दरियागंज के थानाप्रभारी मंगेश गेडाम अपने औफिस में बैठे थे तभी ड्यूटी औफिसर ने इंटरकाम पर सूचना दी कि एक राहगीर से जानकारी मिली है कि गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे गंदे नाले के पास एक युवक की लाश पड़ी है. थानाप्रभारी मंगेश गेडाम अपनी पुलिस टीम के साथ गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे उस जगह पहुंच गए जहां लाश पड़ी होने की सूचना मिली थी.
लाश के करीब जाने पर पता चला कि वह सड़ीगली हालत में थी यानी उस की मृत्यु कई दिन पहले हुई थी. थानाप्रभारी ने यह सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी साथ ही क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी बुला लिया. थोड़ी देर में बड़े अधिकारी और क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम वहां पहुंच गई. लाश कई दिन पुरानी थी और उस का सिर किसी भारी वस्तु से बुरी तरह कुचला हुआ था, जिस से उस का चेहरा विकृत हो गया था.
लाश के फोटो लेने के बाद उस के कपड़ों की तलाशी ली गई तो उस की पैंट की जेब से एक आधार कार्ड, पर्स और एक मोबाइल फोन मिला.
आधार कार्ड में मृतक का नाम राजेश कुमार और पता अगसोली, जिला हाथरस लिखा था. यह गांव सिकंदरा राव थाने के अंतर्गत आता है. थानाप्रभारी ने बरामद चीजों को कब्जे में कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मौलाना आजाद मैडिकल कालेज भेज दी. मौके की काररवाई निपटा कर मंगेश पुलिस टीम के साथ थाने लौट आए. ड्यूटी औफिसर ने उन के आदेश पर मृतक की हत्या का मुकदमा दर्ज कर के तफ्तीश अतिरिक्त थानाप्रभारी संजीव मिश्रा को सौंप दी.
इस मामले को सुलझाने के लिए सेंट्रल जिले के डीसीपी एम.एस. रंधावा के आदेश पर एसीपी गीतांजलि खंडेलवाल की देखरेख में एक पुलिस टीम गठित की गई, जिस में थानाप्रभारी मंगेश गेडाम, अतिरिक्त थानाप्रभारी संजीव मिश्रा, एसआई बलजिंदर सिंह, दिनेश जोशी, एएसआई रामकरण और बच्चू सिंह को शामिल किया गया.
थानाप्रभारी मंगेश गेडाम ने थाना सिकंदरा राव के इंचार्ज को बता कर इस मामले में मदद की अपील की. इस के अगले दिन गांव अगसोली का रहने वाला रामचरण अपने जवान बेटे विजय के साथ मध्य दिल्ली के थाना दरियागंज पहुंचा. रामचरण ने खुद को राजेश का पिता बताया और लाश दिखाने के लिए कहा.
लाश देखते ही दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे. उन दोनों ने लाश पहचान ली. मृतक रामचरण का बड़ा बेटा राजेश था. मृतक की शिनाख्त हो जाने के बाद लाश का पोस्टमार्टम किया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या का कारण मृतक का दम घुटना बताया गया.
थानाप्रभारी मंगेश गेडाम ने तफ्तीश आगे बढ़ाई तो पता चला कि राजेश जहां रहता था, वहां उस का कमरा बंद था. छानबीन के लिए एसआई बलजिंदर सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम उस के पैतृक गांव अगसोली, हाथरस भेजी गई.
वहां मृतक के पिता रामचरण से राजेश के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि राजेश अविवाहित था और दिल्ली में अकेला रह कर मेहनतमजदूरी करता था. वह गांव आने वाला था लेकिन इस से पहले ही किसी ने उस की हत्या कर दी. जबकि वह एकदम सीधे स्वभाव का लड़का था. घर के बाकी सदस्यों ने भी राजेश के बारे में यही सब बताया था.
अगसोली से दिल्ली लौटने के बाद एसआई बलजिंदर, हेड कांस्टेबल सोमनाथ के साथ उत्तम नगर के हस्तसाल गांव स्थित उस मकान पर पहुंचे, जहां राजेश रहता था. वहां रहने लोगों से राजेश के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि राजेश यहां अपनी पत्नी के साथ रहता था. वह बहुत कम बोलता था.
