विलफुल डिफॉल्टर विजय माल्या को भारत लाने की प्रक्रिया में भारत सरकार को एक और झटका लगा है. इंटरपोल ने माल्या के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से मना कर दिया है. इंटरपोल ने साफ तौर पर कहा है कि माल्या के खिलाफ अब तक कोई आपराधिक मामला साबित नहीं हुआ है. माल्या को रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए पर्याप्त सबूत भी मौजूद नहीं हैं.

ऐसे में माल्या के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है. इसका मतलब है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत माल्या को भारत लाना मुश्किल है. गौरतलब है कि जब कोई आरोपी भारत छोड़ दूसरे देश चला जाता है तब इंटरपोल उसे वापस भेजने के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर सकता है.

माल्या के पास बचने के रास्ते ?

टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि माल्या के पास बचने के काफी रास्ते हैं. अब तक इंटरपोल ने माल्या मामले की आरंभिक समीक्षा की है. अगर इंटरपोल माल्या से कोई पूछताछ भी करता है तो माल्या यह कह सकते हैं कि वह तो बैंकों का कर्ज देना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने कभी मना नहीं किया.

इसके अलावा माल्या खुद को पहले ही एनआरआई साबित कर चुके हैं. अब अगर माल्या के खिलाफ आपराधिक मामला भारत सरकार दर्ज भी कराती है. माल्या के यूबी ग्रुप के बाद देश का एक और बड़ा ग्रुप मुश्किल में है. जेपी ग्रुप ने 4,460 करोड़ रुपये का डिफॉल्ट कर दिया है. जेपी ग्रुप बैंकों से लिए 2,905 करोड़ रुपए के लोन को नहीं चुका सका है.

आपराधिक मामला कब ?

भारत सरकार ने इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया था. इस बाबत भेजे ब्यौरे में यह कहा गया था कि इनकी कंपनियों पर करोड़ों रुपये बकाया है. इनके खिलाफ कोर्ट में सुनवाई चल रही है.

अगर भारत सरकार ने यह कहा होता कि माल्या ने धोखाधड़ी की या किसी किस्म का फ्रॉड किया है तब तो इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने पर विचार करता. इसके लिए जरूरी था कि सरकार माल्या के खिलाफ वित्तीय आपराधिक मामला बनाती और माल्या के लिए खिलाफ दर्ज किया जाता.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...