तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के मुताबिक, वे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को अच्छी तरह जानते हैं जिन के आत्मक्रेंद्रित रवैए के चलते महात्मा गांधी मोहम्मद अली जिन्ना को प्रधानमंत्री नहीं बना पाए और देश दोफाड़ हो गया.
गोवा इंस्टिट्यूट औफ मैनेजमैंट के छात्रों के गले उन का यह रहस्योद्घाटन उतरा या नहीं, यह तो वही जानें लेकिन कांग्रेस ने इस शांतिदूत पर यह कहते चढ़ाई कर दी कि यह बहकता बयान नरेंद्र मोदी के इशारे पर दिया गया है.
इधर, भगवा खेमे से कोई रिस्पौंस नहीं मिला तो दलाई लामा घबरा गए और चौथे ही दिन उन्हें नेहरू वाले बयान पर माफी मांगने लायक ज्ञान प्राप्त हो गया, बल्कि यह भी याद हो आया कि 1950 में नेहरू ने भिक्षुओं और तिब्बतियों को शरण देने का एहसान किया था. अब विवादित और बेवजह के बयानों से दोबारा नोबेल या भारतरत्न मिलता हो, तो जरूर दलाई लामा को उम्मीद रखने का हक है.
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