राजेश के घर वालों ने उसे अविवाहित बताया था, जबकि वहां के लोगों के अनुसार वह वहां पत्नी के साथ रहता था. बलजिंदर सिंह ने थाना दरियागंज लौट कर थानाप्रभारी मंगेश गेडाम को सारी बातें बताईं. इस पर उन्होंने मामले की तह तक जाने के लिए एसआई बलजिंदर के नेतृत्व में दोबारा एक पुलिस टीम मृतक राजेश के गांव में भेजी.
इस टीम में जब रामचरण से राजेश के साथ दिल्ली में रहने वाली महिला के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि दरअसल उस ने ऐसा बयान विजय और अनीता के दबाव में दिया था.
रामचरण की बात सुन कर एसआई बलजिंदर को समझते देर नहीं लगी कि विजय और अनीता राजेश के बारे में जानबूझ कर कुछ छिपा रहे थे. उन से सख्ती से पूछताछ करने पर वे टूट गए और राजेश की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. पुलिस टीम उन दोनों को हिरासत में ले कर दिल्ली लौट आई. थानाप्रभारी मंगेश गेडाम के सामने अनीता और विजय ने जो कुछ बताया वह एक भाभी और उस के देवर के कुत्सित षड्यंत्र की हौलनाक कहानी थी.
उत्तर प्रदेश के जिला हाथरस के पास एक गांव है अगसोली. रामचरण अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे थे, राजेश और विजय.
घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण घर के सभी सदस्य मेहनतमजदूरी करते थे. इस गांव में और भी कई ऐसे परिवार थे जो रामचरण की तरह दूसरों के यहां काम कर के गुजरबसर करते थे.
गरमियों में ये लोग ज्यादा कमाने के चक्कर में पंजाब चले जाते थे. वहां ये कुछ महीनों ईंट भट्ठों पर काम करते थे. भट्ठों पर काम करने से उन्हें ज्यादा मजदूरी मिलती थी. जब भट्ठों पर काम मिलना बंद हो जाता था तो ये लोग गांव लौट आते थे.
रामचरण का बड़ा बेटा राजेश बहुत शांत स्वभाव का था. वह अपने काम से मतलब रखता था, लेकिन छोटा बेटा विजय चालाक था. जब राजेश 23 साल का था और विजय 18 का, तभी विजय ने बडे़ भाई के कुंवारा रहते हुए ही पड़ोस के गांव की लड़की सोना से शादी कर ली थी.
शादी के शुरुआती दिन बड़े मजे से गुजरे लेकिन बाद में उस ने शराब पीनी शुरू कर दी तो घर में कलह रहने लगी. फिर भी जैसेतैसे जीवन गुजरता रहा. इसी दौरान वह 2 बेटियों का बाप बन गया.
पत्नी उसे अपने बच्चों का हवाला दे कर अपना चालचलन सुधारने के लिए कहती थी. लेकिन वह ध्यान नहीं देता था. जब उस ने देखा कि पति सुधरने वाला नहीं है तो एक दिन विजय की गैरमौजूदगी में वह दोनो बेटियों को छोड़ कर अपने मायके चली गई.
विजय जब घर लौटा तो उसे पत्नी के जाने का पता चला. उस ने उसे वापस लाने की काफी कोशिश की, पर वह और उस के मांबाप इस के लिए राजी नहीं हुए. अब विजय के मांबाप के ऊपर उस की बेटियों की देखभाल की जिम्मेदारी आ गई.
करीब एक साल पहले विजय का बड़ा भाई राजेश पंजाब के फरीदकोट में काम कर रहा था. तभी एक दिन उस की नजरें वहां काम कर रही अनीता से टकरा गईं. अनीता शादीशुदा औरत थी, लेकिन उस का पति घर में कलह रखता था. वह उसे छोड़ कर अपने गांव चला गया था. राजेश को अनीता मन भा गई तो उस ने अनीता को अपने साथ रख लिया. दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे.
पत्नी के जीवन में आ जाने से उस की बेरंग जिंदगी में खुशियों की बहार आ गई. हमेशा गुमसुम रहने वाला राजेश अब अपना ही काम खुशी से करने लगा. अनीता उस का खूब खयाल रखती थी जिस से राजेश को उस के व्यवहार में किसी प्रकार की कमी निकालने का मौका नहीं दिया. अनीता की जिंदगी में पति के चले जाने से जो ठहराव आ गया था, वह खत्म हो गया.
