सौरभ के साथ शादी होने से पहले मेरा रूपयौवन हमेशा मेरे लिए परेशानी का कारण बनता रहा. अपनी खूबसूरत बेटी को समाज में मौजूद भेडि़यों से बचाने की चिंता में मेरे मम्मीपापा मेरे ऊपर कड़ी निगाह रखते थे. उन की जबरदस्त सख्ती के चलते भेडि़ए ही नहीं, बल्कि मेमने भी मेरे नजदीक आने का मौका नहीं पा सके.

‘‘सारा दिन शीशे के सामने खड़ी न रहा कर… बाजार जाने के लिए इतना क्यों सजधज रही है… लड़कों के साथ ज्यादा हंसेगीबोलेगी तो बदनाम हो जाएगी. पढ़ाई में ध्यान लगा पढ़ाई में…’’ मेरे मम्मीपापा मुझे देखते ही ऐसा भाषण देना शुरू कर देते थे.

मेरी बड़ी बहन भी सुंदर है, पर मुझ से बहुत कम. ऐसा 2 बार हुआ कि उसे देखने लड़के वाले आए पर पसंद मुझे कर गए. इन दोनों घटनाओं के बाद मैं उस की नजरों में खलनायिका बन गई. बहन का बहन पर से ऐसा विश्वास उठा कि राकेश जीजाजी के साथ अब भी अगर वह मुझे अकेले में बातें करते देख ले तो सब काम छोड़ कर हमारे बीच आ जमती है. मैं किसी तरह का गलत व्यवहार करने की कुसूरवार नहीं हूं, पर उस बेचारी का शायद विश्वास डगमगा गया है.

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मुझे लड़कियों के कालेज में दाखिला दिलाया ही जाना था, पर मेरे मम्मीपापा का यह कदम भी मेरी परेशानियों को कम नहीं कर सका. वहां मुझे अपनी सहेलियों की जलन का सामना करना पड़ा.

पहले तो मुझे सहेलियों के खराब बरताव पर गुस्सा आता था पर फिर बाद में सहानुभूति होने लगी. वे बेचारियां महंगी ड्रैस में भी उतनी सुंदर व आकर्षक नहीं लगती थीं जितनी कि मैं साधारण से कपड़ों में लगती. मैं साथ होती तो उन के बौयफ्रैंड उन पर कम ध्यान देते और मेरी तरफ देख कर ज्यादा लार टपकाते.

मेरा कोई बौयफ्रैंड नहीं बन सका. मेरे मम्मीपापा ने मेरी 2-3 सहेलियों को अपना जासूस बना रखा था. कभीकभी तो मुझे बाद में पता लगता था कि कोई लड़का मुझ में दिलचस्पी लेने लगा है, पर उन के जासूस उन तक यह खबर पहले पहुंचा देते.

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बाद में मेरी जान को जो मुसीबत खड़ी होती थी उस से बचने को मैं ने लड़कों के साथ फ्लर्ट करने का मजा कभी नहीं लिया. अपना सारा इतराना, सारी अदाएं, सारी रोमांटिक छेड़छाड़ सब कुछ मैं ने अपने भावी जीवनसाथी के लिए मन में सुरक्षित रख छोड़ा था.

भला हो सौरभ की मम्मी का जिन्होंने अपने काबिल व स्मार्ट बेटे के लिए तगड़ा दहेज लेने के बजाय चांद सी सुंदर बहू लाने की जिद पकड़ रखी थी. सौरभ से शादी हो जाना मेरी जिंदगी की सब से बड़ी लौटरी के निकलने जैसा था.

हम दोनों ने मनाली में हनीमून का जो पूरा 1 सप्ताह गुजारा वे दिन मेरी जिंदगी के सब से खूबसूरत और मौजमस्ती से भरे दिन गिने जाएंगे. मेरी सुंदरता ने उन के दिलोदिमाग पर जादू सा कर दिया था. मुझे अपनी मजबूत बांहों में कैद कर के जब वे मेरे रूप की तारीफ करना शुरू करते तो पूरे कवि नजर आते…

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‘‘लोगों की आंखों में हमारी जोड़ी को देख कर जो तारीफ के भाव पैदा होते हैं वे मेरे दिल को गुदगुदा जाते हैं शिखा. तुम तो जमीन पर उतर आई परी हो… स्वर्ग से आई अप्सरा हो… रुपहले परदे से मेरी जिंदगी में उतर आई बौलीवुड की सब से सुंदर हीरोइन से भी ज्यादा सुंदर मेरे दिल की रानी हो,’’ वे मेरी यों तारीफ करते तो मैं खुद पर इतना उठती थी.

