पिता पुत्र के रिश्तों पर आधारित तनुज भरमार की फिल्म‘‘डिअर डैड’’कमजोर पटकथा, पिता पुत्र के रिष्तों को भी सही ढंग से परिभाषित न कर पाने वाली, भावना रहित और अति धमी गति वाली फिल्म है. फिल्म का एक भी पात्र उभरकर नहीं आता. फिल्म‘‘डिअर डैड’’की कहानी के केंद्र में दिल्ली में रह रहे नितिन (अरविंद स्वामी)और उनका 14 साल का बेटा शिवम् ( हिमांशु शर्मा) है. नितिन की एक बेटी विधि भी है. पर खुद नितिन ‘गे’है. नितिन के गूंगे पिता व बूढ़ी मॉं हिल स्टेशन मनाली के पास रहते हैं. नितिन ने अपनी पत्नी को तलाक देने का निर्णय कर लिया है. इस बात की जानकारी अपने बेटे शिवम् को देने के मकसद से ही नितिन अपने बेटे को उसके मसूरी के होस्टल में खुद छोड़ने जाने का निर्णय लेता है. सड़क रास्ते से जाते समय वह बेटे शिवम् को सच बता देना चाहता है. वह दो तीन बार प्रयास करता है,पर बता नहीं पाता है. इस बीच रास्ते में एक टीवी रियालिटी शो का सेलेब्रिटी आदित्य (अमन उप्पल )मिलता है. रास्ते में नितिन अपने माता पिता से भी मिलने जाता है. दादा दादी से मिलकर शिवम् खुश है. वहीं पर अपने गूंगे पिता को नितिन बताता है कि व पूरी जिंदगी जिस सच को उनसे नही कह पाया,वह सच आज वह उन्हे बता देना चाहता है कि वह ‘गे’ है . यह बात शिवम् सुन लेता है. और शिवम् को अपने पिता नितिन से घृणा हो जाती है.
रास्तें में नितिन , शिवम् से कहता है कि वह इसी सच को बताने के लिए उसके साथ आता है और वह यह भी बता देता है कि नितिन व शिवम् की मां अलग हो रहे हैं. इससे शिवम् का गुस्सा बढ़ जाता है. वह दोस्तो के साथ जाना चाहता है पर रास्ते में पहाड़ी के गिरने से रास्ता बंद हो जाता है. सभी को एक होटल में रूकना पड़ता है. जहां वह अपने दोस्त को अपने पिता की बात बताता है और कहता है कि व चाहता है कि उसका पूरा परिवार एक साथ रहे. तब उसका दोस्त उसे सलाह देता है कि वह बंगाली बाबा की दवा अपने पिता को दे,तो उसके पिता ठीक हो जाएगें. बंगाली बाबा की दवा से नितिन के पेट का दर्द शुरू हो जाता है. उधर आदित्य, शिवम् को समझाता है कि उसके पिता उसके लिए कितना परेशन रहते है. आदित्य, शिवम्म से कहता है कि ‘जिंदगी में वह सिच्युएशन मत आने देना कि जब तुम्हे अपने पिता की जरुरत हो,तो वह तुम्हारे आस पास भी न हो.’’
उसके बाद शिवम् अपने दोस्तों के साथ मसूरी के होस्टल चला जाता है. नितिन वहीं से अकेले दिल्ली लौट आता है. नितिन का अपनी पत्नी से तलाक हो जाता है. शिवम् को गणित में अच्छे नंबर मिलने पर ट्रॉफी दी जाती है, तो वहां पर नितिन व शिवम् की मां अपने नए पति के साथ पहुॅचती है. शिवम् मां की बजाय पिता नितिन के साथ समय बिताता है . फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि पिता पुत्र के रिष्ते को सही ढंग से स्थापित ही नहीं किया गया. दोनो के बीच बेकार की बकवास दिखायी गयी है. फिल्म का एक भी पात्र सही ढंग से उभर नहीं पाया. एक भी पात्र दर्षक के मन में जिज्ञासा या अपने लिए सहानुभूति भी नहीं बटोरता.
‘गे’को मुद्दे का भी फिल्मकार सही परिपेक्ष्य में नहीं पेश कर पाया. पिता के गे होने का सच जानने के बाद शिवम् के अंदर जिस तरह का गुस्सा आना चाहिए था, वह भी नहीं आ पाया. यहां तक कि नितिन के पात्र में परिवार के बिखरने व बेटे के दूर होते जाने का जो दुःख व तकलीफ सही ढंग से नहीं उभरती. यहां तक कि कैमरामैन मुकेश भी पूरी तरह से असफल रहे. वह अपने कैमरे में प्राकृतिक सौंदर्य को भी कैद नहीं कर पाएं. फिल्म बहुत ही ज्यादा धीमी गति से बढ़ती है. मनोरंजन के नाम पर शून्य है.फिल्म की पटकथा व निर्देशन काफी कमजोर है. फिल्म में आदित्य के किरदार को जबरन ठॅूंसा गया है. कहानी में उसकी कहीं कोई आवष्यकता नजर नहीं आती. फिल्म‘‘रोजा’’से चर्चा में आए अरविंद स्वामी ने पूरे सोलह साल बाद अभिनय में वापसी की है,तो उनसे काफी उम्मीदे थी, मगर वह निराश ही करते हैं. शिवम् के किरदार में हिमांशू शर्मा के लिए करने को बहुत कुछ था, मगर वह भी असफल रहे. इसमें पटकथा व निर्देशन की कमी ज्यादा नजर आती है. फिल्म ‘‘डिअर डैड’’से दर्षक के हिस्से कुछ नही आना है.रत्नाकर एम और शान व्यास निर्मित तथा तनुज भरमार लिखित व निर्देषित फिल्म‘‘डिअर डैड’’के कैमरामैन मुकेश जी,संगीतकार उज्ज्वल कष्यप व राधव-अर्जुन तथा कलाकार हैं-अरविंद स्वामी,हिमांषु शर्मा,एकावल खन्ना,अमन उप्पल और भाविका भसीन.