दोनों पतिपत्नी चूंकि भट्ठे पर काम करते थे, इसलिए घर में थोड़ी बचत भी होने लगी. राजेश अनीता को खुश भी रखता था और प्यार भी करता था. राजेश की खुशियों को तब ग्रहण लग गया जब, जब 6 महीने पहले उस का छोटा भाई विजय और उस के मातापिता मजदूरी करने फरीदकोट आ गए.
जब से विजय की पत्नी उसे छोड़ कर गई थी, वह स्त्री सुख के लिए तरसता रहता था. उस ने जब अनीता को देखा तो देवर होने के नाते किसी न किसी बहाने उस के करीब आने की कोशिश करने लगा.
कुछ दिनों तक तो अनीता ने उसे अपने पास फटकने का मौका नहीं दिया, लेकिन धीरेधीरे विजय ने उस का मन जीत लिया. इस के बाद अनीता और विजय अवसर की तलाश में रहने लगे.
एक दिन जब विजय को मौका मिला तो उस ने अनीता के साथ अवैध संबंध बना लिए. अनीता को भी विजय की बांहों में ऐसा सुख मिला जो उसे अभी तक दोनों पतियों से नहीं मिला था. इसलिए जब भी उसे मौका मिलता, वह विजय की बांहों में सिमट जाती.
राजेश को कई महीनों तक अनीता को विजय के संबंधों की जानकारी नहीं हुई. लेकिन जब उस ने देखा कि अनीता उस से अधिक विजय का खयाल रखने लगी है तो उस का माथा ठनका. वह छिपछिप कर उन दोनों की हरकतों पर नजर रखने लगा.
एक दिन जब देवरभाभी दोनों रंगीनियों में बेसुध थे, तभी राजेश ने दोनों को रंगेहाथों पकड़ लिया. राजेश ने गुस्से में विजय को बहुत लताड़ा और अनीता को ले कर दिल्ली आ गया. यहां उस के गांव के कई लोग हस्तसाल गांव में रहते थे. उन लोगों की मदद से उस ने एक कमरा किराए पर ले लिया और अनीता के साथ रहने लगा.
दिल्ली आने के बाद राजेश ने सोचा था कि अब विजय उस का पीछा छोड़ देगा, लेकिन ऐसा सोचना उस की भूल थी. राजेश बीती बातों को भूल कर अनीता के साथ जीवन गुजारने लगा था.
फरीदकोट से अनीता के चले जाने के बाद विजय को कुछ ही दिनों बाद फिर से उस की याद सताने लगी. जब उस से नहीं रहा गया तो वह राजेश और अनीता को ढूंढने दिल्ली चला आया.
थोड़े से प्रयासों के बाद उस ने अपने बड़े भाई का ठिकाना तलाश लिया और एक दिन जब राजेश काम पर गया हुआ था विजय अनीता से मिलने उस के घर जा पहुंचा. अनीता को डर था कि अगर उस का पति राजेश आ गया तो क्या होगा. लेकिन भाभी के डर की परवाह न कर के विजय उसे मनाता रहा. विजय के मानमनुहार के आगे वह पिघल गई. दोनों ने शारीरिक संबंध बना लिए.
विजय अनीता के साथ देर तक रहना चाहता था, लेकिन इस बार वह चौकन्नी थी. उस ने विजय को वहां से चले जाने के लिए कह दिया. भाभी से फिर मिलने का वादा कर के वह वहां से निकल गया.
राजेश को कई दिनों तक विजय के आने का पता नहीं चला. लेकिन कुछ दिनों बाद वहां के एक पड़ोसी ने उसे जानकारी दी कि उस की गैरमौजूदगी में एक शख्स उस की पत्नी से मिलने आता है.
राजेश ने जब उस से आने वाले युवक के हुलिया के बारे में पूछा तो पड़ोसी का जवाब सुनने के बाद वह समझ गया कि उस के पीछे विजय घर आता होगा.
घर पहुंच कर जब उस ने अनीता से विजय के बारे में पूछा तो उस की चुगली कर रही आंखों ने परदे के पीछे का सारा सच बयां कर दिया. उस दिन के बाद राजेश गुमसुम रहने लगा. जब वह काम पर जाता तो उस का ध्यान घर पर लगा रहता था. इस के लिए कई बार उसे मालिक की डांट भी खानी पड़ती थी.