हनीमून से लौटने के बाद मेरे सासससुर और ननद ने मुझे सिरआंखों पर बैठा कर रखा. रिश्तेदार और पड़ोसी जब घर में आ कर मेरी सुंदरता की तारीफ करते तो मेरे ससुराल वालों के सिर गर्व से ऊंचे हो जाते.

घर में आने वाले हर इंसान की मेरे रंगरूप की यों दिल खोल कर तारीफ करना महीने भर तक तो मेरी ससुराल वालों को अच्छी तरह हजम हुआ पर इस के बाद बदहजमी का सबब बन गया.

‘‘सूरत के साथ सीरत अच्छी न हो तो लड़कियों को ससुराल में बहुत नाम सुनने को मिलते हैं, बहूरानी. जरा काम करते हुए हाथ जल्दीजल्दी चलाया करो,’’ मेरी सास ने जिस दिन रसोई में मेरी ऐसी आलोचना करने की शुरुआत करी, मैं समझ गई कि अब इस घर में सुखशांति व आराम से जीने का समय समाप्त होने की तरफ चल पड़ा है.

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घरगृहस्थी के काम करने में मैं उतनी ही कुशल हूं जितनी मेरी ननद नेहा, पर मेरी सास को सिर्फ मेरे ही काम में नुक्स निकालने होते हैं. वे अपने द्वारा कुशलता से किए गए काम का उदाहरण सामने रख कर मुझे नीचा दिखाने का कोई मौका मुश्किल से ही हाथ से निकलने देती हैं.

‘‘मैं आप से सारा काम सीखने को तैयार हूं मम्मी. आप मुझे डांटा कम और सिखाया ज्यादा करो न,’’ मैं ने बड़े लाड़ से एक शाम अपनी यह इच्छा सासुमां के सामने जाहिर करी पर उन्होंने इसी बात को पकड़ कर घर में हंगामा खड़ा कर दिया था.

‘‘जो काम सीखना चाहता हो उसे अपनी जबान को काबू में और आंखों व कानों को खुला रखना चाहिए बहूरानी. मैं क्या पागल हूं, जो बिना बात तुझे डांटती हूं? अपने घर से सब काम सीख कर आती तो मुझे कुछ कहने की जरूरत ही नहीं पड़ती. मुझे इन से प्यार और इज्जत करानी हो तो घर के कामों में कुशल बनो,’’ मुझे ऐसी ढेर सारी बातें सुनाने के बाद सासुमां ने मुंह फुला कर घर में घूमना शुरू कर दिया तो कुछ ही देर में इस घटना की जानकारी हर किसी को हो गई.

उस रात पति ने भी मेरे दिल को जख्मी करने की शुरुआत कर दी, ‘‘शिखा, अब सारा दिन सिर्फ सजधज कर घूमने से काम नहीं चलेगा. मां को घर में बहू के आने का सुख मिलना चाहिए… तुम उन से बहस करने के बजाय सही ढंग से काम करना सीखो. घर की सुखशांति तुम्हारे कारण बिलकुल नहीं बिगड़नी चाहिए,’’ यों भाषण देते हुए सौरभ

मुझे मेरे प्यार में पागल प्रेमी नहीं, बल्कि जबरदस्ती नुक्स निकालने वाले आलोचक नजर आ रहे थे.

सौरभ के अचानक बदले व्यवहार ने मेरे दिल को तो चोट पहुंचाई कि मेरी आंखों से आंसू बह चले. तब उन्होंने फौरन मुझे छाती से लगा कर प्यार करना शुरू कर दिया.

उन का छूना मुझे हमेशा मदहोश सा कर देता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. मेरे जेहन में रहरह कर उन की आंखों में उभरे अजीब से संतोष के भाव व्यक्त करता उन का चेहरा उभर रहा था. ये भाव उन की आंखों में तब उभरे थे जब मैं ने उन का भाषण सुन कर आंसू बहाने शुरू किए थे.

इस तरह के भाव मैं जब से होश संभाला है तब से बहुतों की आंखों में देखती आई हूं.

