लाखों में एक बहनोई मुश्किल से मिलेगा जो ईमानदारी से दिल पर हाथ रखकर कह पाये का हां उसका साला बहुत तो नहीं पर अच्छा है इसके बाद भी जाने क्यों लोग बड़ी चुटकियां लेकर यह कहावत दोहराते रहते हैं कि सारी दुनिया एक तरफ और जोरू का भाई एक तरफ. पत्नी एक दफा सलीके की न हो तो भी ज़िंदगी जैसे तैसे रोते झींकते गुजर जाती है लेकिन साला अगर तिरछा आड़ा हो तो ज़िंदगी कितनी दुश्वार हो जाती है यह सब टीवी के मनोरंजक धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा के केंद्रीय पात्र जेठालाल को देख समझा जा सकता है जिसका साला सुंदर जब भी अहमदाबाद से मुंबई आता है जीजा के लिए एक नई मुसीबत लेकर आता है. इसीलिए जेठलाल उसे पनौती कहकर बुलाता है.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का चेहरा वाकई उस वक्त उतर गया जब उनके साले संजय सिंह ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया जाते जाते संजय सिंह ने कई गंभीर आरोप भी भाजपा पर मढ़ डाले कि उसमें कामदारों की नहीं बल्कि नामदारों की पूछ है और भाजपा में वंशवाद खूब फल फूल रहा है.

बात यहीं खत्म हो जाती तो कोई बात ही नहीं थी पर संजय सिंह ने बिना किसी लागलपेट के यह भी कहा कि मध्यप्रदेश को अब शिवराजसिंह की नहीं बल्कि कमलनाथ की जरूरत है और छिंदवाड़ा का विकास इसका गवाह भी है. गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाड़ा के सांसद भी हैं. दिल और दल परिवर्तन वाले दिन 3 नवंबर को पत्रकार वार्ता में जैसे जैसे संजय कमलनाथ की तारीफ़ों में कसीदे गढ़ते जा रहे थे वैसे वैसे कमलनाथ का चेहरा कमल की तरह खिलता जा रहा था. बात थी भी कुछ ऐसी ही आखिर सीएम के साले को जो तोड़कर लाये थे. यह और बात है कि पेड़ से नाराज आम की तरह यह साला खुद उनकी झोली में आ गिरा था. अब आम पका था या कच्चा है इसका फैसला तो 11 दिसंबर को मतगणना वाले दिन होगा लेकिन कांग्रेस ने पेड़ गिनने की गलती नहीं की और इस कहावत के माने भी बता दिये कि चोरी के आम छांट कर नहीं खाये जाते.

संजय सिंह को नजदीक से जानने वाले एक प्रापर्टी ब्रोकर भी 2 नवम्बर को उनकी फ्लाइट में थे वे बताते हैं कि संजय उस दिन पत्नी ज्योति सहित दिल्ली के लिए उड़ान भर रहे थे लेकिन बातों में उन्होने हवा नहीं लगने दी कि वे दिल्ली किस मकसद से जा रहे हैं. भोपाल हवाईअड्डे का सारा स्टाफ जानता है कि सीएम के साले साहब दिल्ली या मुंबई जाते आते रहते  हैं.

संजय सिंह तब किशोरावस्था छोड़ युवावस्था में प्रवेश कर रहे थे जब शिवराजसिंह से उनकी बड़ी बहिन साधना सिह की शादी हुई थी. राजनीति में अपनी पहचान बनाने में जुटे शिवराज सिंह को साधना वाकई लकी साबित हुईं और देखते देखते वे विदिशा सांसद से सफर शुरू करते मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन बैठे. आरएसएस के अखाड़े की मिट्टी को बचपन में ही माथे से लगा चुके शिवराजसिंह को एहसास था कि भाजपाई राजनीति कांग्रेस से कहीं ज्यादा चक्करदार है. वहां तो नेहरू गांधी परिवार की परिक्रमा मात्र से मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं लेकिन यहां हर कोई गिरहबान पकड़ लेता है. इसी तजुर्बे के चलते उन्होने कभी अपनों या गैरों से मात नहीं खाई और सब को खुश रखने की नीति पर चलते 14 साल राज किया. कोई शक नहीं कि पहले कार्यकाल में मतदाता उनसे बहुत खुश था दूसरा मौका उन्हें अपने दम पर मिला था और तीसरा हालातों की देन था.

इसी दौरान जाने कब अपने घर गोंदिया से बालाघाट होते हुये संजय सिंह भोपाल आ गए और ऐसे जमे कि देखते ही देखते अरबों के आसामी बन गए.  शुरू में वे जमीन खरोदफ़रोख्त का कारोबार करते थे. साधना सिंह उन्हें बहुत चाहती थीं इसलिए उन्होने अपने भाई को फलने फूलने दिया और यह कोई खास हर्ज की बात भी नहीं थी क्योंकि संजय सिंह वही कर रहे थे जो उन दिनों हर पांचवा बेरोजगार नौजवान कर रहा था इस धंधे को बढ़ाचढ़ा कर बताने रियल एस्टेट नाम दिया जाता है.