थोड़े दिनों के बाद उस ने काम पर जाना छोड़ दिया. घर का खर्चा चलाने के लिए अब अनीता काम पर जाने लगी. इस से अनीता को परेशानी हुई तो घर में कलह रहने लगी. अब उसे राजेश बोझ लगने लगा था.
घटना से कुछ दिन पहले विजय ने अनीता को समझाया कि वह इस तरह कब तक राजेश का बोझ ढोएगी. बेहतर है उसे ठिकाने लगा दिया जाए. विजय की बात अनीता को ठीक लगी. इस के बाद दोनों ने मिल कर राजेश को रास्ते से हटा देने की योजना बनाई.
योजना के अनुसार विजय ने एक मोबाइल खरीद कर अनीता को दे दिया और उस से उसी मोबाइल पर बात करने की ताकीद की. घटना के दिन सुबह अनीता और राजेश के बीच जम कर लड़ाई हुई. जिस से राजेश नाराज हो कर गांव जाने के लिए निकल गया.
राजेश के घर से निकलने के बाद अनीता ने विजय को फोन कर के अपने पास बुला लिया और आगे की योजना के बारे में साचेने लगे. विजय ने अनीता से कहा कि वह फोन कर के राजेश से कहे कि वह थोड़ी देर में स्टेशन पहुंच रही है, इसलिए उस का इंतजार करे.
एक घंटे के बाद जब वह आनंद विहार स्टेशन पर अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहा था, तभी अनीता ने उस के मोबाइल पर फोन कर के कहा कि वह भी उस के साथ गांव जाना चाहती है, इसलिए स्टेशन पर उस के आने का इंतजार करे. भोलाभाला राजेश अनीता की मंशा को नहीं भांप सका. वह वहीं एक बेंच पर बैठ कर अनीता के आने का इंतजार करने लगा.
राजेश को स्टेशन पर इंतजार के लिए कहने के बाद अनीता ने फौरन अपने मोबाइल का स्विच औफ कर दिया. इस के काफी देर बाद अनीता और विजय आनंद विहार स्टेशन पहुंचे. अनीता विजय को एक जगह छोड़ कर अकेली राजेश को तलाश करती हुई उस के पास पहुंच गई और उस से मांफी मांगते हुए उसे घर जाने से रोक लिया.
वह राजेश को ले कर औटो रिक्शा में बैठ गई. जब औटो चलने को हुआ तभी विजय भी पीछे से आ कर उसी औटो में बैठ गया. जब औटो शांति वन बस स्टौप के सामने पहुंचा तो विजय ने पूर्व नियोजित योजना के अनुसार आंखों से अनीता को इशारा कर दिया.
अनीता ने राजेश से कहा कि पेशाब के लिए जाना है उसे यह एक ऐसी बात कही थी जिसे कोई भी इनकार नहीं कर सकता. राजेश ने औटो रुकवा दिया. अनीता राजेश को साथ ले कर झाडि़यों के पीछे पहुंच गई. फिर विजय ने औटो वाले को पैसे दे कर यह कह कर चले जाने को कह दिया कि इन्हें देर लग सकती है. हम लोग बाद में दूसरे औटो से चले जाएंगे.
तभी विजय भी योजना के अनुसार उन दोनों के पीछेपीछे चला गया और मौका देख कर उस ने गमछे का फंदा राजेश के गले में डाल कर कस दिया.
राजेश ने बचने का प्रयास किया लेकिन अनीता ने उसे पूरी ताकत से जकड़ लिया. बेबस राजेश अनीता…अनीता कह कर छोड़ देने की गुहार लगाता रहा. लेकिन विजय और अनीता ने उसे मार डाला.
राजेश की हत्या करने के बाद विजय ने एक भारी पत्थर उठा कर उस का सिर कुचल दिया. फिर दोनों उस की लाश को वहीं छोड़ कर गांव चले गए. जहां उन्होंने घर वालों को बुरी तरह डरा धमका कर अपने मन मुताबिक बयान देने के लिए राजी कर लिया.
थानाप्रभारी मंगेश गेडाम ने 14 सितंबर को अनीता को तथा 15 दिसंबर को विजय को गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ के लिए 2 दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान खून से सना पत्थर और राजेश की हत्या में इस्तेमाल गमछा बरामद करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर दिया. जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित