किसानों की भलाई से बढ़ कर कुछ नहीं
कृषि पर कर लगाने का प्रधानमंत्री का कोई इरादा नहीं

नई दिल्ली : पिछले दिनों कृषि पर कर लगाए जाने की खबरों से किसानों में खलबली सी मच गई थी, मगर अब इन खबरों पर विराम लगाते हुए कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि ऐसा करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कतई कोई इरादा नहीं?है. किसानों के हितों को सब से महत्त्वपूर्ण बताते हुए राधामोहन सिंह ने कहा कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उम्मीदों से भी ज्यादा बढ़ाया जाएगा. प्रधानमंत्री की मृदा (मिट्टी) परीक्षण योजना को कामयाबी का जामा पहनाने में जुटे राधामोहन सिंह ने कहा कि ऐसी मशीन बनाई गई?है, जिस के जरीए किसान खुद अपनी मिट्टी की जांच कर सकेंगे. यह कारगर मशीन अगले साल से किसानों को मिलनी शुरू हो जाएगी.

दलहन का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश के तहत एक खास ऐलान करते हुए राधामोहन सिंह ने कहा कि देश में 100 से?ज्यादा जगहों पर दलहन के बीज हब बनाए जाएंगे. कृषि मंत्री ने बताया कि खेती की बेहतरी के लिए इस साल देश भर में 50 नए ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ खोलने का लक्ष्य रखा गया?है. सूखे की मार के बावजूद खेती की पैदावार में कमी न होने पर खुशी जाहिर करते हुए राधामोहन सिंह ने किसानों का शुक्रिया अदा किया. इस के लिए उन्होंने देश के कृषि वैज्ञानिकों का भी आभार जताया. उन्होंने कहा कि देश के माहिर कृषि वैज्ञानिकों ने उन्नत किस्म के उम्दा बीज तैयार किए हैं, जो कम पानी और सूखे वाले इलाकों में भी अच्छी पैदावार दे रहे हैं.

राधामोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एक बेहद महत्त्वकांक्षी योजना?है. पंजाब को?छोड़ कर देश के 20 खास सूबों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू कर दिया है. राधामोहन सिंह ने कहा कि इनसानों द्वारा पैदा की गई मुसीबतों और कुदरती आपदाओं के असर को कम करने की खातिर कई कदम उठाए गए?हैं. उम्मीद है कि इन कदमों का बेहतर नतीजा जल्द ही सामने आएगा. बीते 2 साल की कारगुजारियों का खुलासा करते हुए राधामोहन सिंह ने कहा कि कामकाज की रफ्तार और सरकार का मिशन काबिलेगौर है. विकास की नईनई योजनाएं बनाई गई?हैं. कृषि उत्पाद का लागत मूल्य घटाना और किसानों की आमदनी बढ़ाना, सरकार के लिए बड़ी चुनौतियां थीं. इन से निबटने के लिए सरकार ने कारगर कोशिशें की हैं.

किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार कृषि के साथ उस से जुड़े उद्यमों को खास तरजीह दे रही है. कृषि मंत्री का कहना है कि अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए किसान खेती के साथसाथ पशुपालन, मधुमक्खीपालन और मत्स्यपालन जैसे काम?भी कर सकते?हैं. किसानों को रियायती दरों पर पर्याप्त कर्ज भी मुहैया कराया जा रहा?है.

अब की बार जबरदस्त बरसात होने के पूरे आसार

नई दिल्ली : हर साल अप्रैलमई आतेआते बारिश के बारे में चर्चा होने लगती?है. कभी कम बारिश की बात होती है, तो कभी जोरदार बरसात का अंदाजा लगाया जाता?है. इस साल की बात करें तो भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने कमजोर मानसून की आशंका को खारिज करते हुए कहा है कि 96 फीसदी उम्मीद यह?है कि इस साल बारिश सामान्य या सामान्य से ज्यादा होगी. मौसम विभाग के मुताबिक पूर्वोत्तर के अलावा पूरे भारत में जबरदस्त बरसात होगी. केवल पूर्वोत्तर में सामान्य से कुछ कम मानसूनी बरसात होने का अनुमान है. इस दफे अच्छी बारिश होने की उम्मीद से सूखे से जूझने वाले सूबों को भरपूर राहत मिलेगी. आईएमडी के महानिदेशक लक्ष्मण राठौर ने कहा कि अनाज उत्पादन करने वाले खास सूबों पंजाब व हरियाणा समेत पूरे उत्तर पश्चिम भारत में इस बार 108 फीसदी बारिश होगी. मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में 113 फीसदी बारिश होने का अंदाजा लगाया गया?है. पूर्वोत्तर इलाके में 94 फीसदी बारिश होने का अनुमान लगाया गया?है, जो सामान्य से थोड़ा सा ही कम है. ये आंकड़े और अटकलें खासी लुभाने वाली हैं, क्योंकि फिलहाल किसान पानी के लिए तरस रहे?हैं.

आईएमडी के महानिदेशक लक्ष्मण राठौर ने बताया कि जुलाई में 107 फीसदी और अगस्त में 104 फीसदी बरसात होगी. उन्होंने कहा कि भारत में इस बार भरपूर बारिश होने की उम्मीद है. लक्ष्मण राठौर ने कहा कि केरल में आने के बाद मानसून तेजी से पूर्वी और मध्य भारत की तरफ बढ़ता है. अनुमानों में 90 फीसदी से कम बारिश को कम बारिश माना जाता है, जबकि 90 से 96 फीसदी के बीच वाली बरसात को सामान्य से कम माना जाता?है. अगर बारिश 96 से 104 फीसदी के बीच होती?है, तो मानसून की हालत सामान्य मानी जाती है. बहरहाल, अब तक सूखे से हैरानपरेशान किसानों के लिए इस बार जोरदार बारिश खुशियों के पैगाम ले कर आएगी. जोरदार बरसात का जश्न किसान भरपूर फसलें उगा कर मनाएंगे.   

