इमरती और जलेबी का रंग करीबकरीब एक जैसा ही होता है. दोनों के स्वाद और डिजाइन में फर्क होता है. इमरती सब से पुरानी मिठाइयों में शुमार की जाती है. देश के हर छोटेबडे़ बाजार में यह मिलती है. उड़द की दाल से तैयार होने के कारण यह खोए और दूध की मिठाइयों की तरह जल्द खराब नहीं होती है. इस का रसीला कुरकुरा स्वाद खाने वालों को बहुत पसंद आता है. इमरती का डिजाइन दूसरी मिठाइयों से पूरी तरह अलग होता है. इस का आकार अलग होने के साथ एकदम गोल होता है. इस के आकार को बनाना कुशल कारीगर का ही काम होता है. भारतीय समाज में इमरती कुछ इस तरह से रचबस गई है कि तमाम लोग अपनी लड़कियों के नाम तक इमरती देवी रखते रहे हैं.

उड़द की दाल से बनी होने की वजह से यह चीनी की चाशनी को इतना अंदर तक सोख लेती है कि इसे खाते ही इस का लाजवाब स्वाद मुंह में घुल जाता है. कुछ लोग इमरती को जलेबी घराने की मिठाई मानते हैं. यह सच बात नहीं है. इमरती और जलेबी दोनों ही अलगअलग हैं. इमरती उड़द की दाल से बनती है, जबकि जलेबी मैदे से तैयार होती है. डिजाइन के हिसाब से देखें तो भी जलेबी और इमरती अलगअलग होती हैं. इमरती भारत की मिठाई नहीं है. यह अरब और ईरान देशों से भारत आई है.

अलगअलग नाम

भारत में यह मिठाई अवध क्षेत्र में आ कर प्रचलित हुई. वहां यह नवाबी मिठाई के रूप में मशहूर हुई. नवाबों की रसोई से निकल कर यह रजवाड़ों तक पहुंच गई. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व पंजाब के अलावा पूर्व और दक्षिण भारत के शहरों में भी इमरती खूब प्रचलित है. पश्चिम बंगाल में इसे ‘ओम्रीती’ और केरल में ‘जांगिरीग’ कहते हैं. इमरती को गरमागरम खाना पंसद किया जाता है. जलेबी को जहां दही के साथ खाया जाता है, वहीं इमरती को रबड़ी के साथ खाना पसंद किया जाता है.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में खास किस्म की इमरती बनती है. यह बिना किसी रंग की होती है. यह कुरकुरी नहीं होती है. इसे मिट्टी की मटकी में रख कर बेचा जाता है. जौनपुर की इमरती ‘बेनी की इमरती’ के नाम से मशहूर है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी इमरती बहुत मशहूर है. यहां करीबकरीब हर मिठाई की दुकान में यह मिल जाती है. लखनऊ में शाम के 4 बजते ही इमरती की बिक्री शुरू हो जाती है. देर रात तक लोग इस का स्वाद लेते हैं. शादीविवाह के मौकों पर भी खाने के साथ इमरतीरबड़ी खाने का रिवाज है. फैशन डिजाइनर जस चंदोक कहती हैं, ‘इमरती अपने स्वाद और आकार के कारण सब को पसंद आती है. सब से पुरानी मिठाई होने के कारण इसे नई और पुरानी दोनों पीढि़यां खूब पंसद करती हैं.’

कैसे बनती है इमरती

मिठाई के पुराने कारीगर राम कुमार गुप्ता कहते हैं, ‘इमरती को बनाने के लिए उड़द की दाल को पीस कर गूंधा जाता है. इसे रगंने के लिए खाने वाला केसरिया रंग मिलाया जाता है.  इस के बाद इसे कपडे़ में लिया जाता है. इस कपडे़ में नीचे छेद होता है. यह छेद काफी छोटा होता है.  हाथ के दबाव से गूंधी हुई उड़द की दाल को पतली डोरी की तरह नीचे कढ़ाई के गरम तेल में गिराया जाता है. इसे घुमावदार डिजाइन में तैयार किया जाता है.

‘गोलगोल घुमावदार आकार वाली इमरती जब तेल में ठीक ढंग से फ्राई हो जाती है, तो उसे निकाल कर चीनी से बनी चाशनी में डाल दिया जाता है. चाशनी को पहले ही बना कर रख लिया जाता है. उड़द की दाल से बनी होने के कारण यह चाशनी को अंदर तक सोख लेती है, जिस से मिठास अंदर तक पहुंच जाती है. इस के स्वाद का कुरकुरापन लोगों को खूब पसंद आता है.’

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