संजय सिंह को कोई शक नहीं कि अपने बहनोई के मुख्यमंत्री होने का स्वभाविक फायदा मिला और हर कोई उनके साथ डील करने में अपना फायदा देखने लगा लेकिन उन्होने किसी को ज्यादा मुंह नहीं लगाया. जब पैसा आ गया तो संजय सिंह भोपाल के पाश इलाके चूनाभट्टी में अपना न्यारा यानि अलग बंगला बनाकर रहने लगे. इसके बाद उन्होने अपना कारोबार और फैलाया और ग्लेमर की दुनिया में पाँव जमाने की अपनी सोई हसरत भी पूरी की. राजनीति और पेडमेन जैसी हिट फिल्मों में वे छोटे मोटे रोल में थे । अब तक उनके पास करोड़ों की जमीन जायदाद हो चुकी थी और कारों का अपना शौक भी उन्होने पूरा कर लिया था. संजय सिंह के पास पांच बड़ी और महंगी कारें हैं.

जिस कांग्रेस में वे अपने बहनोई को ठेंगा दिखाते गए उसी कांग्रेस ने कभी उन पर आरोप शिवराज सिंह को घेरने की गरज से लगाए थे कि संजय सिंह ने फिल्म इंडस्ट्री को कोई 200 करोड़ रु फायनेंस कर रखे हैं और सीएम के रसूख के दम पर बालाघाट में बाक्साइट की खदानें ले रखी हैं. पिछले यानि साल 2013 के विधानसभा के चुनाव में उन पर अपनी नीलाक्ष कंस्ट्रकशन कम्पनी के फर्जी दस्तावेज़ बनाने का आरोप भी कांग्रेस ने लगाया था. तब भी बात आई गई हो गई थी और भाजपा की जीत के बाद संजय सिंह पहले की तरह अपने कारोबारों में मशगूल हो गए थे.

जीजा साले के बीच खटास इसी साल आना शुरू हुई थी जिसकी असल वजह हाल फिलहाल किसी को नहीं मालूम लेकिन यह विदिशा में हर कोई जानता है कि शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री रहते विदिशा के गांव टीला बेस में अनाप शनाप जमीने खरीदी हैं और इस काम को अंजाम देने वाले उनके खासमखास मुकेश टंडन को उन्होने नगर पालिका का अध्यक्ष बनवा दिया था. बेहद गरीव परिवार से ताल्लुक रखने वाले औटो रिक्शा चालक मुकेश टंडन को जब विदिशा विधानसभा से इस बार टिकिट शिवराज सिंह ने अपने कोटे से दिलवा दिया तो साले साहब को गुस्सा आ गया क्योंकि वे भी बालाघाट से टिकिट चाह रहे थे और इस बाबत काफी तैयारियां भी वहां कर चुके थे.

टिकिट नहीं मिला तो वे गुस्सा उठे. हवाईजहाज में दिल्ली गए ब्रोकर की मानें तो उनकी एंट्री सीएम हाउस में बंद कर दी गई थी फिर भी उन्हें टिकिट मिलने की उम्मीद थी.

हर कोई यह भी जानता है कि शिवराज सिंह अपनी पत्नी को बहुत चाहते हैं लेकिन शायद साधना सिंह की समझाइश भी संजय के गले नहीं उतरी और उन्होने अपने बहनोई की मान मर्यादा का ख्याल नहीं किया. संजय सिंह को शायद यह भी नागवार गुजर रहा था कि जीजी और जीजाजी दोनों मिलकर अपने बेटे कार्तिकेय को राजनीति में ब्रेक दे रहे हैं. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनो से कार्तिकेय न केवल समाज के कार्यक्रमों में जा रहे हैं बल्कि राजनैतिक सभाओं में भी भाषण देने लगे हैं. हाल ही में उन्होने राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा दायर किया तो मीडिया ने उन्हें हाथो हाथ लिया था. राहुल गांधी गफलत में यह बोल बैठे थे कि सीएम के बेटे का नाम पनामा पेपर लीक में आया है जबकि नाम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का आया था.

अब जब सब कुछ साफ है तब साधना सिंह के द्वंद और परेशानी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा कि उन पर क्या गुजर रही होगी एक तरफ बेटे जैसा भाई है तो दूसरी तरफ देवता समान पति की प्रतिष्ठा है.अब हर कोई कह रहा है कि एक साला तो संभाला नहीं गया शिवराज सिंह राज्य क्या संभालेगे. साधना सिंह अच्छी बात है ज्यादा विचलित नहीं हुईं हैं और पहले की तरह पति के साथ खड़ी हैं जिनकी बड़ी ताकत वे शुरू से रहीं हैं. अच्छी बात यह भी है कि वे सुंदर बन चुके संजय पर जेठालाल की पत्नी दयाबेन जैसा नाजायज लाड़ नहीं लुटा रहीं.

 

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