योजना

फलसब्जी की मार्केटिंग कमेटी

पटना : बिहार के किसानों को उन के उत्पादों का बाजिब हक देने के लिए प्रखंड लेबल पर फलसब्जी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग सहकारी समितियां बनाई जाएंगी. समितियों को प्रोसेसिंग यूनिट लगाने और मार्केटिंग के लिए सरकार हर तरह की मदद देगी. इस के लिए सहकारिता विभाग ने बाकायदा मौडल बनाया है. पहले चरण में साल 2016 में वैशाली, नालंदा, समस्तीपुर समेत 8 जिलों में सहकारी समितियों को बनाने का लक्ष्य रखा गया है. उस के बाद बाकी जिलों में भी इस का गठन किया जाएगा. इन समितियों के जरीए फलों और सब्जियों के उत्पादकों को काफी फायदा मिलेगा. सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने बताया कि प्रखंड लेबल पर फलसब्जी सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा?है. कंफेड की दुग्ध उत्पादक समिति की तरह फलसब्जी समिति बनाने से उत्पादकों को अपनी चीजों की बेहतर कीमत मिल सकेगी. प्रखंड स्तर पर फलसब्जी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की अलगअलग सहकारी समितियां होंगी. उस के?ऊपर जिला स्तर पर केंद्रीय सहकारी समितियां होंगी. राज्य स्तर पर फेडरेशन का गठन किया जाएगा. समितियां किसानों से फलसब्जी लेंगी. उस के बाद उन्हें पैकेजिंग और ग्रेडिंग सेंटर भेजा जाएगा. उस के बाद रेफ्रिजरेटर गाड़ी में लाद कर उन्हें विक्रय केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा.        

फैसला
ब्रेड में पोटैशियम ब्रोमेट से तोबा

नई दिल्ली : ब्रेड को ले कर पिछले दिनों काफी नुक्ताचीनी की गई थी और तमाम ब्रेड कंपनियों की छीछालेदर की गई. इतने तमाशे के बाद अब भारत में बिकने वाली ब्रेड पूरी तरह सुरक्षित होगी. देश के चोटी के ब्रेड निर्माताओं ने कैंसर की वजह माने जाने वाले रसायन पोटैशियम ब्रोमेट का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया?है. आल इंडिया ब्रेड मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईबीएमए) के अध्यक्ष रमेश मागो ने बताया कि ब्रेड निर्माण में इस्तेमाल होने वाला पोटैशियम ब्रोमेट सुरक्षित है और उसे मिलाना वैधानिक भी है, क्योंकि उसे ‘भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (एफएसएसएआई) ने मंजूरी दी है. मगर अब चूंकि इसे कैंसर की वजह माना जा रहा?है, इसलिए देश के संगठित ब्रेड निर्माताओं ने इस का इस्तेमाल बंद करने का फैसला लिया है. एक गैर सरकारी संगठन द्वारा ब्रेड में कैंसर के खतरे वाले पोटैशियम ब्रोमेट के इस्तेमाल की रिपोर्ट आने और एफएसएसएआई द्वारा इस रसायन पर प्रतिबंध के प्रस्ताव के बाद ब्रेड बनाने वाली कंपनियां दबाव में थीं.

इसी वजह से बीच में ब्रेड की बिक्री भी घट गई?थी. लोग बेफिक्र हो कर ब्रेड खा सकें, इस के लिए एआईबीएमए ने मर्जी से इस रसायन का इस्तेमाल न करने का फैसला लिया?है.                       

इरादा

हर खेत तक पानी पहुंचेगा : राधामोहन

हरियाणा : फरीदाबाद में केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम कृषि योजना के तहत हर खेत तक पानी पहुंचाना है. कृषि मंत्री ने केंद्र सरकार की 2 वर्ष की सफलताओं के बारे में जिमखाना क्लब में पत्रकारों को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हर गांव को बिजली के साथ जोड़ने की योजना के तहत देश के 18 हजार गांवों में 50 फीसदी गांवों को बिजली के साथ जोड़ दिया गया है और 1 जून 2017 तक सभी गांवों के खेतों में बिजली पहुंचा दी जाएगी. जिस से कोई भी खेत बिना पानी के सूखा नहीं रहेगा.

वेतन
कृषि मजदूरों को मिलेंगे 4524 प्रति माह

लखनऊ : प्रदेश सरकार ने खेती में काम करने वाले मजदूरों का न्यूनतम वेतन 174 रुपए प्रतिदिन करने का फैसला किया?है. इस की मंजूरी प्रदेश के काम मंत्री शाहिद ने दी. अब प्रदेश के खेती के काम करने वाले मजदूरों को 4524 रुपए प्रति माह या 174 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी देनी होगी. जमीन की जुताई, बोआई, खेती उगाना, काटना, उपज को मंडी ले जाना, दुग्ध उद्योग, पशु कार्य, मुरगी पालन, मौनपालन, मशरूम की खेती जैसे कामों में लगे मजदूरों पर यह नियम लागू होगा.                              

