‘अइबे त आव. आदत सुधर के रहे पड़ी. हमार नीति ह, जीओ औ जीने दो. रिलायंस वाला जीओ नहीं. रिलायंस वाला जीओ का मतलब होता है, एक आदमी जीओ और बाकी सब मरो.’ अपनी पार्टी राजद के 20वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित जलसे में लालू यादव ने पार्टी छोड़ कर भागने वालों को दुबारा पार्टी में शामिल होने का खुला न्यौता दिया. खास बात यह रही कि न्यौता के साथ-साथ उन्होंने धमकी भी दे डाली. उन्होंने साफ कहा कि जिसे राजद में वापस आना है वह आ सकते हैं, पर आने के पहले अपनी आदतों को सुधार लें. पुरानी आदतों को सुधरने के बाद ही राजद में जगह मिलेगी.
5 जुलाई 1997 को जनता दल से अलग होकर लालू ने नई पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बनाई थी. उसके बाद साल 2005 तक बिहार पर राजद ने राज किया था. सरकार गंवाने के बाद लालू की पार्टी में उठापटक शुरू हो गई थी. जिस दल ने 16 सालों तक सरकार की मलाईयां काटी, उसका सत्ता से दूर होना उसके लिए परेशानी का सबब बन गया था. 5 सालों तक तो राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दुबारा सत्ता पाने का इंतजार किया, पर जब साल 2010 में एक बार फिर नीतीश की सरकार बन गई, तो राजद के नेताओं का सब्र का बांध टूट गया.
सबसे पहले साल 2009 में आम चुनाव से पहले लालू के ‘दुलारे’ साले साधु यादव ने अपने जीजा और राजद दोनों से कन्नी कटा लिया था. राजद छोड़ उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया और कांग्रेस के टिकट पर गोपालगंज से लोकसभा का चुनाव लड़ा, पर कामयाबी नहीं मिल सकी. छोटे साले सुभाष यादव ने भी बुरे दिनों में लालू से किनारा कर लिया. उसके बाद उन्होंने कई दलों में जाने की बातचीत की, पर कोई बातचीत परवान नहीं चढ़ सकी. फिलहाल वह सियासत से दूर पटना के विधायक कौलोनी के अपने मकान में आराम की जिंदगी गुजार रहे हैं. उसके पहले लालू के करीबी श्याम रजक ने लालू पर यह आरोप लगा कर उनका साथ छोड़ दिया था कि लालू यादव उन्हें जातिसूचक बातों से बेइज्जत करते रहते हैं.
लालू और उनकी पार्टी राजद को सबसे बड़ा झटका फरवरी 2014 में लगा था, जब उनकी पार्टी के 13 विधायकों ने उन्हें टाटा-बाय-बाय कर दिया और तब उनके प्रतिद्वंद्वी रहे नीतीश कुमार के खेमे में जा बैठे थे. सम्राट चौधरी, राघवेंद्र प्रताप सिंह, ललित यादव, रामलपण राम, अनिरूद्ध कुमार, जावेद अंसारी जैसे कद्दावर नेताओं ने लालू का साथ छोड़ दिया था. इन नेताओं का आरोप था कि लालू ने राजद को कांग्रेस की बी-टीम बना कर रख दिया है. इस झटके से लालू उबर भी नहीं पाए थे कि उनके सबसे भरोसेमंद सिपहसालार और लालू के आंख-कान माने जाने वाले रामकृपाल यादव ने उनके ‘लालटेन’ छोड़ कर भाजपा का ‘कमल’ थाम लिया था.
साल 2015 में राजद के सीनियर लीडर और लालू के संघर्ष के साथी रघुनाथ झा ने भी राजद को छोड़ कर समाजवादी पार्टी का झंडा उठा लिया था. इस तरह लालू के कई करीबी और भरोसेमंद नेता बारी-बारी राजद के डगमग जहाज को छोड़ कर सियासत की नई नैया पर सवार होते गए. अब जब 10 सालों के बाद नीतीश के साथ मिल कर लालू दुबारा सत्ता में लौटे हैं तो उन्हें अपने पुराने दोस्तों और नेताओं की याद आने लगी है. तभी तो राजद के 20वें स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने आपने पुराने साथियों को घर वापसी को खुला न्यौता दे डाला है. अब देखना यह है कि लालू के न्यौते का उनके पुराने करीबियों पर कब तक, कैसा और कितना असर हो पाता है?
बदले-बदले से दिखने वाले लालू को अब अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी खासा ख्याल आने लगा है. तभी तो उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकत्ताओं की दुखती रग पर हाथ रखते हुए उन्होंने कहा कि जो अफसर राजद कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनेंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने साफ किया कि मुख्यमंत्री नीतीश के साथ बात करके अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रभुनाथ सिंह ने ठीक ही कहा था कि कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिल रहा है. आगे उन्होंने कहा कि बोर्ड और निगम का अध्यक्ष बनने की लालच में पार्टी कार्यालय में बायोडाटा जमा करने वाले कार्यकर्ताओं को फटकार लगाते हुए लालू ने कहा कि हर किसी को खुश नहीं किया जा सकता है. गौरतलब है कि राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने अपने तकरीर में अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि राजद कार्यकर्ताओं को कई अफसर बेइज्जत करते रहते हैं. सरकार में शामिल सभी दलों में सबसे बड़ा दल होने के बाद भी राजद को दरकिनार कर रखा गया है. इससे कार्यकर्ताओं को मनोबल टूट रहा है.
इस मौके पर उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी जम कर तीर चलाए. उन्होंने कहा कि अडानी का 2000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया गया. रिलायंस को फायदा पहुंचाया जा रहा है. मोदी सरकार को अमीरों की सरकार करार देते हुए लालू ने कहा कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत है. लालू ने अपने कार्यकर्ताओं को सचेत करते हुए कहा कि भाजपा सकरकार आरक्षण को खत्म करने की साजिश में लगी हुई है. देश को तोड़ने में लगी हुई है. उन्होंने कड़े लहजे में कहा- ऐ भाजपा वालों, लालू के शरीर के खून का हर कतरा आरक्षण को खत्म करने की साजिश रचने वालों को कामयाब नहीं होने देगा.
रामविलास का चिप उड़ा
रामविलास पासवान ने पिछले दिनों ये यह कह कर लालू को बौखला दिया है कि स्कूली पढ़ाई के दौरान लालू यादव 5 बार मैट्रिक की परीक्षा में फेल हुए थे. इसके जबाब में उन्होंने रामविलास की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि रामविलास पासवान के दिमाग का चिप उड़ गया है. हमेशा अंट-शंट बोलते रहते हैं. रामविलास के बजाए जीतनराम मांझी को केंद्र में मंत्री बनाना चाहिए था, क्योंकि मांझी पासवान से ज्यादा प्रतिभा वाले नेता हैं. प्रधानमंत्री को उनकी बातों पर विचार करना चाहिए.