गया और आज  वह दुनिया की हर चुनौती का सामना करने  के लिए तैयार हैं.

रानी रामपाल के अलावा फुटबॉलर ज्योति आन बुरेट और क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और शुभलक्ष्मी शर्मा भी  आपको इस वीडियो में नजर आएंगी. जहां शुभलक्ष्मी शर्मा एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं, वहीं स्मृति भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए खेलती हैं. अगस्त 2014 में उन्होंने अपना पहला मैच इंग्लैंड की टीम के खिलाफ खेला. इस पहले मैच में ही उन्होंने अर्धशतक बनाकर भारतीय टीम को जीत दिलाने में मदद की.

इसी तरह ज्योति आन बुरेट फुटबॉल खिलाड़ी हैं, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्सेटर, इंग्लैंड से हेल्थ तथा स्पोर्ट्स में मास्टर करने के बाद ज्योति ने कॉर्पोरेट जगत को तवज्जो न देकर फुटबॉल को कॅरियर बनाया.

हरमनप्रीत कौर भी एक अन्य  महिला  क्रिकेटर हैं, जो  भारत की ओर से दो टेस्ट मैच, 49 वनडे इंटरनेशनल और 53 टी-20 मैच खेल चुकी हैं और कई मैच में भारतीय टीम की कप्तानी भी  कर चुकी है.

वीडियो की मेन हाईलाइट बॉलीवुड दीवा दीपिका पादुकोण, जो पहले राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी हैं, उनका मानना है कि मैं आज जो कुछ भी हूं, जो कुछ भी मैंने हासिल किया है उस सबके पीछे खेल का बहुत बड़ा योगदान है. मैंने कड़ी मेहनत,  प्रतिबद्धता, ध्यान, समर्पण, अनुशासन,  सब खेल के माध्यम से ही सीखा है. स्पोर्ट्स ने मुझे सफलता और विफलता दोनों को सम्भालना सिखाया है. यह खेल ही है जिसकी वजह से मैंने लड़ना सीखा है. इसकी वजह से ही आज मैं अजेय हूं.

इस म्यूजिक वीडियो में आने वाली पीढ़ी से अपील की गई है कि वे पुरानी परंपराओं को तोड़कर अपने जीवन में खेल को जोड़ते हुए सफलता की नई कहानी लिखें. दीपिका पादुकोण महिला खिलाड़ियों की सराहना करती नजर आ रहीं हैं.

जोश से भरा यह विज्ञापन देश की युवतियों को कुछ कर दिखाने का जज़्बा अपने भीतर पैदा करने के लिए प्रेरित कर रहा है. साथ ही यह भी बता रहा है कि फिटनेस की ओर पहला कदम हमेशा ही कठिन होता है, लेकिन अगर एक बार ठान लिया जाए तो कोई मंजिल दूर नहीं.

इस वीडियो में प्रेरित करने वाली इन सभी महिलाओं की ज़िन्दगी भले ही एक दूसरे से काफी अलग हो परन्तु सफलता तक पहुंचने का उनका रास्ता एक ही था और वह था खेल. इनमें से प्रत्येक खिलाड़ी  ने काफी छोटी उम्र में पुरुषों के वर्चस्व वाले खेल  में कदम रखा और अंततः जीत हासिल की.

इन सभी खिलाडियों की आज की सफलता बयां कर रही है कि  जब कोई लडक़ी या महिला किसी खेल को अपनाती है तो वह खेल कैसे उसकी पूरी जिंदगी बदल देता है और वह कैसे अपनी कमजोरियों पर नियंत्रण पाने के साथ साथ  इच्छा शक्ति पर भी विजय पा लेती है.

महिलाऐं हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं और  ऐतिहासिक तौर पर भारतीय महिलाओं  की भूमिका में काफ़ी अंतर आया है पहले जहाँ  परम्परागत तौर  पर नारी की भूमिका घरेलू कामों से जुडी़ रहती थी  और उन्हें  खेल कूद से दूर रखा जाता था लेकिन आज की महिलाओं ने इस क्षेत्र में भी अपना लोहा मनवा लिया है. 

पांच बार ‍विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की जेता मैरी कॉम,  दुनिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त महिला बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल, भारत की पहली विकलांग महिला खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई एक कृत्रिम पैर के साथ की. भले ही खेलों में महिलाएं लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं.

लेकिन आज भी हमारे देश में जब सामान्य परिवार की एक लड़की खेल को अपना कॅरियर बनाने को सोचती है तो उसे  घर परिवार के सामने अपनी काबिलियत साबित करनी पड़ती है, तमाम बाधाओं से लड़ना पड़ता है.

 किसी तरह अगर वह घर वालो शादी से पूर्व घर वालों को मना भी ले तो ज़रूरी नहीं कि विवाह के बाद उसका पति या उसके ससुराल वाले उसके इस पैशन को आगे बढाने में उसकी मदद करें.

वैश्विक स्तर पर खेलों में भारतीय महिलाओं की सफलता के बावजूद देश में लड़कियों को खेलों के क्षेत्र में जाने देने को लेकर उत्साह में कमी है. लड़कियों को अभी काफी लम्बा रास्ता तय करना है. हम उम्मीद करते हैं कि ‘डा डा डिंग ‘जैसे वीडियो रुपी ये छोटे छोटे प्रयास भविष्य में अधिक से अधिक लड़कियों को खेल में आगे आने के प्रेरित करेंगे.

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