पाबंदी
यमुना किनारे खेती पर लगी रहेगी रोक

नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण एनजीटी ने किसानों के एक संगठन की अर्जी पर सुनवाई से साफ इनकार कर दिया. अर्जी में उस आदेश में संशोधन की मांग की गई?थी, जिस के जरीए यमुना के किनारे फसलों व सब्जियों की खेती पर रोक लगा दी गई?थी. एनजीटी ने सलाह दी कि यमुना नदी का पानी बहुत ज्यादा प्रदूषित है और इनसान की सेहत के लिए अत्यंत नुकसानदायक?है. यमुना नदी के इस दूषित पानी से पैदा होने वाली सब्जियां भी दूषित यानी नुकसानदायक हो सकती हैं. इसलिए यह रोक जारी रहेगी.

तकाजा
केंद्र से बहुत कम मिली दाल

पटना : बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन साहनी ने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर आरोप लगाया है कि वे बिहार के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बिहार में दाल की कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई गई थी, पर अभी तक उस की सप्लाई नहीं हो सकी है. केंद्र से 16500 टन दाल की मांग की गई थी, पर केवल 7 टन दाल ही मिल सकी है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत 1 करोड़ 64 लाख 15 हजार 699 लाभुक परिवारों को देने के लिए सूबे को 16500 टन दाल की जरूरत है. मंत्री ने केंद्रीय खाद्य मंत्री पासवान पर निशाना साधते हुए कहा कि वे गुजरात के पीडीएस को बिहार से बेहतर बता रहे?हैं, पर हकीकत यह?है कि गुजरात की तुलना में बिहार में लीकेज कम है. यूपीए सरकार ने जब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना लागू की थी, तो बिहार ने सब से पहले 1 फरवरी 2014 को ही इसे लागू कर दिया था. गुजरात में यह योजना 2016 में लागू हो सकी. साल 2014 में ही बिहार में डोर?स्टेप डिलीवरी और गाडि़यों में जीपीएस सिस्टम लागू किया गया. कंप्यूटराइजेशन का काम भी तेजी से चल रहा?है.

अनाज का उठाव और वितरण समय पर किया जाता?है. अलगअलग एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा?है कि बिहार के पीडीएस में गुजरात की तुलना में कम लीकेज है. सब से बेहतर पीडीएस उड़ीसा का आंका गया है. उस के बाद छत्तीसगढ़ और फिर बिहार का नंबर है. गुजरात पांचवें नंबर पर है. इस के बाद भी केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान गुजरात की ही माला जप रहे हैं.   

         

खोज
कृषि विश्वविद्यालय द्वारा नई किस्में

छत्तीसगढ़ : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा विकसित धान, अलसी, सोयाबीन, कुटकी, मटर और उड़द की 9 नई किस्मों को व्यावसायिक खेती व गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन के लिए अधिसूचित किया?है. इन में बादशाह भोग सलैक्शन 1, दुबराज सलैक्शन 1, तरुण भोग सलैक्शन 1, विष्णु भोग सलैक्शन 1, छत्तीसगढ़ जिंक साइज 1?धान की किस्में हैं. छत्तीसगढ़ अलसी 1, छत्तीसगढ़ सोयाबीन 1, छत्तीसगढ़ कुटकी 2, इंदिरा मटर 1 व इंदिरा उड़द 1 भी इन में शामिल हैं. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले साल 15 विभिन्न फसलों की 22 नई प्रजातियां संस्थान के द्वारा विकसित की गई?थीं, जिन्हें नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भेजा गया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली में उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डा. जेएस संघू की अध्यक्षता में इन 22 प्रजातियों में से 9 नई प्रजातियों को अधिसूचित किया गया.         

हालात
गेहूं का आयात शुल्क मुक्त

नई दिल्ली : सरकार गेहूं के आयात को शुल्क मुक्त करने जा रही?है. मौजूदा सीजन में गेहूं की कमी को देखते हुए सरकार ने आयात शुल्क खत्म करने का फैसला लिया है. अभी गेहूं के आयात पर 25 फीसदी का शुल्क लगता?है, जो 2016 के 30 जून तक प्रभावी है. मौजूदा हालात में सरकारी खरीद में होने वाली कमी व सूखे की वजह से उत्पादन घटने के अंदेशे को देखते हुए सरकार गेहूं के आयात का रास्ता खोलना चाहती?है, ताकि बाजार में गेहूं की मौजूदगी बनी रहे और आम खरीदारों को महंगा गेहूं और आटा न खरीदना पड़े. रायटर्स के मुताबिक 2016-17 के दौरान भारत 50 लाख टन गेहूं का आयात कर सकता?है. इस की वजह यह?है कि भारत में सूखे के कारण गेहूं की पैदावार में कमी आ सकती है. रायटर्स ने आईटीसी के एग्री व आईटी बिजनेस हेड एस शिवकुमार के हवाले से बताया कि इस साल भारत में अनाज का उत्पादन 8.5 करोड़?टन रहने का अंदाजा है. यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 2.3 फीसदी कम है. सरकार के सूत्रों के अनुसार इस साल अब तक गेहूं की 280 लाख टन की?ही सरकारी खरीद हो पाई?है, जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 30 लाख टन कम है. इस बार मध्य प्रदेश से होने वाली गेहूं की सरकारी खरीद में काफी गिरावट आई?है. सरकार को इस बात की फिक्र?है कि कहीं बाजार में गेहूं की कमी न हो जाए.            