मुझे डांट कर रुला देने में अगर मेरे मम्मीपापा सफल हो जाते थे तो ऐसा ही संतोष उन की आंखों में झलकता था. मेरा कोई काम बिगाड़ कर या मुझे नीचा दिखाने के बाद मेरी बहन की आंखें ऐसे ही भाव दिखाती थीं. मेरी कालेज की सहेलियां अपने खराब व्यवहार से मुझे अकेलेपन व उदासी का शिकार बना देने के बाद इसी तरह से संतोषी भाव से मुसकराती नजर आती थीं.

‘मेरे जीवनसाथी के दिल में भी मेरी सुंदरता ने जलन के भाव पैदा कर दिए हैं’ यह विचार अचानक मेरे मन में कौंधा तो मैं उन के कंधे से लग फूटफूट कर रोने लगी.

जिस जीवनसाथी के साथ मैं ने अपनी सारी खुशियां और मन की सुखशांति जोड़ रखी थी, वह भी मेरी सुंदरता के कारण हीनभावना का शिकार बन बैठेगा, यह एहसास मुझे अंदर तक झकझोर गया. सौरभ का व्यवहार मेरे प्रति बदलने लगा था.

मैं ने ध्यान से सोचा तो सौरभ के व्यवहार में पिछले दिनों धीरेधीरे आए अंतर को पकड़ लिया. जब भी उन का कोई दोस्त मेरी तारीफ करता या मेरे साथ हंसीमजाक करने लगता तो उन्हें मैं ने कई बार संजीदा हो कर खिंचाखिंचा सा व्यवहार करते देखा था.

अपने पुराने अनुभवों के आधार पर मैं बखूबी जानती थी कि आगे क्या होने वाला है. धीरेधीरे सौरभ की टोकाटाकी बढ़ती और फिर वे मुझे नीचा दिखाने की कोशिश शुरू कर देते. पहले अकेले में और फिर अन्य लोगों के सामने

आगे चल कर हमारे मधुर संबंध बिगड़ जाएंगे, इस सोच ने मुझे रात भर जगाया और ढेर सारे खामोश आंसू मेरी आंखों से गिरवा दिए. अपनी सास के कटु व्यवहार को सहन करने की ताकत मुझे में थी पर सौरभ के प्यार में रत्तीभर भी कमी आए, यह मुझे स्वीकार नहीं था.

‘मुझे कुछ करना ही होगा. अपनी शादीशुदा जिंदगी को मैं उन के मन में पैदा हो रही जलन की कड़वाहट से कभी खराब नहीं होने दूंगी,’

मन ही मन ऐसा सोच कर मैं ने अगली सुबह बिस्तर छोड़ा.

अपने विवाहित जीवन की खुशियां तय करने का एक सूत्र मेरी पकड़ में जरूर आया. मनाली में भी बहुत से लोगों ने मेरी सुंदरता की तारीफ करी थी और सौरभ कभी किसी से रत्तीभर नाराज नहीं हुए थे उलटा मेरी तारीफ सुन कर उन की छाती गर्व से फूल जाती थी.

यहां उन के रिश्तेदार, परिचित और दोस्त मेरी तारीफ करते हैं, तो वे जलन का शिकार बन रहे हैं. उन की प्रतिक्रिया में ऐसा अंतर क्यों पैदा हो रहा है? इस सवाल का जवाब शायद मैं ने ढूंढ़ भी लिया था.

मनाली में मेरी तारीफ करने वाले लोग हम दोनों के लिए अजनबी थे. वे हमारी जिंदगी का हिस्सा नहीं थे. उन के द्वारा करी गई मेरी तारीफ सौरभ को अपनी उपेक्षा नहीं लगती थी.

वे उन लोगों की बातों को ऐसे नहीं लेते थे जैसे हम दोनों के व्यक्तित्वों के बीच तुलना की जा रही हो.

अब मेरी तारीफ उन के अंदर नकारात्मक भावनाएं पैदा करवा रही थी. इस गलत प्रतिक्रिया की जड़ों को मुझे किसी भी कीमत पर मजबूत नहीं होने देना था. अपनी विवाहित जिंदगी में से मैं प्यार व रोमांस की गरमाहट कभी नहीं खोना चाहती थी.

