पांच साल के बाद आखिरकार मंगलवार को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने नीतिगत सहमति जताई. विकसित राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त कर देने के मुद्दे पर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लचीला रवैया अपनाने की घोषणा की है. वित्त मंत्री ने मानसून सत्र में जीएसटी बिल के पास होने का दावा किया और जीएसटी दर के संवैधानिक कैप की संभावनाओं को खारिज कर दिया.

वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन जेटली ने दावा किया कि बैठक में सभी राज्यों ने जीएसटी पर अपना पूरा नजरिया पेश किया. सभी राज्यों ने नीतिगत तौर से जीएसटी का समर्थन किया. कुछ राज्यों ने इसे स्वीकार भी किया, लेकिन किसी राज्य ने इसका विरोध नहीं किया.

उन्होंने कहा कि इसमें तमिलनाडु अपवाद है. उसने जीएसटी के कुछ बिन्दुओं पर अपनी चिन्ता जाहिर की है और उसने कुछ सुझाव भी दिए हैं. उसके सुझावों को नोट किया गया है. समिति उस पर विचार करेगी. वे यहां जीएसटी विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए समिति की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे. इस मौके पर समिति के चेयरमैन और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा भी उपस्थित थे.

एक सवाल के जवाब में जेटली ने बताया कि जीएसटी दर के लिए संवैधानिक कैप की कोई जगह नहीं है. किसी भी राज्य के वित्त मंत्री ने बैठक में इस मुद्दे को नहीं उठाया. बैठक में विकसित राज्यों ने एक प्रतिशत अतिरिक्त कर दिए जाने का मुद्दा उठाया.केन्द्र सरकार इस मुद्दे पर नरम रवैया अपनाएगी. केन्द्र सरकार पांच साल तक इस कारण राज्यों को होने वाले घाटे की भरपाई करेगी.

उन्होंने कहा कि जीएसटी के कुछ अनसुलझे बिन्दुओं को सुलझाने की कोशिश की जाएगी. उम्मीद है कि संसद के मानसून सत्र में जीएसटी बिल पास हो जाएगा और इस साल के अंत में एसजीएसटी और आईजीएसटी बिल पास करवा लिया जाएगा. कासं

आरएनआर व डुअल कंट्रोल पर होगी बात

जुलाई के दूसरे सप्ताह में होने वाली समिति की अगली बैठक में जीएसटी के कुछ अनसुलझे बिन्दुओं पर बातचीत होगी. इनमें आरएनआर और कर संग्रह पर दोहरा नियंत्रण के मुद्दे प्रमुख हैं. इस बैठक में राज्य और केन्द्र की कर दरों को ले कर रेवन्यू न्यूट्रल रेट (आरएनआर), कर संग्रह पर राज्य के नियंत्रण और दोहरा (केन्द्र और राज्य) नियंत्रण के मुद्दे पर बात हुई.

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