मुहिम
सपा नेता लड़ेंगे किसानों की जंग

मुरादनगर : ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे के लिए जमीन देने वाले दुहाई गांव के किसान अपनी मांगों को ले कर सपा के मुरादनगर विधानसभा प्रत्याशी से मिले. सपा प्रत्याशी दिशांत त्यागी ने किसानों की मांगों को डीएम से मिल कर पूरी कराने का यकीन दिलाया है. दिशांत त्यागी ने कहा कि किसानों के हित में बाकायदा जंग लड़ी जाएगी. किसानों ने एक समान मुआवजे की रकम का वितरण दुहाई की एक कन्या पाठशाला में कराने की मांग की है. किसान चाहते?हैं कि मुआवजे का यह मामला शांति और सुकून से निबट जाए. वे बिलावजह फसाद करने के मूड में नहीं हैं. ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे का मुआवजा एक समान देने की मांग को ले कर किसानों का लगातार धरना जारी?है. ‘ईस्टर्न प्रभावित किसान कल्याण समिति’ के बैनर तले तमाम किसान बसंतपुर सैंथलीभीकनपुर मार्ग पर काफी अरसे से धरने पर बैठे हैं. जदयू के सांसद केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी ने धरने वाली जगह पर पहुंच कर किसानों का पुरजोर समर्थन किया.

इजाफा
खानेपीने की चीजें हुईं महंगी

नई दिल्ली : पिछले महीने में चीनी, दाल व सब्जी वगैरह की कीमतों में इजाफा होने से खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 5.76 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई और खानेपीने की चीजों की महंगाई दर 7.55 फीसदी हो गई. इसी साल अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 5.47 फीसदी तो खाद्य महंगाई दर 6.40 फीसदी थी. साल 2015 की मई में खुदरा महंगाई दर 5.01 फीसदी तो खाद्य महंगाई दर 4.80 फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई महीने में दाल व दाल उत्पाद की कीमतों में 31.57 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस के साथ ही सब्जी के दाम में 10.77 फीसदी, चीनी व खांडसारी के दामों में 13.96 फीसदी, फल के दाम में 4.83 फीसदी, अंडे के दाम में 9.13 फीसदी, मांस व मछली के दामों में 8.67 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया. अलबत्ता इस साल मई में किसी भी चीज की खुदरा कीमतों में गिरावट दर्ज नहीं की गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई महीने में मसाले के दाम में 9.72 फीसदी, चीनी के दाम में 13.96 फीसदी और गैर अल्कोहोलिक पेय पदार्थ के दाम में 4.11 फीसदी का अच्छाखासा इजाफा दर्ज किया गया. आर्थिक मामलों के माहिरों के मुताबिक इस साल बेहतर मानसून की उम्मीद को मद्देनजर रखते हुए आगामी महीने से दलहन वगैरह की कीमतों में गिरावट आ सकती?है. इस बात में शक नहीं है कि इस गिरावट का असर खुदरा महंगाई दर पर भी देखने को मिलेगा.      

सुविधा
अनुदान पर मिलेंगे कृषि यंत्र

सिरसा : कृषि विभाग की तरफ से किसानों को अपनी खेती करने के लिए कृषि यंत्र अनुदान पर मिलेंगे. किसानों को अनुदान पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिया जाएगा. ट्रैक्टर चालित स्प्रे पंप के लिए 1 जुलाई 2016 शाम 3 बजे तक सहायक कृषि अभियंता, पुरानी कचहरी, सिरसा के दफ्तर में आवेदन करें.

इन में हस्ताचलित स्प्रे पंप व बैटरीचालित स्प्रे पंप शामिल हैं. किसानों को अभी लेजर लैंड लेवलर 1075 रुपए की विभागीय फीस के साथ 10 घंटे के लिए मिल रहा?है. जिस में ट्रैक्टर व ड्राइवर भी शामिल है. कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही यह योजना वाकई काबिलेतारीफ कही जा सकती है, क्योंकि आम किसान के लिए महंगे कृषि यंत्रों का बंदोबस्त करना आसान नहीं होता है.           

धाक
भारत द्वारा चीनी का निर्यात

नई दिल्ली : भारत की चीनी उत्पादन के मामले में दुनिया में धाक है और तमाम देश भारतीय चीनी की आस लगाए रहते हैं. अपनी इसी छवि के तहत भारत ने अक्तूबर के अंत से आरंभ हुए 2015-16 मार्केटिंग साल में अब तक 16 लाख टन से ज्यादा चीनी का निर्यात किया?है. निर्यात की गई चीनी की यह मात्रा पिछले साल निर्यात की गई मात्रा से 46 फीसदी ज्यादा है. निर्यात की गई चीनी की मात्रा के बारे में यह जानकारी उद्योग संगठन इस्मा (इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन) के हवाले से दी गई?है. भारत ने 2014-15 मार्केटिंग साल (अक्तूबरसितंबर) में 11 लाख टन चीनी का निर्यात किया था. ब्राजील के बाद चीनी उत्पादन के मामले में हिंदुस्तान दुनिया भर के देशों में दूसरे नंबर पर आता है. भारत चीनी का दूसरा बड़ा उत्पादक बेशक?है, मगर चीनी यानी मीठे का सब से बड़ा उपभोक्ता भी है. माहिरों ने चीनी का उत्पादन 2015-16 मार्केटिंग साल में गिर कर 2.5 करोड़ टन रहने का अंदाजा लगाया है. इस से पहले वाले साल में 2.83 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया गया था. कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूखे की वजह से अगले मार्केटिंग साल में उत्पादन गिर कर 2.3-2.4 करोड़ टन तक रहने का अंदाजा है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक भारत के खास गन्ना और चीनी उत्पादक सूबे हैं.