उन के एक पक्के दोस्त मयंक ने अगले दिन अपनी शादी की सालगिरह के उपलक्ष्य में हमें अपने घर डिनर पर आमंत्रित किया. वहां जाने के लिए जब पूरी तरह से तैयार हो कर मैं सौरभ के सामने आई तो मारे हैरानी के उन का मुंह खुला का खुला रह गया.

अपने को तैयार करने में मै ने सचमुच बहुत मेहनत करी थी और मैं बला की खूबसूरत लग भी रही थी.

पार्टी में इन के करीबी दोस्त और मयंक के घरवाले ही मौजूद थे. सभी एकदूसरे से अच्छी तरह परिचित थे, इसलिए ड्राइंगहौल में खूब हल्लागुल्ला हो रहा था.

‘‘शिखा के आते ही कमरे में रोशनी की मात्रा कितनी ज्यादा बढ़ गई है न?’’ इन के दोस्त नीरज के इस मजाक पर सभी लोग ठहाके मार कर हंस पड़े.

‘‘अपने सौरभ का तो बिजली का खर्चा बचने लगा है, यारो. अब तो शिखा के कारण अपने कमरे में ट्यूबलाइट जलाने की कोई

जरूरत ही नहीं रही इसे,’’ राजीव के इस मजाक पर एक बार फिर ठहाकों की आवाज से कमरा गूंज उठा.

‘‘दोस्तो, रोशनी के कारण सोने में दिक्कत तो जरूर आती होगी अपने यार को.’’

‘‘अरे, रात भर सोता ही कौन है,’’ इस बार मिलेजुले ठहाकों की ऊंची आवाज आसपास के घरों तक जरूर पहुंच गई होगी.

मैं ने साफ महसूस किया कि सौरभ अब जबरदस्ती मुसकरा रहे थे. उन्हें मेरा सब के हंसीमजाक का केंद्र बन जाना अच्छा नहीं लगा था. अपने दोस्तों की आंखों में मेरे रूपरंग के लिए तारीफ के भाव देख कर वे तनाव से भरे नजर आने लगे थे.

मैं ने अपनी गरदन घुमा कर उन्हें अपनी नजरों का केंद्र बना लिया. उन के कान के पास अपने होंठ ले जा कर मैं ने पहले चुंबन की हलकी सी आवाज निकाली और फिर प्यार से उन की आंखों में झांकते हुए दिलकश अंदाज में मुसकराने लगी.

हमारे चारों तरफ लोग दिल खोल कर हंसबोल रहे थे, पर मेरा ध्यान पूरी तरह से अपने जीवनसाथी के चेहरे पर केंद्रित था मानो इस पल पूरे कमरे में मेरे लिए सौरभ के अलावा कोई और मौजूद ही न हो.

उन का पूरा ध्यान केंद्रित कर मैं ने उन के सभी दोस्तों को अजनबियों की श्रेणी में खड़ा कर दिया था. वे तो इधरउधर देख भी रहे थे, पर जब भी उन्होंने मेरी तरफ देखा तो हर बार मुझे अपने चेहरे को प्यार भरे अंदाज में ताकते हुए पाया. मानो वे मेरे प्यार में खो जाना चाहते हों.

वे अचानक खुशी भरे अंदाज में मुसकराने लगे तो मेरा चेहरा फूल सा खिल उठा.

‘‘आई लव यू,’’ मैं ने बहुत धीमी आवाज में कहा और फिर शरमा कर नजरें झुका लीं.

अपने जीवनसाथी को जलन की भावना से आजाद करने का तरीका मैं ने ढूंढ़ लिया था. उस रात कोई भी मेरी जरा सी तारीफ करता तो मैं फौरन मुसकराते हुए सौरभ की तरफ यों प्यार से देखने लगती मानो कह रही हूं कि वह मेरी नहीं आप की पत्नी की तारीफ हो रही है, जनाब. आप संभालिए अपने इस दोस्त को व्यक्तिगत तौर पर. इन के मुंह से अपनी तारीफ सुनने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है.

मुझे लगता है कि मैं ने अपने विवाहित जीवन की रोमांस भरी मौजमस्ती को सदा तरोताजा रखने का तरीका ढूंढ़ लिया है. मेरी खूबसूरती अब उन के मन में मायूसी व जलन पैदा करने का कारण कभी नहीं बनेगी. जरा सी समझदारी दिखा कर मैं ने हुस्न और इश्क की उम्र को बढ़ा दिया है.

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