‘चाकलेट’,‘धन धना धन गोल’,‘हेट स्टोरी’,‘जिद’,‘बुद्धा इन ट्रैफिक जाम’ जैसी फिल्मों के सर्जक और खुद को नरेंद्र मोदी समर्थक बताने वाले फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री इस बार देश के दूसरे प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर  शास्त्री की मृत्यु की साजिश पर फिल्म ‘‘द ताशकंद फाइल्स’’ लेकर आ रहे हैं, जो कि 12 अप्रैल को सिनेमाघरों में पहुंचने वाली है. विवेक अग्निहोत्री का दावा है कि उनकी फिल्म ‘‘द ताशकंद फाइल्स’’ दर्शकों के सामने एक ऐसा सच उजागर करेगी कि दर्शक समझ जाएगा कि क्या हुआ था.

फिल्म ‘‘द ताशकंद फाइल्स’’ क्या है?

देश के दूसरे प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री जी की रहस्यमय परिस्थितियों में जो मृत्यु हुई थी, उसी पर एक रोमांचक फिल्म है. 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी की ताशकंद में हुई मृत्यु पर फिल्म सवाल खड़े करती है. विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश का प्रधानमंत्री किसी दूसरे देश में युद्ध संधि पर हस्ताक्षर करने जाता है और हस्ताक्षर करने वाली रात ही उसी देश में उनका निधन हो जाता है. ऐसे में उनका पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया? यह देश पर कालिख है. इसी पर सवाल उठाती है हमारी यह फिल्म.

शास्त्री जी की मृत्यु के 53 साल बाद उस पर फिल्म बनाने की वजह क्या रही?

लगभग पांच छह वर्ष पहले दो अक्टूबर के दिन मैने ट्वीट किया कि आज राष्ट्पिता महात्मा गांधी के साथ ही लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्म दिन है, तो उन्हें भी श्रृद्धांजली अर्पित करता हूं.मेरे ट्वीट के जवाब में हजारों लोगों ने लिखा कि मैं शास्त्री जी के मौत के राज पर फिल्म बनाउं किसी ने भी शास्त्री जी की जिंदगी पर फिल्म बनाने के लिए नहीं कहा.किसी ने भी 1965 के युद्ध पर फिल्म बनाने के लिए नहीं कहा. लोगों की मांग पर मैं फिल्म बनाने के लिए जानकारी इकट्ठा करने निकला तो कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली. किसी भी मंत्रालय से सही जवाब नहीं मिला. सभी ने एक ही जवाब दिया कि शास्त्री जी की मृत्यू हार्टअटैक से हुई. तब मैंने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला. मैंने इस वीडियो में कहा कि,‘लोग क्राउड फंडिंग से पैसा इकट्ठा करते हैं,मैं क्राउड फंडिंग से अपने देश के प्रधानमंत्री स्वर्गीय शास्त्री जी की मृत्यू से संबंधित जानकारी चाहता हूं. जिसके पास जो भी जानकारी हो, जो भी तथ्य या किताब आदि हो, वह मुझे भेजें. ’उसके बाद लोगों ने मुझे एक दूसरे से मिलवाया. फिर हम एक ऐसे मुकाम पर पहुंचे कि सच जानकर मेरी आंखे खुली की खुली रह गयीं.

पर 53 साल तक लोग चुप क्यों रहे?

लोग आवाज उठाते रहे,पर सरकार ने उनकी आवाज नहीं सुनी. हमारे देश में चोर लोग शासन कर रहे थे. शास्त्री जी के बेटे भी कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए है, उन्होंने भी आवाज नहीं उठायीं? ऐसा नही है. यह चुप नहीं रहे. इन्होंने खूब आवाज उठाई. स्वर्गीय शास्त्री जी कि पत्नी ललिता शास्त्री ने भी आवाज उठायी. उनके दोनों बेटों ने भी आवाज उठायी. मेरी फिल्म में उनके दोनों बेटों के इंटरव्यू है. कांग्रेस से जुड़े उनके बेटे का मानना है कि शास्त्री जी को जहर दिया गया था. इंटरव्यू में तो उन्होंने मुझे जहर का नाम भी बताया. आप जब फिल्म देखेंगे तो आपको बहुत कुछ नयी जानकारी मिलेगी, बहुत कुछ समझ आएगा.