कामयाबी
प्याज के निर्यात में इजाफा

नई दिल्ली : चीनी के साथसाथ प्याज के उत्पादन के मामले में भी भारत का दुनिया भर में डंका बजता है. इस साल भरपूर प्याज पैदा होने की बात जोरशोर से?छाई रही. ऐसे में प्याज के निर्यात में इजाफा होना लाजिम है. वित्त साल 2015-16 के पहले 11 महीनों के दौरान भारत का प्याज निर्यात 33 फीसदी यानी 2362 करोड़ रुपए बढ़ गया?है. नेशनल हार्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के मुताबिक साल 2015-16 के पहले 11 महीनों में प्याज का निर्यात 9,80,566 टन रहा. पिछले वित्त साल की इसी अवधि में प्याज का निर्यात 9,70,442 टन रहा था. इस बात का अंदाजा आंकड़ों से लगता है कि दाम के लिहाज से?प्याज का निर्यात पिछले साल की समान अवधि के 1771 करोड़ रुपए की तुलना में इस बार बढ़ कर 2362 करोड़ रुपए हुआ है. आंकड़ों में यह?भारी अंतर ज्यादा बिक्री की वजह से सामने आया है. पिछले साल सरकार ने न्यूनतम निर्यात कीमत जून में बढ़ा कर 425 डालर प्रति टन कर दी?थी और इस के बाद अगस्त में इसे और ज्यादा बढ़ा कर 700 डालर प्रति?टन कर दिया गया था.

उस दौरान बेमौसम बरसात की वजह से उत्पादन घटने से प्याज की कीमतों में काफी ज्यादा इजाफा हो गया था. इस बार तो खैर प्याज के हालात बदल गए हैं और भारत में इस की भरपूर पैदावार हुई है.

फरेब
सभी दलों ने किसानों को?जम कर ठगा

बिजनौर : चांदपुर में हुए ‘राष्ट्रीय किसान मजदूर पार्टी’ के कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा कि अब तक तमाम राजनीतिक दलों ने किसानों को सिर्फ छला?है. उन्होंने किसानों से जाति बिरादरी छोड़ कर किसान बिरादरी के लिए वोट करने को कहा. उन्होंने कहा कि अब की उत्तर प्रदेश में किसानों की सरकार बनेगी. बिजनौर रोड स्थित विवाह मंडप में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में वीएम सिंह ने कहा कि भाजपा ने विदेशों में जमा भारतीयों के धन को देश में वापस ला कर देशवासियों के हिस्से में 15-15 लाख रुपए आने की बात कही थी. इस वादे को प्रधानमंत्री तो पूरा नहीं कर पाए. वीएम सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनाव का टिकट 3-4 करोड़ रुपए में बिकता है. अगर वही रकम बच्चों में बांटी जाए तो देश के हर बच्चे के हिस्से में कम से कम 5-5 लाख रुपए आ जाएंगे. वीएम सिंह ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी खेती नहीं करना चाहती है,?क्योंकि खेती घाटे का सौदा साबित हो रही?है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि 22 सालों में किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी, जबकि 4500 से 5000 रुपए तक बिकने वाले धान की कीमत 1200 से 1500 रुपए हो गई. किसानों के हालात बयां करते हुए वीएम सिंह ने कहा कि किसान जमीन गिरवी रख कर बच्चों को पढ़ा रहे?हैं और उस के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि यह लड़ाई बच्चों के लिए?है. उन्होंने किसानों से अपनी पार्टी को वोट करने की अपील की. उन्होंने कहा कि बीते 70 सालों से सभी पार्टियों ने सिर्फ किसानों को छलने का काम किया?है. वीएम सिंह ने किसानों के दर्द को महसूस किया है, तभी वे उन की भलाई की बातें कर पाते?हैं.

राहत
नीली क्रांति के लिए मिलेगी मदद

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने बताया कि मछलीपालन के लिए नए तालाबों/टैंक के निर्माण और मौजूदा तालाबों/टैंकों के जीर्णोद्धार के लिए तय की गई लागत को बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा ‘नीली क्रांति योजना’ के तहत ही 50 फीसदी वित्तीय सहायता दी जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने यह जानकारी केरल की मत्स्य मंत्री श्रीमती मेरकी कुट्टी अम्मा के साथ गत दिवस कृषि भवन, नई दिल्ली में बैठक के दौरान दी. उन्होंने बताया कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने समुद्री और अंतर्देशीय मात्स्यिकी क्षेत्रों के समेकित विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए मात्स्यिकी विकास की योजनाओं का पुनर्गठन किया है. केरल की मत्स्य मंत्री ने बैठक के दौरान खास मुद्दों पर चर्चा की.

मुद्दा
चीनी के निर्यात पर शुल्क

नई दिल्ली : उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान के ट्वीट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी की कमी को देखते हुए जून 2016 के आखिर तक चीनी के निर्यात पर 25 फीसदी का शुल्क लगा दिया जाएगा. सरकार की तरफ से सैद्धांतिक तौर से 25 फीसदी के निर्यात शुल्क की मंजूरी दे दी गई है. इस शुल्क को लागू करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं?है. इस साल चीनी के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले 50 लाख टन से ज्यादा की कमी होने का अंदाजा है, जो कि सरकार के लिए चिंता का मुद्दा है. चूंकि चीनी का उत्पादन जरूरत से कहीं ज्यादा कम होने का अंदाजा है, इसलिए सरकार नहीं चाहेगी कि देश की चीनी बाहर निर्यात की जाए. इसी निर्यात पर लगाम लगाने के इरादे से सरकार यह कदम उठा रही?है. वैसे जरूरत पड़ने पर सरकार को चीनी का काफी मात्रा में आयात भी करना पड़ सकता?है. चीनी उत्पादन के मामले में हमेशा आगे रहने वाले भारत के लिए यह शर्म की बात है.       

