जन स्वास्थ्य विभाग पूर्वी दिल्ली नगरनिगम की तरफ से लगा एक बोर्ड स्वच्छ भारत अभियान को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है. लक्ष्मी नगर मैट्रो स्टेशन से यह होर्डिंग आप को दिख जाएगा. इस होर्डिंग पर डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया से कैसे बचें, के बारे में समझाया गया है. मगर जन स्वास्थ्य विभाग को शायद यह नहीं दिख रहा है कि पूर्वी दिल्ली में इन दिनों गंदगी का अंबार पसरा हुआ है और महामारी की आशंका जताई जा रही है.

दरअसल, पूर्वी दिल्ली नगर निगम सफाईकर्मी इन दिनों हड़ताल पर हैं और केंद्र तथा दिल्ली सरकार दोनों ही एकदूसरे पर दोषारोपण करने में लगी हुई हैं. कौन सही है  और कौन गलत यह तो बाद की बात है पर लोगों के स्वास्थ्य पर इस गंदगी से जो दुष्प्रभाव पड़ रहा है उस पर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो किसी महामारी की आशंका को नहीं टाला जा सकता.

बीमार राजधानी

पूर्वी दिल्ली के ज्यादातर इलाके वैसे भी सही तरीके से नहीं बसे हैं. ज्यादातर इलाकों में कीड़ेमकोड़ों की तरह आदमी रेंगते नजर आते हैं. हर तरफ आड़ीतिरछी दुकानों की भरमार है. संकरी गलियों और खुले नालों में घरों के दरवाजे खुलते हैं. यहां गलियों में पानी भरा रहता है. प्लास्टिक और गंदगी चारों तरफ बिखरी पड़ी है ऐसे में यह  होर्डिंग देख कर लगता है कि वाकई में जन स्वास्थ्य विभाग और सरकार लोगों के बारे में चिंता कर रही है, जनता को जागरूक कर रही है. सरकार अंधेरे में नहीं बल्कि उजाले में तीर चला रही है और जनता सबकुछ देखसुन रही है, समझ रही है, पर कर कुछ नहीं पा रही है.

दिल्ली में वैसे भी वायु प्रदूषण का स्तर चरम पर है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं. ऊपर से चारों तरफ लगे कूड़े के अंबार से लोगों को बीमार नहीं करेगा और क्या करेगा. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस सड़ेगले कूड़े से महामारी फैलने का खतरा है. यदि वह 2 सप्ताह तक यों ही पड़ा रहे तो हैजा, पीलिया, डायरिया और पेट संबंधित बीमारियां होने में देर नहीं लगेगी. शासनप्रशासन इस संबंध में कान में तेल डाल कर सो रहा है.

इस कानून का क्या मतलब

ऐसा नहीं है कि कूड़ा फैलाने वालों के लिए कानून में दंड का प्रावधान नहीं है. भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 269 में कहा गया है कि समाज का कोई भी व्यक्ति यदि ऐसा करे जिस में संक्रमण फैलने की आशंका हो तो उसे 6 महीने की सजा हो सकती है और कोई यदि जानबूझ कर ऐसा काम करता है जिस से महामारी फैलने की आशंका हो तो उसे 2 साल की सजा का प्रावधान है.

दोषी कौन

अब इसे क्या कहा जाए गलती किस की है. सफाईकर्मियों की या शासनप्रशासन की? क्या इस पर किसी के ऊपर कार्यवाही होगी? शायद नहीं. राजनेता, जनता, शासन, प्रशासन सभी चिल्लाते रहेंगे. एकदूसरे को गाली देते रहेंगे पर इस से नुकसान सिर्फ और सिर्फ जनता का है. लेकिन इस में जनता भी कम दोषी नहीं है जो अपने घर का कूड़ा किसी दूसरे के दरवाजे के आगे जा कर छोड़ कान में मोबाइल पर बातें करतेकरते सभ्य समाज के सभ्य लोगों की तरह बतियाते आगे बढ़ जाती है.

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