योगी राज में उत्तर प्रदेश में मूर्तियों का दौर वापस आता दिख रहा रहा है. अयोध्या में राम की मूर्ति लगाने की घोषणा के बाद ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजधानी लखनऊ में पूर्व प्रधनमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और स्वामी विवेकानंद की मूर्ति लगाने के साथ ही साथ गोरखपुर में महंत दिग्विजय नाथ और मंहत अवैद्य नाथ और प्रयागराज में अकबर किले में सरस्वती प्रतिमा लगाने की घोषणा की है. इनमें सरयू किनारे लगने वाली राम की मूर्ति सबसे ऊंची होगी. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा 25 फीट की होगी. विवेकानंद, मंहत दिग्विजय नाथ और मंहत अवैद्य नाथ की प्रतिमायें 12.5 फीट की होगी.

राम की प्रतिमा अयोध्या में सरयू के किनारे लगेगी. अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा उत्तर प्रदेश के लोकभवन में लगेगी जहां विधानसभा है. विवेकानंद की प्रतिमा राजभवन में लगेगी. महंत दिग्विजय नाथ और महंत अवैद्य नाथ की प्रतिमा गोरखपुर में लगाई जायेगी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा ‘प्रयागराज में संगम के किनारे अकबर के किले के अंदर अक्षय वट और सरस्वती कूप रहे हैं. अकबर ने जब किला बनवाया तब से सरस्वती के दर्शन बंद हो गये. अब आम लोगों के दर्शन के लिये इसे खोला जायेगा. यहां सरस्वती की प्रतिमा लगाई जायेगी और यही पर भारद्वाज आश्रम में ऋषि भारद्वाज की प्रतिमा भी लगाई जायेगी.

इसके पहले योगी सरकार फैजाबाद का नाम बदल का अयोध्या और इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर चुकी है. योगी सरकार पूजापाठ और मूर्तियों की स्थापना से प्रदेश की जनता को हिन्दूराज और वर्ण व्यवस्था में उलझाना चाहती है. हिन्दू राज में भी राजा हमेशा पूजापाठ और मूर्ति स्थापना के काम करते थे. हर राजा की कहानी इससे भरी पड़ी है. नागपुर के कहने पर योगी भी यही काम करने में लगे है. 2 साल के कार्यकाल में योगी सरकार ने प्रदेश के विकास के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. कभी शहरों का नाम बदलती है तो कभी मूर्ति लगवाने की घोषणा करती है.

शहरों का नाम बदलने के चलते तमाम तरह के मैसेज सोशल मीडिया पर चलने लगे हैं. जिनमे नाम बदलने के काम को हंसी मजाक में ले लिया गया. अब योगी सरकार ने मूर्तियों को लगवाने का काम भी शुरू कर दिया है. प्रदेश के लोग विकास की बात न करें, इसके लिये मूर्तियों के साथ देवी देवताओं की जाति को लेकर भी अपने विवादित बयान देते रहते हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान को दलित जाति का बताया तो पार्टी में भेड़चाल सी चल गई. किसी नेता ने उनको आदिवासी, किसी ने जाट तो किसी ने मुसिलम तक बता दिया.

हनुमान को दलित कहने पर कई शहरों में दलितों की अगुवाई करने वाली भीम आर्मी के लोगों ने हनुमान के मंदिरों में कब्जा करके वहां पूजापाठ शुरू करके मांग करनी शुरू कर दी कि हनुमान दलित थे तो हनुमान मंदिरों पर दलितों का कब्जा होगा. सांसद सावित्री बाई फूले कहती हैं ‘देश में बनने वाले मंदिरों का लाभ केवल पुजारी वर्ग को ही होता है’. योगी सरकार मूर्तियों की स्थापना करके प्रदेश में मंदिरों की सरकार बनाना चाहती है. मजेदार बात यह है कि यही पार्टी तब कटाक्ष करती है जब दूसरे दलों के लोग मूर्तियां लगवाते हैं.

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