हालात
आलू के दामों में लगातार इजाफा

नई दिल्ली : एक ओर प्याज के दाम कम होने से किसान परेशान हैं, तो दूसरी तरफ आलू के दामों में लगातार इजाफा दर्ज किया जा रहा?है. अंदाजा लगाया जा रहा?है कि दालों के बाद अब आलू की कीमतें आम लोगों पर भारी पड़ सकती हैं.पिछले 3-4 हफ्तों के दौरान आलू की कीमतों में 20 फीसदी से?ज्यादा का इजाफा हुआ है. आलू की कम पैदावार को देखते हुए आने वाले दिनों में इस के दामों में और ज्यादा इजाफा होने के आसार नजर आ रहे हैं. कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक साल 2015-16 में आलू का उत्पादन 455.69 लाख टन रहने का अंदाजा है. गौरतलब है कि साल 2014-15 में 480 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था. आलू के कारोबारियों के मुताबिक उत्पादन कम होने के कारण आलू के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं. कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के मुताबिक दिल्ली की आजादपुर मंडी में 3 हफ्तों के अंतराल में ही आलू का औसत भाव 1060 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ कर 1268 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. इसी तरह उत्तर प्रदेश की आगरा मंडी में आलू के दाम 3 हफ्तों के दौरान 860 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ कर 990 रुपए प्रति क्विंटल हो गए. एपीएमसी के मुताबिक गुजरात की अहमदाबाद मंडी में आलू के भाव में पिछले 3 हफ्तों के दौरान करीब 40 फीसदी का इजाफा हुआ?है.

आलू उत्पादकों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की तरह पश्चिम बंगाल में भी आलू के उत्पादन में कमी आई?है. इस बार पश्चिम बंगाल में 95 लाख टन आलू पैदा होने का अंदाजा लगाया जा रहा?है. गौरतलब है कि पिछले साल पश्चिम बंगाल में 120 लाख टन आलू पैदा हुआ था. आजादपुर मंडी के सूत्रों के मुताबिक फिलहाल आलू के दाम 10 से 14 रुपए प्रति किलोग्राम हैं, जबकि हल्द्वानी से आने वाले आलू के थोक दाम 22 से 24 रुपए प्रति किलोग्राम?हैं. अंदाजा लगाया जा रहा?है कि खुदरा बाजार में हल्द्वानी के आलू के दाम थोक दामों के दोगुने हो सकते हैं. जानकारों के मुताबिक सर्दी के मौसम में आलू के भरपूर उत्पादन के कारण अभी तक आलू के भाव सामान्य थे, जो अब लगातार बढ़ रहे?हैं. उत्पादन कम होने से आलू के निर्यात में भी कमी आई है. 2015-16 के अप्रैलजनवरी में आलू के निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 44 फीसदी की कमी आई?है. 2014-15 में 2.74 लाख टन आलू का निर्यात किया गया था, जो 2015-16 में घट कर 1.53 लाख टन रह गया.

मुहिम
निगम लगाएगा परिंदों के लिए फलदार पौधे

गाजियाबाद : इनसानों के लिए तो पेड़पौधे हमेशा लगाए जाते?हैं, पर अब नगर निगम ने पक्षियों के लिए 6500 फलदार और 23000 छायादार पौधे लगाने का फैसला लिया है. पौधे लगाने के लिए जगह भी तय कर ली गई है. महापौर अशु वर्मा ने उद्यान विभाग के अफसरों की मीटिंग बुला कर पौध रोपण मुहिम की रूपरेखा तैयार की. अशु वर्मा ने बताया कि साईं उपवन में 10000 पौधे लगाए जाएंगे. इन में 9.75 हेक्टेयर जमीन पर अमरूद, जामुन, आम, इमली, कटहल और बेल के 6500 पौधे लगाए जाएंगे, जबकि 5.3 हेक्टेयर जमीन पर अर्जुन और पिलखन के छायादार पेड़ लगाए जाएंगे. मेयर का मानना है कि फल वाले पेड़ों की कमी की वजह से पक्षियों के पेट नहीं भरते. इन के लिए फलदार पेड़ लगाना बहुत जरूरी?है. ईको पार्क की 1.5 हेक्टेयर जमीन पर 1000 अर्जुन और पिलखन के पेड़ लगाए जाएंगे. मेयर ने बताया कि इस के अलावा हिंडन पार इलाके में सड़कों के बीच सेंट्रल वर्ज पर पीपल व पिलखन के 3600 पौधे लगाए जाएंगे. रोड साइड और ग्रीन बेल्ट पर नीम व पीपल के 4662 पेड़ लगाए जाएंगे. पुराना गाजियाबाद इलाके में नगर निगम का उद्यान विभाग 5250 पौधे ग्रीन बेल्ट और रोड साइड पर लगाएगा, जबकि 1550 पौधे सेंट्रल वर्ज पर लगाए जाएंगे. श्यामाप्रसाद मुखर्जी पार्क के चारों ओर 500 पेड़ लगाए जाएंगे. पूरे बरसात के मौसम में फिलहाल 30000 पौधे लगाने का लक्ष्य है.