आपकी फिल्म में शास्त्री जी हत्या की साजिश व राजनीति में से किस पर ज्यादा बात की गयी है?

देखिए, शास्त्री की मृत्यु छोटे कद या अच्छा चेहरा नही है, यह कहकर नही हो सकती. उनकी मृत्यू के पीछे हर हाल में राजनीति ही है. तो उसी की बात हमारी फिल्म करती है.

क्या आपकी फिल्म शास्त्री जी की मृत्यु से संबंधित सच को उजागर करती है?

सौ प्रतिशत..हमारी फिल्म एक ऐसा सच उजागर करेगी,जो हर इंसान को सोचने पर मजबूर करेगा.पर मैंने यह फिल्म जजमेंट देने के लिए नहीं बनायी है. पर यह फिल्म दर्शकों के सामने एक ऐसा सच उजागर कर देगी कि दर्शक समझ जाएगा कि क्या हुआ था.

फिल्म को बनाने के पीछे आपका मकसद क्या रहा?

मेरा मकसद यह था कि इस देश के हर नगारिक को समझ लेना चाहिए कि सच पर पहला अधिकार इस देश के नागरिक का है.

फिल्म ‘‘द ताशकंद फाइल्स’’ के प्रदर्शन के बाद क्या रूस से हमारे जो संबंध हैं, उन पर असर पड़ेगा?

मुझे नहीं लगता कि पड़ेगा. पर यदि पड़ता है, तो मेरी राय में शास्त्री जी की मृत्यु के सच को जानने का मुद्दा इतना बड़ा है कि उसके सामने रूस से संबंध का मसला बहुत छोटा है. पर आज के हालात में मुझे नहीं लगता कि रूस से हमारे संबंधों पर असर पड़ेगा. हां भारत में कुछ लोगों की जिंदगियों पर जरुर असर पडे़गा. अब क्या होगा, इसका इम्तहान 12 अप्रैल से होगा.

फिल्म की शूटिंग के दौरान इस फिल्म को लेकर किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रही थीं?

लोगों के बीच प्रचारित नहीं किया था. क्योंकि हमें पता था कियदि प्रचारित कर दिया तो पोलीटीशियन कुछ कहेंगे, मीडिया भी कुछ कहेगा. उस वक्त विवाद बढ़ेगा और हमारी फिल्म की शूटिंग रूक सकती है. अब बात करनी शुरू की है, तो लोगों के बीच खलबली मच रही है.

पर सोशल मीडिया पर लोग गाली गलौज करने के अलावा धमकी ही क्यों देते हैं?

सोशल मीडिया ही क्यों, अब तो लोग चैराहे पर या पान की दुकान पर खडे होकर गाली गलौकोई काम नहीं रह गया. पर यह गलतफहमी है, यह कहना या सोचना कि सोशल मीडिया पर गाली गलौज करके ही चर्चा में रह सकते हैं. सच तो यह है कि मुझे सोशल मीडिया पर लोग नई नई आइडिया देते हैं. नई जानकारी व जोक्स भी भेजते हैं. मैं तो अस्सी प्रतिशत रचनात्मक चीजे देखता हूं और बीस प्रतिशत बकवास.

फिल्म के प्रचार में सोशल मीडिया कितनी अहम भूमिका निभाता है?

अब सोशल मीडिया ही मुख्य मीडिया हो गया है. यही बदलते जमाने का मीडियम है.

सिनेमा की जो स्थिति है,उसे आप किस तरह से देखते हैं?

सिनेमा बदलाव के दौर से गुजर रहा है. अब बड़े स्टार या बड़े बजट की बजाय जमीन से जुड़ी भारतीय कहानी वाली फिल्में चाहिए.

पर अब हौलीवुड हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में डब फिल्में बौलीवुड की फिल्मों के लिए खतरा बनी हुई हैं?

हौलीवुड ही भारतीय फिल्मों को बदलने पर मजबूर कर रहा. हौलीवुड की फिल्मों में कहानी होती है, हमारे देश की फिल्में कहानी विहीन होती है. हमारी फिल्मों में गानों के नाम पर आइटम नंबर और आइटम रूपी कुछ एक्षन दृष्य ही हुआ करते थे. पर अब लोग कहानी पर काम करने लगे हैं. जब तक कहानी पर काम नहीं करेंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता.

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