धार्मिक जगहों पर पर्यटन के लिये जाने वाले लोगों को फंसाने के लिये नये नये तरीके इजाद होने लगे है. इनमें सबसे ताजा तरीका ‘बुलबुल का बच्चा’ है. जम्मू से 89 किलोमीटर दूर उधमपुर जिले में पटनी टौप के पास नागमंदिर बना है. पटनी टौप पर्यटन के लिये जाने वाले लोग नागमंदिर भी जाते है. नाग मंदिर तक जाने वाले रास्ते पर बहुत सारी दुकाने हैं, जिनमें ऊनी कपडे और दूसरे तमाम तरह के कश्मीरी शैल, सूट, पाशमीना, बेड कवर, कंबल,लेदर कोट, ड्रेस मैटेरियल, शौल, बेडशीट, लकडी का सामान, खिलौने बिकते है. यह दुकाने बहुत छोटी छोटी बनी हैं. दुकानों को आगे से बहुत ढक कर रखा जाता है. हर दुकानदार अपने लड़कों को मंदिर के रास्ते पर खडा करता है. वह मंदिर में घुसने वालों को अपनी बातों में उलझा कर कहते है, आइये आपको बुलबुल का बच्चा दिखाये. पर्यटको को लगता है कि यह बुलबुल पक्षी के बच्चे को दिखाने की बात हो रही है. जब पर्यटक दुकाने के अंदर जाता है तो उसे बुलबुल के बच्चे की जगह पर कपडे दिखाये जाते है.
दरअसल अब जम्मू और कश्मीर में जाडें में पहनने लायक ज्यादातर कपडे पंजाब के लुधियाना से बनकर आते हैं. जम्मू कश्मीर में बेचने वाले दुकानदार सस्ता होने के कारण इस तरह के कपडों को खूब बेच रहे हैं. खरीदने वाले को लगता है कि वह जम्मू कश्मीर में तैयार किये गये कपडों को खरीद रहा है. ऐसे में उसको फंसाने और अपनी दुकान तक लाने के लिये ‘बुलबुल का बच्चा’ जैसे तरीको का सहारा लिया जाता है.
कई बार ग्राहक जब बुलबुल नहीं देखता तो नाराज होता है जिससे दुकानदार और ग्राहक के बीच झगडा शुरू हो जाता है. ग्राहक को लगता है कि उसको फंसाने के लिये ‘बुलबुल का बच्चा’ जैसे फंसाने वाली बातें की जाती है. लुधियाना की कई फैक्ट्रियां खासतौर पर ऐसे सामान तैयार करती है जिनकी बिक्री जम्मू कश्मीर और दूसरे पहाडी राज्यों में होती है. इस तरह के कपडों को औरतें रेलगाडियों में भी बेचते मिल जाती हैं. सस्ता और ऊनी कपडो को खरीदने की चाह रखने वाले पर्यटक इस तरह के झांसे में फंस जाते है.
नागमंदिर में दुकाने लगाने वाले दुकानदार पर्यटको को यहां तक लाने के लिये मंदिर के विषय में तमाम किस्से सुनाते है. जिससे प्रभावित होकर पर्यटक यहां आता है. यहां आने पर दुकानदार उसे ‘बुलबुल का बच्चा’ जैसे झांसे देकर फसाते हैं. यहां कुछ दुकाने ऐसी है जिनमें इस तरह का काम नहीं होता है.
फिजा इंटरप्राइजेज के शेख शाहिद कहतें है आज का समय ग्राहक को फंसाने का नहीं, बल्कि उसको संतुष्ट करने का है. ऐसे में जो दुकानदार ‘बुलबुल का बच्चा’ दिखाने जैसे लालच में ग्राहक को फसाते हैं. वह अपना और दुकान का तो नुकसान करते ही हैं. इससे नागमंदिर के दुकानदारों की खराब छवि पूरे देश में जाती है. पर्यटन हमारा सबसे बडा रोजगार का साधन है. अगर पर्यटक का दुकानदार के प्रति अविश्वास बढ गया तो वह पूरे कारोबार के लिये खराब है. ऐसे में दुकानदारों को इनसे बचना चाहिये.