दर्दनाक
फ्लेवर्ड दूध पीने से 2 की मौत

रायपुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर और जांजगीर चांपा में 2 आंगनबाड़ी केंद्रों में फ्लेवर्ड दूध पीने से 2 बच्चियों की मौत हो गई, जबकि 7 बच्चे बीमार पड़ गए. बीजापुर के कुन्नू पुलिस स्टेशन में आने वाले केतुलनार गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में कम से कम 10 बच्चों ने दूध पिया था. यह दूध मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत बच्चों को दिया गया था. दूध पीने के बाद शाम को 4 बच्चों ने पेट में दर्द और उल्टी आने की शिकायत की. बच्चों को डाक्टर के पास भेजा गया, मगर दोनों ने दम तोड़ दिया.

सुविधा
राज्य की पहली कृषि एटीएम सेवा

बिहार : प्रदेश के नालंदा जिले में पहली बार कृषि एटीएम बस सेवा की शुरुआत की गई है. इस एटीएम बस सेवा में कृषि वैज्ञानिक, कृषि प्रशिक्षकों व बीजों के साथ कृषि से जुड़ी अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी. यह बस गांवगांव जा कर किसानों को नई कृषि तकनीक की जानकारी देगी. इस कृषि बस की शुरूआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में हुई. एक तरह से यह चलताफिरता जानकारी भरा मिनी कृषि केंद्र?है. उम्मीद की जा रही?है कि इस सेवा से किसानों को काफी फायदा होगा.

सहूलियत
राशन न मिलने पर मुआवजा

रांची : जनवितरण प्रणाली की दुकान से अगर कार्डधारियों को अनाज नहीं मिल पाएगा, तो सरकार बाजार दर से राशन के बदले मुआवजा देगी. इस के लिए कार्डधारियों को बाकायदा शिकायत दर्ज करानी होगी. जांच में अगर आरोप सही पाया गया, तो कार्डधारियों को मुआवजा मिलेगा और दोषियों को सजा दी जाएगी. ये बातें खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने रांची में कहीं. वे कडरू में राज्य खाद्य निगम के भवन का शिलान्यास कर रहे?थे. सरयू राय ने कहा कि राशन नहीं मिलने की शिकायत आम लोग अपर समाहर्ता से कर सकते?हैं. शिकायत की जांच की जाएगी. इस मामले में खाद्य आयोग में अपील होगी. सरकार की कोशिश है कि वह आम लोगों तक बिना किसी गड़बड़ी के राशन पहुंचाए. सरयू राय ने कहा कि जल्द ही सभी राशन कार्ड बन जाएंगे. जो कमियां?हैं, उन्हें दूर कर लिया गया है और इस मामले में लगातार काम चल रहा?है. जिन लोगों ने फर्जी बीपीएल कार्ड बनवाए हैं, उन पर सख्त कार्यवाही की जाएगी. खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि राशन के मामले में बिहार सूबे में पूरी मुस्तैदी बरती जाएगी. हर श्रेणी के लोगों का पूरा खयाल रखा जाएगा.         

मुहिम
दलहन की खेती विदेशों में

नई दिल्ली : दालों के दामों ने सरकार का चैन छीन लिया है, लिहाजा सरकार नएनए तरीके खोज रही है. अब दालों की कीमतों पर लगाम लगाने के इरादे से सरकार विदेशों में दाल की खेती कराने की तैयारी कर रही?है. सरकार देश में दाल की मांग और आपूर्ति का फासला कम करने के लिए कनाडा, म्यांमार, अमेरिका और अफ्रीका के साथ ‘कांट्रैक्ट खेती’ की संभावनाएं खोज रही?है. इस सिलसिले में खाद्य मंत्रालय जल्द ही जरूरी कार्यवाही करेगा. दालों की ‘कांट्रैक्ट खेती’ से अंतर्राष्ट्रीय बाजार के मुकाबले कम कीमत पर तय मात्रा में दालें उपलब्ध होंगी. इस योजना में सरकार विभिन्न देशों से समझौते करने के अलावा अपने साथ बड़े कारोबारियों को भी जोड़ने की तैयारी कर रही?है. अगर यह योजना सफल होती है तो कम कीमतों पर दालें आराम से उपलब्ध हो सकेंगी. अरहर और उड़द के साथसाथ इस बार चने के दाम भी बढ़ रहे?हैं. इस के लिए सरकार ने आस्ट्रेलिया से चना मंगाने की तैयारी शुरू कर दी?है.केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि इस बारे में म्यांमार सरकार से बातचीत करने के लिए एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल म्यांमार जाएगा.                 1

सुधार
अगले 5 सालों में किसानों के हालात सुधरेंगे

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा किसानों का कल्याण करने की दुहाई देते रहते?हैं. इसी के तहत कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार की नई योजनाएं आगामी 5 सालों में किसानों की बदहाल हालत सुधार देंगी. इस के लिए उत्पादकता बढ़ाई जाएगी, कृषि लागत में कमी लाई जाएगी, आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा, बाजार व्यवस्था में मजबूती लाई जाएगी और पशुधन को बढ़ावा दिया जाएगा. इन सब कोशिशों से किसानों की आमदनी दोगुनी की जाएगी. राधामोहन के मुताबिक सरकार की महत्तवाकांक्षी फसल बीमा योजना किसानों की आर्थिक सुरक्षा की गारंटी साबित होगी. मोदी सरकार के 2 साल पूरे होने के मौके पर राधामोहन ने बताया कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को मिट्टी हेल्थ कार्ड देने की योजना पर जोरों से काम हो रहा है. अगले साल तक सभी 14 करोड़ किसानों को  कार्ड हासिल हो जाएगा. इस से किसान जरूरत के मुताबिक उर्वरक का इस्तेमाल कर सकेंगे, नतीजतन खेती की लागत घटेगी, उत्पादन बढ़ेगा और खेत की हालत सुधरेगी.

राधामोहन सिंह ने कहा कि सरकार परंपरागत खेती यानी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है. जैविक खेती के लए बजट में 297 करोड़ रुपए रखे गए हैं. खाद्य सुरक्षा मिशन को कामयाब बनाने के लिए उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया?है. इस के लिए 1700 करोड़ रुपए रखे गए हैं, जो पिछली बार से 50 फीसदी ज्यादा हैं. दलहन उत्पादन के लिए 500 करोड़ रुपए रखे गए हैं. कृषि क्षेत्र व इस से जुड़ी तमाम गतिविधियों के लिए 9 लाख करोड़ रुपए मुकर्रर किए गए?हैं. किसानों को उन की उपज का वाजिब दाम दिलाने की खातिर राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना चालू की गई?है. इस में देश की 585 मंडियों को इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म से जोड़ा जा रहा है. अभी तक 8 सूबों की मंडियों को ई प्लेटफार्म से जोड़ जा चुका है. इस से किसान अपनी उपज का वाजिब दाम पा सकेंगे. राधामोहन सिंह ने बताया सरकार ने पहली बार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना मिशन मोड में लागू किया है. कुदरती कहर से फसल तबाह होने पर किसानों को पूरा मुआवजा दिया जाएगा.

कृषि मंत्री ने बताया कि रबी की फसलों का बीमा प्रीमियम 1.5 फीसदी रखा गया है और खरीफ की फसलों का बीमा प्रीमियम 2 फीसदी तय किया गया है. सरकार ने अगले 3 सालों में देश के 14 करोड़ किसानों में से आधे यानी करीब 7 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में लाने का लक्ष्य तय किया?है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह की बताई गई बातें अगर हकीकत का जामा पहन लेंगी तो यकीनन किसानों के हालात का एमदम से काया पलट हो जाएगा.  

मधुप सहाय, भानु प्रकाश व बीरेंद्र बरियार

सवाल किसानों के

सवाल : क्या पोपलर और यूकेलिप्टस की खेती फायदे का सौदा है? अगर है तो वैराइटी बताएं. दोनों के बारे में जानकारी दें. लोग कहते हैं कि यूकेलिप्टस से खेत खराब हो जाते?हैं, क्या यह बात सही?है?

-नरेश गुप्ता, एसएमएस?द्वारा

जवाब : पोपलर और यूकेलिप्टस दोनों ही फायदे की खेती हैं, परंतु यूकेलिप्टस ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जहां पानी की कमी न हो. पोपलर की खास प्रजातियां?हैं : जी 48, पीपी 5, उदय, एल 1-30, एस 7 सी 8. यूकेलिप्टस की खास प्रजातियां हैं : क्लोन नंबर, 413, 72, 73. यूकेलिप्टस से खेत खराब होने वाली बात सही नहीं है.

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सवाल : आम का बाग लगाना चाहता हूं. इस बारे में सलाह दें. आम की उम्दा किस्मों के पौधे कहां से मिलेंगे?

-ऋषि सिंह, एसएमएस द्वारा

जवाब : ‘फार्म एन फूड’ के 1 जून 2016 अंक के पेज नंबर 12 पर आम की सघन बागबानी का लेख दिया गया?है. उम्दा किस्में : अलफांसो, केशर, हिमसागर, नीलम, दशहरी 51, दशहरी, मलका, चौसा, बंबई, पूसा प्रतिभा, पूसा श्रेष्ठ वगैरह. आम की सभी प्रजातियों के पौधे सीआईएसएच रहमान खेड़ा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) व आईसीएआर नई दिल्ली से मिल जाएंगे.

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सवाल : राजस्थान में जीरे की खेती करता हूं. विल्ट रोग की समस्या से परेशान हूं. क्या करूं?

-रवि, एसएमएस द्वारा

जवाब : यह रोग फफूंद से पैदा होता?है. रोग का हमला पौधे की किसी भी अवस्था में हो सकता?है. परंतु फसल के शुरू में इस का ज्यादा प्रकोप देखा गया?है. रोग ग्रसित पौधे हरे के हरे ही मुरझा जाते हैं. चूंकि रोग पौधे की जड़ में लगता है, इसलिए इस का इलाज कठिन है. इस रोग की पूरी तरह रोकथाम मुमकिन नहीं हो पाई?है, इसीलिए हमेशा रोगरहित बीजों की बोआई करें. बीजों को पारायुक्त दवा जैसे एग्रोसान जीएन या सेरेसान या बेविस्टीन एसडी की 2 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. सही फसल चक्र अपनाने और गरमियों में गहरी जुताई करने से इस रोग को रोका जा सकता है.

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सवाल : टमाटर के पौधों में सूक्ष्म लाल मकड़ी का प्रकोप है. रोकथाम कैसे करें?

-रामकृष्ण पवार, एसएमएस द्वारा

जवाब : सूक्ष्म लाल मकड़ी की रोकथाम के लिए मेलाथियान 0.05 फीसदी या कार्बारिल 0.1 फीसदी का छिड़काव करें.

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सवाल : अनार की खेती की तकनीकी जानकारी दें?

-अमित चौधरी, एसएमएस द्वारा

जवाब : अनार की प्रजातियां : गणेश, घोलका, स्पेनिश रूवी, पेपर शैल, अलांडी वगैरह. इस की रोपाई उत्तरी भारत में बसंत के मौसम में और दक्षिणीपश्चिमी भारत में बारिश के मौसम में 3.5 मीटर के अंतर पर करें.

डा. अनंत कुमार
कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद

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